चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद चांद से आया पहला फोटो, विक्रम ने दिखाया चांद का नजारा, लैंडिंग साइट भी देखिए
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चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद चांद से आया पहला फोटो, विक्रम ने दिखाया चांद का नजारा, लैंडिंग साइट भी देखिए
नई दिल्ली ( 23 अगस्त 2023 ) भारत के चंद्रयान ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने अपने निर्धारित समय पर चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिंग की। चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम सही तरीके से काम कर रहा है। लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के बाद पहली बार तस्वीरें भेजी है। इसरो ने चंद्रमा की सतह से भेजी गई चार तस्वीरों को ट्वीट किया। यह तस्वीरें लैंडर विक्रम के हॉरिजोन्टल वेलोसिटी कैमरा से ली गई हैं। इसके बाद लैंडर ने एक और तस्वीर भेजी है जिसमें वो लैंडिंग साइट दिख रही है, जहां विक्रम चांद पर उतरा है।
खुशी से झूम उठे थे साइंटिस्ट
तस्वीरों को ट्वीट करते हुए इसरो ने लिखा कि Ch-3 लैंडर और MOX-ISTRAC, बेंगलुरु के बीच संचार लिंक स्थापित किया गया है। नीचे उतरते समय ली गई लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे की तस्वीरें यहां दी गई हैं। इससे पहले चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साइंटिस्ट खुशी से झूम उठे।
चार साल से काम कर रहे थे साइंटिस्ट
चंद्रयान के चंद्रमा पर उतरने के बाद यू.आर. राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक एम. शंकरन ने कहा किलोग चाहते थे कि हम सफल हों। इसरो की चंद्रयान-3 परियोजना टीम ने जबरदस्त प्रयास किया है। वे पिछले चार वर्षों से चंद्रयान-3 पर काम कर रहे हैं। शंकरन ने यह भी कहा कि चंद्रयान-3 टीम को नेविगेशन, प्रोपल्शन और अन्य टीमों का भरपूर सहयोग मिला। उनके अनुसार, इस सफलता ने उन पर और जिम्मेदारी डाल दी है। उन्होंने कहा कि कि पूरा मिशन त्रुटिहीन और समय पर हुआ। चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक पी. वीरमुथुवेल ने कहा, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब जाने वाला दुनिया का पहला देश है।
चंद्रयान-2 की असफलता से सीख
चंद्रमा लैंडर की सुरक्षित लैंडिंग का जिक्र करते हुए एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर कल्पना ने कहा कि यह चंद्रयान-3 टीम के लिए सबसे उल्लेखनीय और खुशी का क्षण था। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की विफलता से सीख लेते हुए टीम ने चंद्रयान-3 बनाने के बाद जो भी लक्ष्य निर्धारित किए गए थे, उन्हें हासिल कर लिया गया है।
Chandrayaan 3 सफल: भारत की हुई 'चंद्रविजय'... चांद पर लहराया तिरंगा
Chandrayaan-3 ने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कर ली है. यह सफलता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका है. 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की चार साल की मेहनत रंग ले लाई. अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है.
ISRO ने चांद पर परचम लहरा दिया है. अब बच्चे सिर्फ चंदा मामा नहीं बुलाएंगे. चांद की तरफ देख कर अपने भविष्य के सपने को पूरा करेंगे. करवा चौथ की छन्नी से सिर्फ चांद नहीं बल्कि देश की बुलंदी भी दिखेगी. Chandrayaan-3 ने चांद की सतह पर अपने कदम रख दिए हैं.
चार साल से इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिक जो मेहनत कर रहे थे, वो पूरी हो चुकी है. भारत का नाम अब दुनिया के उन चार देशों में जुड़ गया है, जो सॉफ्ट लैंडिंग में एक्सपर्ट हैं. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के पीछे वैज्ञानिकों की मेहनत के साथ-साथ करीब 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना भी काम कर गई.
कैसे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग?
- विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की. अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे. यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक.
- 7.4 km की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी. अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था.
- 6.8 km की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई. अगला लेवल 800 मीटर था.
- 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे.
- 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच.
- 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच.
- 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी.
- चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी.
