PM’s address in the 105th Episode of ‘Mann Ki Baat’ 'मन की बात' के 105वें एपिसोड में पीएम का संबोधन किया
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PM’s address in the 105th Episode of ‘Mann Ki Baat’ 'मन की बात' के 105वें एपिसोड में पीएम का संबोधन किया
नई दिल्ली ( 24 सितम्बर 2023 ) PM Modi Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में उन्होंने महिला चांद पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग से लेकर जी20 के सफल आयोजन तक पर बात की. आज 'मन की बात' कार्यक्रम का 105वां एपिसोड रहा. जी20 की आपार सफलता के बाद ये पहला मन की बात कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बताया कि किस तरह उन्हें देश के कोने-कोने से संदेश मिल रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि एक बार फिर से मुझे अपने देश और देशवासियों की सफलता को साझा करने का अवसर मिला है. इन दिनों सबसे ज्यादा संदेश मुझे चंद्रयान-3 की लैंडिंग और दिल्ली में जी20 के सफल आयोजन को लेकर मिले हैं. उन्होंने कहा कि समाज के हर हिस्से और हर वर्ग से मुझे ढेरों संदेश मिले हैं. चंद्रयान-3 की लैंडिंग का करोड़ों लोग साक्षी बने. इसरो के यूट्यूब चैनल पर 80 लाख लोगों ने इस पूरी घटना को देखा. ये अपने में ही एक रिकॉर्ड है.
'मन की बात' के 105वें एपिसोड में पीएम का संबोधन में क्या कहा जाने PMINDIAPMINDIA
मेरे प्यारे परिवारजनों, नमस्कार। 'मन की बात' के एक और एपिसोड में मुझे देश की सफलता, देशवासियों की सफलता, आप सभी से साझा करने का अवसर मिला है; उनकी प्रेरक जीवन यात्रा। इन दिनों मुझे मिलने वाले अधिकतर पत्र और संदेश मुख्यतः दो विषयों पर हैं। पहला है चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और दूसरा विषय है दिल्ली में जी-20 की सफल मेजबानी. मुझे देश के हर हिस्से से, समाज के हर वर्ग से, हर उम्र के लोगों से अनगिनत पत्र मिले हैं। जब चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा पर उतरने वाला था तो करोड़ों लोग एक साथ अलग-अलग माध्यमों से इस घटना के हर पल को देख रहे थे. इस घटना को इसरो के यूट्यूब लाइव चैनल पर 80 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा; जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इससे पता चलता है कि करोड़ों भारतीयों का चंद्रयान-3 से कितना गहरा लगाव है. चंद्रयान की इस सफलता पर इन दिनों देश में एक अद्भुत क्विज प्रतियोगिता चल रही है...और इसे नाम दिया गया है- 'चंद्रयान-3 महाक्विज'. MyGov पोर्टल पर हो रही इस प्रतियोगिता में अब तक 15 लाख से ज्यादा लोग हिस्सा ले चुके हैं. MyGov के लॉन्च के बाद यह किसी भी क्विज़ में सबसे बड़ी भागीदारी है। मैं यह भी सुझाव दूंगा कि यदि आपने अभी तक इसमें भाग नहीं लिया है तो देर न करें, अभी छह दिन और बचे हैं। इस क्विज में जरूर हिस्सा लें. MyGov के लॉन्च के बाद यह किसी भी क्विज़ में सबसे बड़ी भागीदारी है। मैं यह भी सुझाव दूंगा कि यदि आपने अभी तक इसमें भाग नहीं लिया है तो देर न करें, अभी छह दिन और बचे हैं। इस क्विज में जरूर हिस्सा लें. MyGov के लॉन्च के बाद यह किसी भी क्विज़ में सबसे बड़ी भागीदारी है। मैं यह भी सुझाव दूंगा कि यदि आपने अभी तक इसमें भाग नहीं लिया है तो देर न करें, अभी छह दिन और बचे हैं। इस क्विज में जरूर हिस्सा लें.
