JALORE NEWS पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण मानसिक गुलामी - जैनाचार्य
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JALORE NEWS पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण मानसिक गुलामी - जैनाचार्य
जालोर ( 15 अगस्त 2023 ) JALORE NEWS नंदीश्वर जैन जैन तीर्थ चल भंडारी परिवार की ओर से आयोजित आध्यात्मिक चातुर्मास के तहत मंगलवार को आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य हार्दिक रत्न सुरीश्वर जी महाराज ने कहा कि जब हमारे जीवन में अनंत -अनंत पुण्य का सिंचन होता है तब हमें आर्यावर्त की भूमि भारतवर्ष में जन्म लेने का सौभाग्य मिलता है।
चातुर्मास के मीडिया संयोजक हीराचंद भंडारी ने बताया कि आचार्य श्री ने कहा कि इस सृष्टि का सबसे सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानव होता है। मनुष्य बुद्धि जीवी प्राणी होता है। आचार्य श्री ने कहा कि सदियों से भारत भूमि पर अनेक आक्रामक आये।शक,हुण कुषाण ,मुगल और अंग्रेजों आये। सब ने भारत की संस्कृति एवं सनातन परंपरा के साथ अत्याचार किए। किंतु भारत की सर्वधर्म समभाव संस्कृति ने सबको गले लगाया। सनातन संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की भावना पर विश्वास करती है। इसने सबको अपने में समाहित कर दिया।
देश की आजादी की चर्चा करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि हम राजनीतिक रूप से भले ही आजाद हो गए हो लेकिन मानसिक रूप से हम अभी भी हम पाश्चात्य संस्कृति के गुलाम है। हम अपनी वैभवशाली संस्कृति को भूलते जा रहे है। हमारा अतीत गौरवशाली रहा है। हमें अपनी संस्कृति और संस्कारों पर गर्व का अनुभव होना चाहिए। सहयोग, संस्कार और समभाव हमारे जीवन के आदर्श होने चाहिए आज की धर्मसभा में आयकर अधिकारी पुनाराम चौधरी मय स्टाफ , चम्पालाल भण्डारी , हीराचंद श्री श्री माल सरत, नंदादेवी बंदामुथा, मिनाक्षी सेठ, अन्जु वेदमुथा, पींकी कोठारी, मंजु सोलंकी, दया पारख,परी गाँधी, नीता जानीकार, इत्यादि सैकड़ों श्रावक श्राविकाएँ मौजूद थे।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनिराज श्री ज्ञान कलश महाराज ने कहा कि परमात्मा की वाणी सुनने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती हैं। इस जीवन में परमात्मा की वाणी हमें सुनने को मिल रही हैं यह हमारे भाग्य की निशानी है।
समतायुक्त एवं क्रोध मुक्त संतुलित जीवन जिएं :ज्ञान रत्न
जिला कारागार में कैदियों के साथ संवाद करते हुए गणिवर्य श्री ज्ञान रत्न विजय जी महाराज ने कैदियों को समता युक्त एवं मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा दी। गणिवर्य ने कहा कि जेल को जीवन का अंत नहीं माने। इस कठिन समय में चिंतन- मनन के साथ जीवन को नए तरीके से जीने का संकल्प लें। कोई भी हमें अगर भला बुरा कहे तो उत्तेजित नहीं होना चाहिए। बल्कि क्षमा कर देना चाहिए। क्योंकि क्षमा वीरों का भूषण होता है। जीवन वही श्रेष्ठ होता है जो अपने मूल स्वभाव में रहकर जिएं। कैदी अपने जीवन में कुछ श्रेष्ठ एवं नया करने का संकल्प ले। हर मनुष्य का जीवन एक संभावना होता है इस विचार को गांठ बांध लें। उपस्थित सभी कैदियों ने अपने जीवन की नई शुरुआत करने का संकल्प लिया।इस अवसर पर जेल अधीक्षक श्री जोराराम ने सभी का आभार जताया।
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