चंद्रयान-3 के लिए अब अगले कुछ पड़ाव महत्वपूर्ण हैं।
1. रोवर बाहर आएगा
अब नजरें प्रज्ञान रोवर पर है, जो स्थितियां सामान्य होने के बाद चांद की सतह पर चलेगा। चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल लैंडर के कम्प्लीट कॉन्फिगरेशन को बताता है। इसमें रोवर का वजन 26 किलोग्राम है। रोवर चंद्रयान-2 के विक्रम रोवर के जैसे ही है। प्रज्ञान रोवर को बाहर आने में एक दिन का समय भी लग सकता है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव सहजपाल कहते हैं कि योजना के मुताबिक, सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही लैंडर और रोवर चांद की सतह पर अपना काम करना शुरू कर देंगे। लैंडर के साथ ही चांद की सतह पर उतरने वाले रोवर अपने पहियों वाले उपकरण के साथ वहां की सतह की पूरी जानकारी इसरो के वैज्ञानिकों को देना शुरू कर देगा। इन पहियों पर अशोक स्तंभर और इसरो के चिह्न उकेरे गए हैं, जो प्रज्ञान के आगे बढ़ने के साथ चांद की सतह पर अपने निशान छोड़ेंगे। इसी के साथ इसरो और अशोक स्तंभ के चिह्न चांद पर अंकित हो जाएंगे।
2. 14 दिन चांद की सतह से जानकारी इकट्ठा करेगा
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर और लैंडर से जो जानकारी इसरो को मिलेगी, वह 14 दिनों तक ही होगी, क्योंकि चांद को पूरी रोशनी सिर्फ इसी दौर में मिलेगी। उनका कहना है कि रोवर से मिलने वाली जानकारी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए मानी जाती है, क्योंकि वह चांद की सतह पर जाकर आगे बढ़ता रहता है।
3. इसरो को चांद से अहम जानकारी भेजेगा
वैज्ञानिकों का कहना है कि 14 दिनों के भीतर रोवर चांद पर अपने तय रास्ते को न सिर्फ पूरा करेगा, बल्कि उसकी पूरी सूचनाएं भी इसरो के डाटा सेंटर को भेजता रहेगा। संजीव सहजपाल का कहना है कि सिर्फ रोवर ही नहीं बल्कि लैंडर के माध्यम से भी सूचनाएं और पूरी तकनीकी जानकारियां मिलती रहेंगी। वह बताते हैं कि लैंडर और रोवर 14 दिनों तक पूरी सक्रियता के साथ हमें सूचनाएं भेजेगा। उनका कहना है कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार किए जाने वाले लैंडर और रोवर के पावर बैकअप की क्षमता 14 दिनों तक सबसे ज्यादा होती है। उसके बाद की सूचनाएं या तो मिलनी बंद हो जाएंगी या उनकी स्पीड न के बराबर हो जाएगी। हालांकि अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि 14 दिनों के भीतर मिलने वाली सूचनाएं अंतरिक्ष में चांद पर की जाने वाली तमाम संभावनाओं की सबसे महत्वपूर्ण जानकारियां होंगी।
चंद्रयान-3 ने कैसे रच दिया इतिहास?
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरा है । यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखता है, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल हैं। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर रहा। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया।
मिशन ने 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा केन्द्र से उड़ान भरी और योजना के अनुसार आज चंद्रमा पर उतरा। इस मिशन से भारत अब अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। वहीं, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश है।
पिछले दो मिशन
चंद्रयान-1
यह अक्तूबर 2008 में भेजा गया था। चंद्रमा पर पानी की संभावना की खोज कर यह इतिहास रच चुका है। इसी के बाद विश्व की तमाम अंतरिक्ष एजेंसियों की चंद्रमा को लेकर उत्सुकता बढ़ गई।
चंद्रयान-2
जुलाई 2019: यह यान आज भी चंद्रमा की सौ किलोमीटर की कक्षा में घूम रहा है। इसे एक साल तक ही चलना था, लेकिन अब तक यह हमें जानकारी भेज रहा है। इसमें विश्व का सबसे बेहतरीन कैमरा लगा है, जो चंद्रमा के लगभग हर हिस्से की तस्वीरें ले चुका है।