मेरे परिवारजनों, चंद्रयान-3 की सफलता के बाद जी-20 की भव्य मेजबानी ने हर भारतीय की खुशी दोगुनी कर दी। भारत मंडपम अपने आप में एक सेलिब्रिटी बन गया है। लोग इसके साथ सेल्फी ले रहे हैं और गर्व के साथ पोस्ट भी कर रहे हैं. इस शिखर सम्मेलन में भारत ने अफ्रीकी संघ को जी-20 का पूर्ण सदस्य बनाकर अपने नेतृत्व की क्षमता को साबित किया है। आप जानते ही होंगे कि जिस समय भारत बहुत समृद्ध था, सिल्क रूट हमारे देश और दुनिया में चर्चा का हिस्सा था। यह सिल्क रूट व्यापार और व्यवसाय का एक प्रमुख माध्यम था। अब आधुनिक समय में भारत ने जी-20 में एक और इकोनॉमिक कॉरिडोर का सुझाव दिया है। यह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा है। ये गलियारा आने वाले सैकड़ों वर्षों तक विश्व व्यापार का आधार बनने वाला है और इतिहास हमेशा याद रखेगा कि इस गलियारे की शुरुआत भारत की धरती पर हुई थी।
साथियों, आज जी-20 के दौरान भारत की युवा शक्ति ने इस आयोजन से खुद को कैसे जोड़ा, इस पर विशेष उल्लेख की आवश्यकता है। पूरे साल देश के कई विश्वविद्यालयों में जी-20 से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किये गये. इसी कड़ी में अब दिल्ली में एक और रोमांचक कार्यक्रम होने जा रहा है- 'जी20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम'। इस कार्यक्रम के माध्यम से देशभर के लाखों विश्वविद्यालय छात्र एक-दूसरे से जुड़ेंगे। इसमें आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और मेडिकल कॉलेज जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थान भी भाग लेंगे। मैं चाहता हूं कि अगर आप कॉलेज स्टूडेंट हैं तो 26 सितंबर को होने वाले इस कार्यक्रम को जरूर देखें और इसमें शामिल हों। इसमें भारत के भविष्य और युवाओं के भविष्य पर कई दिलचस्प आदान-प्रदान होने वाले हैं। मैं स्वयं इस कार्यक्रम में भाग लूंगा।
मेरे परिवार वालों, अब से दो दिन बाद 27 सितम्बर को 'विश्व पर्यटन दिवस' है। कुछ लोग पर्यटन को सिर्फ घूमने-फिरने के साधन के रूप में देखते हैं, लेकिन पर्यटन का एक बहुत बड़ा पहलू रोजगार से जुड़ा है। कहा जाता है कि यदि कोई क्षेत्र न्यूनतम निवेश में सर्वाधिक रोजगार पैदा करता है तो वह पर्यटन क्षेत्र है। पर्यटन क्षेत्र को बढ़ाने में किसी भी देश के प्रति सद्भावना और आकर्षण बहुत मायने रखता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत के प्रति आकर्षण काफी बढ़ा है और जी-20 के सफल आयोजन के बाद तो दुनिया के लोगों का भारत के प्रति आकर्षण और भी बढ़ गया है।
मित्रों, G-20 के लिए एक लाख से अधिक प्रतिनिधि भारत आये। वे यहां की विविधता से परिचित हुए; अलग-अलग परंपराएं, अलग-अलग तरह के व्यंजन और हमारी विरासत। यहां आए प्रतिनिधि जो अद्भुत अनुभव अपने साथ ले गए हैं, उससे पर्यटन का और विस्तार होगा। आप सभी जानते हैं कि भारत में विश्व धरोहर स्थल हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अभी कुछ दिन पहले ही शांतिनिकेतन और कर्नाटक के पवित्र होयसल मंदिरों को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। मैं इस अद्भुत उपलब्धि के लिए सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। मुझे 2018 में शांति निकेतन जाने का सौभाग्य मिला। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर शांति निकेतन से जुड़े रहे हैं। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन का आदर्श वाक्य एक प्राचीन संस्कृत श्लोक से लिया था। वह श्लोक है-
“यत्रविश्वंभवत्येकनीदम”
यानी जहां एक छोटे से घोंसले में पूरी दुनिया समा सकती है.
