ALORE NEWS संघ में एकता एवं शांति हेतु सर्वसम्मति जरूरी- जैनाचार्य
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JALORE NEWS संघ में एकता एवं शांति हेतु सर्वसम्मति जरूरी- जैनाचार्य
जालौर ( 31 अगस्त 2023 ) JALORE NEWS नंदीश्वर जैन तीर्थ में चल रहे आध्यात्मिक चातुर्मास के तहत गुरुवार को धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री हार्दिक रत्न सुरीश्वर जी ने संघ-समाज को एकजुटता एवं कुशल नेतृत्व के साथ सर्वसम्मति से रहने की सीख दी।
आध्यात्मिक चातुर्मास के मीडिया संयोजक हीराचंद भंडारी ने बताया कि आचार्य श्री ने कहा कि संघ एवं समाज में समस्याएं और विवाद होना एक सामान्य बात है। इन विवादों का निपटारा किसी कुशल मार्गदर्शन के माध्यम से ही हो सकता है। इसलिए हमें अपने गुरु भगवंत और समाज के बड़े बुजुर्गों की सलाह का सम्मान करना चाहिए। घर, परिवार और समाज में बड़ों की आज्ञा और सलाह से निर्णय होनी चाहिए। जिस समाज और परिवार में बड़े बुजुर्गों का मार्गदर्शन नहीं होता। जहां गुरु भगवंतों का सानिध्य नहीं होता वहां मनमानी और तानाशाही विकसित हो जाती है। किसी भी बड़े निर्णय को करने से वरिष्ठ जनों की राय लेनी चाहिए। हमें किसी भी विवाद की स्थिति में सिर्फ कोर्ट कचहरी के दरवाजे नजर आते हैं। हम वकील की शरण में चले जाते हैं। जो की ठीक नहीं है। आपसी विवादों का निपटारा आपस में बातचीत चीज से ही संभव होना चाहिए। हमें अपनी मर्यादा का पूर्ण रूपेण ध्यान रखना चाहिए।
आचार्य श्री ने जैन साधु के मान सम्मान और मर्यादा का जिक्र करते हुए कहा कि पूरे देश में हर समाज के लोगों के मन में जैन साधु के प्रति एक आस्था और गहरी श्रद्धा है। इस दौरान आचार्य श्री ने अपने विहार यात्रा के अनेक अनुभव श्रोताओं के साथ साझा किये।
सभा को संबोधित करते हुए मुनिराज श्री ज्ञान कलश विजय जी महाराज साहब ने कहा कि अहंकार और मोह मानव की कमजोरी होती है। किसी समाज में अहंकार आपस में टकराता है तो समाज में विघटन होता है। जब किसी परिवार में अंहकार आपस में टकराता है तो परिवार में बिखराव पैदा होता है। हमें झूठा अभियान कभी नहीं पालना चाहिए। आपस में प्रेम एवं शांति से रहना चाहिए
प्रवचन समारोह के दौरान पधारे हुए महानुभावों का भंडारी परिवार की ओर से आभार- अभिनंदन व्यक्त किया गया।
चिंतामणि तप कल से:
चातुर्मास के अंतर्गत आचार्य भगवंत की पावन निश्रा में कल शनिवार से छह दिवसीय चिंतामणि तप का आरंभ होगा। आचार्य श्री ने अधिक से अधिक श्रावक -श्राविकाओं को तप करने की प्रेरणा दी।
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