चंद्रयान- 3 की कामयाबी पर वर्ल्ड मीडिया रिएक्शन:NYT ने लिखा- भारत ने इतिहास रचा, PAK अखबारों में अहमियत; चीनी मीडिया खामोश
चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखकर इतिहास रच दिया है। उसने 20 मिनट में चंद्रमा की अंतिम कक्षा से 25 किमी का सफर पूरा किया
भारत की इस महान कामयाबी को वर्ल्ड मीडिया ने हाथोंहाथ लिया और दिल खोलकर तारीफ की। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के तमाम बड़े अखबारों ने इस इवेंट की लाइव कवरेज की। पाकिस्तानी मीडिया ने भी इसे टॉप 5 न्यूज में जगह दी। हैरानी की बात चीन की मीडिया को लेकर हुई। उसके दो अहम अखबारों और वेबसाइट्स ने इस इवेंट को होम पेज पर कवर ही नहीं किया।
यहां हम दुनिया के 7 प्रमुख अखबारों और वेबसाइट्स की भारत के मिशन मून पर कवरेज की जानकारी दे रहे हैं-
इस अमेरिकी अखबार ने न सिर्फ भारत की इस कामयाबी का लाइव कवरेज किया, बल्कि ये भी बताया कि भारत की अगली मंजिल अब क्या होगी। अखबार ने लाइव ब्लॉग में लिखा- चांद पर पहुंचने की लेटेस्ट रेस में भारत ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की। टीम इसरो ने चंद्रयान-3 को उस साउथ पोल पर लैंड करा दिया, जहां अब तक कोई नहीं पहुंच पाया।
NYT ने आगे लिखा- भारत के लिए स्पेस रिसर्च के लिहाज से अगले 10 साल बेहद अहम और बिजी होने वाले हैं। भारत का स्पेस प्रोग्राम करीब 50 साल तक सरकार के हाथों में रहा, लेकिन अब उसने अपने दरवाजे प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोल दिए हैं। कामयाबी उसका इंतजार कर रही है।
वॉशिंगटन पोस्ट
अमेरिका के एक और बड़े अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ ने अपनी खबर के इंट्रो में भारत की कामयाबी को अनूठा तोहफा बताया। इसके अलावा ये भी खास रहा कि इस अखबार ने पिछले दिनों रूस के मिशन की नाकामयाबी को भी इस खबर में जगह दी। उसने दोनों मिशन की तुलना करते हुए ये भी बताया कि इंडियन साइंटिस्ट किसी भी अड़ंगे से पीछे नहीं हटते और बहुत कम बजट में अपने काम को अंजाम देते हैं।
बीबीसी नेटवर्क
ब्रिटेन के वर्ल्ड फेमस मीडिया हाउस BBC ने भी इस इवेंट को लाइव कवर किया। जैसे ही चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई, BBC ने लिखा- भारत ने इतिहास रच दिया... साउथ पोल के करीब चंद्रयान 3 की लैंडिंग कामयाब। भारत की इस कामयाबी के पीछे उसके साइंसदानों की जबरदस्त मेहनत है। उन्होंने तमाम मुश्किलों के बावजूद कदम नहीं खींचे और आज वो कर दिखाया जो दुनिया के सामने मिसाल है। अब दुनिया को भारत से ज्यादा उम्मीदें हैं।
डॉयचे वैले
जर्मनी के कई भाषाओं में पब्लिश होने वाले अखबार ‘डॉयचे वैले’ ने इस इवेंट को लाइव कवर किया। लैंडिंग के फौरन बाद उसने हेडिंग बदली और लिखा- चंद्रमा के साउथ पोल यानी दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बना भारत। इसके साथ ही अखबार ने तिरंगे के रंग में पेंट किए एक भारतीय की तस्वीर भी लगाई। इसके हाथ में भी तिरंगा नजर आ रहा था। अखबार ने लिखा- 140 करोड़ भारतीयों के दिल की हसरत को टीम इसरो ने साकार किया।
‘द डॉन’
पाकिस्तान के लीडिंग अखबार ‘द डॉन’ ने भारत की इस कामयाबी वाली खबर को टॉप 5 खबरों में जगह दी। उसके साइंस रिपोर्टर हम्माद मुस्तफा ने लिखा- हमारे पड़ोसी देश से बहुत बड़ी खबर आई है। भारत ने स्पेस सेक्टर में दुनिया के सामने ऐसी मिसाल कायम की है, जिसको अब हर देश फॉलो करना चाहेगा। ये काम आसान नहीं था। इमरान सरकार में साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर रहे फवाद चौधरी ने लैंडिंग से पहले भारत को शुभकामनाएं दीं।