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर्नाटक के होयसला मंदिर 13वीं शताब्दी की उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों को यूनेस्को से मान्यता मिलना भारतीय मंदिर निर्माण परंपरा का भी सम्मान है। भारत में विश्व धरोहर संपत्तियों की कुल संख्या अब 42 तक पहुंच गई है। यह भारत का प्रयास है कि हमारे अधिक से अधिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थानों को विश्व धरोहर स्थलों के रूप में मान्यता मिले। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं... जब भी आप कहीं यात्रा करने की योजना बनाएं, तो भारत की विविधता को देखने का प्रयास करें। विभिन्न राज्यों की संस्कृति को समझें. विरासत स्थलों का भ्रमण करें। इससे आप न सिर्फ हमारे देश के गौरवशाली इतिहास से परिचित होंगे; आप स्थानीय लोगों की आय बढ़ाने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेंगे।
मेरे परिवार के सदस्य, भारतीय संस्कृति और संगीत अब वैश्विक हो गए हैं। उनके प्रति दुनिया भर के लोगों का आकर्षण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। मैं आपको एक प्यारी बेटी द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुति का एक छोटा सा ऑडियो सुना रहा हूँ...
####ऑडियो-गीत
ये बात सुनकर आप भी हैरान हो गए ना? कितनी मधुर आवाज़ है... और हर शब्द में झलकती भावनाओं के माध्यम से, हम भगवान के प्रति उसके प्यार को महसूस कर सकते हैं। अगर मैं बताऊं कि ये सुरीली आवाज जर्मनी की एक बेटी की है तो शायद आप और भी हैरान हो जाएंगे! इस बेटी का नाम है- कासमी. 21 साल की कासमी इन दिनों इंस्टाग्राम पर काफी पॉपुलर हैं. जर्मनी की रहने वाली कासमी कभी भारत नहीं आईं, लेकिन वह भारतीय संगीत की ऐसी प्रशंसक हैं, जिन्होंने कभी भारत देखा भी नहीं। भारतीय संगीत में उनकी रुचि बहुत प्रेरणादायक है। कासमी जन्म से ही दृष्टिहीन हैं, लेकिन यह कठिन चुनौती भी उन्हें असाधारण उपलब्धियों से नहीं रोक पाई। संगीत और रचनात्मकता के प्रति उनका जुनून ऐसा था कि उन्होंने बचपन से ही गाना शुरू कर दिया था। उन्होंने महज 3 साल की उम्र में अफ्रीकन ड्रमिंग शुरू कर दी थी। 5-6 साल पहले ही उनका भारतीय संगीत से परिचय हुआ था। भारत के संगीत ने उन्हें इतना मोहित किया कि वह उसमें पूरी तरह रम गईं। उन्होंने तबला बजाना भी सीखा है। सबसे प्रेरणादायक बात यह है कि उन्हें कई भारतीय भाषाओं में गायन में महारत हासिल है। संस्कृत, हिंदी, मलयालम, तमिल, कन्नड़ या असमिया, बंगाली, मराठी, उर्दू, उन्होंने इन सभी में अपने नोट्स में महारत हासिल की है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर किसी को दूसरी अनजान भाषा की दो-तीन लाइनें बोलनी हों तो कितनी मुश्किल होती है, लेकिन कासमी के लिए यह बच्चों के खेल जैसा है। आप सभी के लिए मैं यहां कन्नड़ में गाया उनका एक गाना साझा कर रहा हूं। उसने उन सभी में अपने नोट्स में महारत हासिल कर ली है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर किसी को दूसरी अनजान भाषा की दो-तीन लाइनें बोलनी हों तो कितनी मुश्किल होती है, लेकिन कासमी के लिए यह बच्चों के खेल जैसा है। आप सभी के लिए मैं यहां कन्नड़ में गाया उनका एक गाना साझा कर रहा हूं। उसने उन सभी में अपने नोट्स में महारत हासिल कर ली है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर किसी को दूसरी अनजान भाषा की दो-तीन लाइनें बोलनी हों तो कितनी मुश्किल होती है, लेकिन कासमी के लिए यह बच्चों के खेल जैसा है। आप सभी के लिए मैं यहां कन्नड़ में गाया उनका एक गाना साझा कर रहा हूं।
