कान्हड़देव की शुरवीरता का साक्षी है सराणा में स्थित सोमनाथ महादेव मंदिर जाने पीछे का रहस्य
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श्रावण माघ सोमवार को विशेष कवरेज, कल लगाया यहाँ पर मैला
आहोर ( 20 अगस्त 2023 ) आहोर तहसील मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित सराणा गांव में ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर के कारण जिले समेत प्रदेशभर में जाना जाता है। गांव में स्थित ऐतिहासिक सोमनाथ महादेव मंदिर न केवल गुजरात के विख्यात सोमनाथ महादेव मंदिर के इतिहास ही उमडा पड़ता है। गांव के शंभूसिंह बताते हैं कि गाँव में सोमनाथ महादेव जी मंदिर न केवल गुजरात के को समेटे हुए हैं बल्कि जालोर के शासक वीर कान्हड़देव की शुर वीरता का भी साक्षी है। यहां दर्शनों के लिए वैसे तो वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लेकिन महाशिवरात्रि एवं श्रावण मास में तो भक्तों का सैलाब ही उमड़ पड़ता है।
दिल्ली के सुल्तान अल्लाउद्दीन खिलजी ने 1266 में जब गुजरात के सोलंकी साम्राज्य को परास्त करने के बाद गुजरात के सोमनाथ महादेव मंदिर को तोड़ा व लूट कर जब दिल्ली लौट रहा था तब जालोर के तत्कालीन जालोर शासक वीर कान्हादेव ने उसको सराणा के रण में पराजित किया था तथा शिवलिंग के एक भाग को सराणा में स्थापित करवाया। शिवलिंग के अन्य भागों को क्रमशः जालोर किले व नीचे बगीचे में स्थापित करवाया। मंदिर का जीर्णोद्धार तत्कालीन महंत बालकानंदगिरी महाराज के सान्निध्य में अस्सी के दशक में करवाया गया। वर्तमान में मंदिर की महंत साध्वी सोमवारगिरी है।
सोमनाथ मंदिर के सामने स्थित है संत की समाधि
सोमनाथ मंदिर के सामने हीरागिरी महाराज की समाधि स्थित है। जिसके बारे में बड़ी विचित्र मान्यता है कि महंत हीरागिरी महाराज ने सराणा तथा निकटवर्ती गांव वाला में एक ही दिन समाधि ली। मंदिर तथा समाधि पर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।
संत की जीवित समाधि
सोमनाथ मंदिर के सामने हीरागिरी महाराज की जीवित समाधि स्थित है। जिसके बारे में बड़ी विचित्र मान्यता है कि महंत हीरागिरी महाराज ने सराना तथा निकटवर्ती गांव बाला में एक ही दिन जीवित समाधि ली।
कभी राजनीति का केन्द्र भी रहा सराणा
कभी राजनीति का केंद्र रहे सराणा में पूर्व जागीरदार नरपतसिंह मण्डलावत 1957 में जालोर से विधायक बने इसके बाद जालोर- सिरोही संसदीय क्षेत्र से सांसद का चुनाव भी लड़ा।
Sawan Somwar and Nag Panchami 2023: सावन सोमवार के दिन नाग पंचमी, 24 साल बाद बना है ऐसा दुर्लभ संयोग
Sawan 7th Somwar and Nag Panchami 2023: इस साल सावन का महीना बहुत खास है. सावन में इस साल अधिक मास लगा, जिसके कारण सावन में ही कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार भी पड़े. अधिक मास पड़ने के कारण नाग पंचमी का पर्व अगस्त माह में मनाया जाएगा. खास बात तो यह है कि, सावन सोमवार के दिन ही नाग पंचमी का पर्व भी पड़ रहा है.
पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. नाग पंचमी पर नागों की पूजा का महत्व है. इस दिन विशेषकर वासुकी नाग की पूजा की जाती है. भोलेनाथ अपने गले में वासुकी नाग को हार की तरह लपेटे हुए रहते हैं. इसलिए शिवजी के प्रिय सावन सोमवार के दिन नाग पंचमी पड़ने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है.
सावन के सातवें सोमवार पर नाग पंचमी
सोमवार 21 अगस्त को सावन माह का सातवां सोमवार व्रत रखा जाएगा और इसी दिन नाग पंचमी भी रहेगी. नाग पंचमी पर शिव के गण नाग देवता की पूजा का विधान है. ऐसे में इस साल भक्त एक ही दिन शिवजी और नाग देवता की पूजा-व्रत कर दोगुना आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे. इसलिए इस दुर्लभ संयोग को बहुत ही खास माना जा रहा है.
24 साल बाद सावन सोमवार पर नाग पंचमी
21 अगस्त 2023 को सावन के 7वें सोमवार पर नाग पंचमी भी रहेगी. साथ ही इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं. 21 अगस्त को शुभ नामक योग बनेगा और चित्रा नक्षत्र भी रहेगी. इस साल नाग पंचमी का पर्व अधिकमास के बाद और सावन सोमवार के दिन पड़ रहा है. माना जा रहा है कि ऐसा संयोग पूरे 24 साल बाद बना है.
सावन सोमवार और नाग पंचमी पर शुभ योग और पूजा मुहूर्त
शुभ योग: 20 अगस्त 2023 रात 09:59 से 21 अगस्त 2023 रात 10:21 तक
शुक्ल योग: 21 अगस्त 2023 रात 10:21 से 22 अगस्त 2023 रात 10:18 तक
पूजा मुहूर्त: 21 अगस्त 2023 सुबह 06:21 से सुबह 08:53 तक
उत्तम मुहूर्त: 21 अगस्त 2023 सुबह 09:31 से सुबह 11:06 तक
प्रदोष काल मुहूर्त: 21 अगस्त 2023 शाम 05:27 से रात 08:27 तक
JALORE NEWS
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