‘जियो न्यूज’
पाकिस्तान के सबसे बड़े न्यूज चैनल जियो न्यूज ने कुछ देर तक चंद्रयान-3 की कामयाबी की खबर को नंबर एक पर जगह दी। इसकी खबर में कहा गया- हमारे पड़ोसी देश ने स्पेस सेक्टर में बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसके पीछे उसके साइंसटिस्ट्स की मेहनत और लगन है। भारत ने यह साबित कर दिया है कि अगर ठान लिया जाए तो कुछ भी करना मुमकिन है, चांद पर पहुंचना भी।
चीनी मीडिया खामोश
हमने चीन के दो अखबार और इनकी वेबसाइट को रियल टाइम चेक किया तो उनके होम पेज पर भारत की कामयाबी की खबर नजर नहीं आई। ग्लोबल टाइम्स ने प्रेसिडेंट जिनपिंग की साउथ अफ्रीकी राष्ट्रपति से मुलाकात को तवज्जो दी। टॉप 5 में भारत की सफलता की इस कहानी की झलक तक नजर नहीं आई। इसके अलावा, चाइना डेली में भी यह खबर नजर नहीं आई। होम पेज पर ज्यादातर न्यूज चीन से जुड़ी हुई थी। इनमें कहीं भी इसरो या चंद्रयान 3 का जिक्र तक नहीं था।
चांद पर पहुंचे, अब सूरज की बारी:20 दिन तक स्पेस में रह सकेंगे अंतरिक्ष यात्री; जानिए ISRO के आगे का प्लान
चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद पर कदम रख चुका है। चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। चांद पर पहुंचने के बाद अब सूरज की बारी है। इसके लिए भी ISRO के वैज्ञानिकों ने तैयारी कर ली है। सितंबर में सूरज तक पहुंचने के लिए आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग हो सकती है।
अंतरिक्ष और आसमान को एक्सप्लोर करने का ये सिलसिला यहीं रुकने वाला नहीं है। इसके बाद NISAR और SPADEX जैसे दो और ताकतवर अंतरिक्ष मिशन लॉन्च होंगे।
सूर्य की निगरानी के लिए भेजे जा रहे इस उपग्रह के सभी पेलोड (उपकरणों) का परीक्षण पूरा कर लिया गया है। जल्द ही इसका आखिरी रिव्यू होगा। सब कुछ ठीक रहा तो सितंबर के शुरुआती हफ्ते में इसे स्पेस में भेजा जा सकता है।
आदित्य L-1 से सोलर कोरोनल इजेक्शन यानी सूर्य के ऊपरी वायुमंडल से निकलने वाली लपटों का एनालिसिस किया जाएगा। ये लपटें हमारे कम्युनिकेशन नेटवर्क व पृथ्वी पर होने वाली इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों को प्रभावित करती हैं।
सूर्य को जानने के लिए दुनियाभर से अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कुल मिलाकर 22 मिशन भेजे हैं। सबसे ज्यादा मिशन अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने भेजे हैं।
NASA ने पहला सूर्य मिशन पायोनियर-5 साल 1960 में भेजा था। जर्मनी ने अपना पहला सूर्य मिशन 1974 में NASA के साथ मिलकर भेजा था। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अपना पहला मिशन NASA के साथ मिलकर 1994 में भेजा था।
NISAR सैटेलाइट बवंडर, तूफान, ज्वालामुखी, भूकंप, ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्री तूफान, जंगली आग, समुद्रों के जलस्तर में बढ़ोतरी, खेती, गीली धरती, बर्फ का कम होने की जानकारी देगा।
धरती के चारों ओर जमा हो रहे कचरे और धरती की ओर अंतरिक्ष से आने वाले खतरों की भी जानकारी इस सैटेलाइट से मिल सकेगी। पेड़-पौधों की घटती-बढ़ती संख्या पर नजर रखेगा। NISAR से प्रकाश की कमी और इसमें बढ़ोतरी की भी जानकारी मिल पाएगी।
इस सैटेलाइट से मिलने वाली हाई-रिजोल्यूशन की तस्वीरें हिमालय में ग्लेशियरों की निगरानी में भारत और अमेरिकी सरकारों की मदद करेंगी। यह चीन और पाकिस्तान से लगी भारत की सीमाओं पर कड़ी नजर रखने में भी सरकार की मदद कर सकता है।
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