###ऑडियो - गाना
मैं भारतीय संस्कृति और संगीत के प्रति जर्मनी के कासमी के जुनून की तहे दिल से सराहना करता हूं। उनके प्रयास हर भारतीय को अभिभूत करने वाले हैं।'
मेरे प्रिय परिवारजनों, हमारे देश में शिक्षा को हमेशा एक सेवा के रूप में देखा जाता है। मुझे उत्तराखंड के कुछ युवाओं के बारे में पता चला है, जो इसी भावना से बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी 'घोड़ा लाइब्रेरी' शुरू की है। इस लाइब्रेरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां सुदूर इलाकों में भी बच्चों तक किताबें पहुंच रही हैं और इतना ही नहीं यह सेवा बिल्कुल मुफ्त है। अब तक नैनीताल के 12 गांवों को इससे कवर किया जा चुका है। बच्चों की शिक्षा से जुड़े इस नेक काम में स्थानीय लोग भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं. इस घोड़ा लाइब्रेरी के माध्यम से यह प्रयास किया जा रहा है कि सुदूर गांवों में रहने वाले बच्चों को स्कूली किताबों के अलावा 'कविताएं', 'कहानियां' और 'नैतिक शिक्षा' की किताबें पढ़ने का पूरा मौका मिले। यह अनोखी लाइब्रेरी बच्चों को भी काफी पसंद आती है.
मित्रों, मुझे हैदराबाद में पुस्तकालयों से जुड़ा एक ऐसा ही अनोखा प्रयास पता चला है। यहां सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी आकर्षणा सतीश ने कमाल कर दिखाया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि महज 11 साल की उम्र में वह बच्चों के लिए एक या दो नहीं बल्कि सात लाइब्रेरी चला रही हैं। आकर्षण को इसकी प्रेरणा दो साल पहले मिली जब वह अपने माता-पिता के साथ एक कैंसर अस्पताल गई थी। उनके पिता वहां जरूरतमंदों की मदद के लिए गए थे. वहां के बच्चों ने उससे 'रंगीन किताबें' मांगी और यही बात इस प्यारी गुड़िया को इतनी छू गई कि उसने अलग-अलग तरह की किताबें इकट्ठा करने का फैसला कर लिया। उन्होंने अपने आस-पड़ोस, रिश्तेदारों और दोस्तों से किताबें इकट्ठा करना शुरू किया और आपको यह जानकर खुशी होगी कि उसी कैंसर अस्पताल में बच्चों के लिए पहली लाइब्रेरी खोली गई थी। इस बेटी ने अब तक जरूरतमंद बच्चों के लिए अलग-अलग जगहों पर जो सात पुस्तकालय खोले हैं, उनमें अब लगभग 6 हजार किताबें उपलब्ध हैं। नन्हीं आकर्षणा जिस तरह से बच्चों का भविष्य संवारने में बेहतरीन काम कर रही हैं, वह हर किसी को प्रेरित कर रहा है।
दोस्तों यह सच है कि आज का युग डिजिटल टेक्नोलॉजी और ई-बुक्स का है, लेकिन फिर भी किताबें हमारे जीवन में हमेशा एक अच्छे दोस्त की भूमिका निभाती हैं। इसलिए हमें बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
मेरे परिवारजनों, हमारे शास्त्रों में कहा गया है-
जीवेषुकरुणाचापि, मैत्रीतेषुविधिताम्।
अर्थात् प्राणियों पर दया करो और उन्हें अपना मित्र बनाओ। हमारे अधिकांश देवी-देवताओं के वाहक पशु-पक्षी हैं। बहुत से लोग भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिरों में जाते हैं, लेकिन वे उन जानवरों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते जो उन्हें ले जाते हैं। ये जीव न केवल हमारी आस्था के केंद्र में बने रहने चाहिए, बल्कि हमें हर संभव तरीके से इनकी रक्षा भी करनी चाहिए। पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में शेर, बाघ, तेंदुओं और हाथियों की संख्या में सराहनीय वृद्धि देखी गई है। इस धरती पर रहने वाले अन्य जानवरों को बचाने के लिए कई अन्य प्रयास भी लगातार चल रहे हैं। ऐसा ही एक अनोखा प्रयास राजस्थान के पुष्कर में भी किया जा रहा है। यहां सुखदेव भट्ट जी और उनकी टीम मिलकर जंगली जानवरों को बचाने का काम कर रही है और क्या आप जानते हैं उनकी टीम का नाम क्या है? उनकी टीम का नाम है- कोबरा. ये खतरनाक नाम इसलिए है क्योंकि उनकी टीम इस इलाके में जानलेवा सांपों को रेस्क्यू करने का भी काम करती है. इस टीम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं, जो एक कॉल पर ही मौके पर पहुंच जाते हैं और अपने मिशन में जुट जाते हैं. सुखदेवजी अब तक 30 हजार से भी ज्यादा जहरीले सांपों की जान बचा चुके हैं। इस प्रयास से जहां लोगों पर खतरा कम हुआ है; प्रकृति का भी संरक्षण हो रहा है. यह टीम बीमार जानवरों की सेवा में भी जुटी हुई है.
दोस्तों, तमिलनाडु के चेन्नई में ऑटो ड्राइवर एम. राजेंद्र प्रसाद जी भी एक अनोखा काम कर रहे हैं। वह पिछले 25-30 सालों से कबूतरों की सेवा में लगे हुए हैं. उनके खुद के घर में 200 से ज्यादा कबूतर हैं. वहीं वह पक्षियों की हर जरूरत जैसे भोजन, पानी, स्वास्थ्य आदि का पूरा ख्याल रखते हैं। इस पर वह काफी पैसे भी खर्च करते हैं, लेकिन वह अपने काम में दृढ़ हैं। दोस्तों, लोगों को नेक इरादे से ऐसे काम करते हुए देखना वाकई बहुत संतुष्टि देता है, बहुत खुशी देता है। अगर आपको भी ऐसे ही कुछ अनूठे प्रयासों की जानकारी मिले तो इसे शेयर करें।
मेरे प्रिय परिजनो, ये आज़ादी का अमृतकाल देश के हर नागरिक के लिए कर्तव्य का काल भी है। अपने कर्तव्यों का पालन करके ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। कर्तव्य की भावना हम सभी को एक साथ बांधती है। यूपी के संभल में देश ने कर्तव्य बोध का एक ऐसा उदाहरण देखा है, जिसे मैं आपके साथ भी साझा करना चाहता हूं। जरा सोचिए...70 से ज्यादा गांव, हजारों की आबादी और सभी लोग एक साथ आकर एक लक्ष्य हासिल करने के लिए एकजुट हो जाएं...ऐसा कम ही होता है, लेकिन संभल के लोगों ने ये कर दिखाया है। इन लोगों ने मिलकर जनभागीदारी और सामूहिक प्रयास की अद्भुत मिसाल कायम की है। दरअसल, दशकों पहले इस इलाके में 'सोत' नाम की एक नदी हुआ करती थी. अमरोहा से निकलकर संभल से होते हुए बदायूं तक बहने वाली यह नदी कभी इस क्षेत्र में जीवनदायिनी के रूप में जानी जाती थी। इस नदी में लगातार पानी बहता रहता था, जो यहां के किसानों के लिए खेती का मुख्य आधार था। समय के साथ नदी का प्रवाह कम हो गया, जिन रास्तों से नदी बहती थी उन पर अतिक्रमण हो गया और यह नदी विलुप्त हो गई। नदी को मां मानने वाले हमारे देश में संभल के लोगों ने सोत्रिवर को भी जीवित करने का संकल्प लिया है। पिछले साल दिसंबर में 70 से अधिक ग्राम पंचायतों ने मिलकर सोत नदी के पुनर्जीवन का काम शुरू किया था। ग्राम पंचायत के लोगों ने सरकारी विभागों को भी अपने साथ लिया। आपको जानकर खुशी होगी कि साल के पहले छह महीने में ही इन लोगों ने 100 किलोमीटर से ज्यादा नदी का जीर्णोद्धार कर दिया है। जब बरसात का मौसम शुरू हुआ तो यहां के लोगों की मेहनत रंग लाई और सोत नदी पानी से लबालब भर गई। यहां के किसानों के लिए यह बहुत बड़ी खुशी का अवसर बनकर आया है। लोगों ने नदी के किनारे 10 हजार से ज्यादा बांस के पौधे भी लगाए हैं, ताकि इसके किनारे पूरी तरह सुरक्षित रहें. नदी के पानी में तीस हजार से ज्यादा गंबूसिया मछलियां भी छोड़ी गई हैं ताकि मच्छर न पनपें. साथियों, सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों को पार करके बड़ा बदलाव ला सकते हैं। कर्तव्य पथ पर चलते हुए आप भी अपने आसपास ऐसे कई बदलावों का माध्यम बन सकते हैं। सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों पर विजय पा सकते हैं और बड़ा बदलाव ला सकते हैं। कर्तव्य पथ पर चलते हुए आप भी अपने आसपास ऐसे कई बदलावों का माध्यम बन सकते हैं। सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों पर विजय पा सकते हैं और बड़ा बदलाव ला सकते हैं। कर्तव्य पथ पर चलते हुए आप भी अपने आसपास ऐसे कई बदलावों का माध्यम बन सकते हैं।
मेरे परिवार वालों, जब इरादे पक्के हों और कुछ सीखने का जुनून हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं रहता। इस बात को पश्चिम बंगाल की श्रीमती शकुंतला सरदार ने बिल्कुल सही साबित कर दिखाया है। आज वह कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। शकुंतलाजी जंगल महल के शतानाला गांव की रहने वाली हैं। काफी समय तक उनका परिवार प्रतिदिन मजदूरी करके अपना गुजारा करता था। उसके परिवार के लिए जीवित रहना कठिन था। फिर उन्होंने नई राह पर चलने का फैसला किया और सफलता हासिल कर सभी को चौंका दिया। आप यह जरूर जानना चाहेंगे कि उन्होंने यह उपलब्धि कैसे हासिल की! उत्तर है- एक सिलाई मशीन. उन्होंने सिलाई मशीन का उपयोग करके 'साल' के पत्तों पर सुंदर डिज़ाइन बनाना शुरू किया। उनके इस हुनर ने पूरे परिवार की जिंदगी बदल दी। उनके बनाए इस अद्भुत शिल्प की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। शकुंतलाजी के इस हुनर ने न सिर्फ उनकी बल्कि साल के पत्ते इकट्ठा करने वाले कई लोगों की जिंदगी भी बदल दी है। अब वह कई महिलाओं को ट्रेनिंग देने का काम भी कर रही हैं. कल्पना कीजिए... एक परिवार, जो कभी मजदूरी पर निर्भर था, आज दूसरों को रोजगार के लिए प्रेरित कर रहा है। उन्होंने दैनिक मजदूरी पर निर्भर अपने परिवार को अपने पैरों पर खड़ा किया है। इससे उनके परिवार को अन्य चीजों पर भी ध्यान केंद्रित करने का मौका मिला है। कुछ और हुआ...जैसे ही शकुंतलाजी की हालत बेहतर हुई, उन्होंने बचत करना भी शुरू कर दिया। अब उसने अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए जीवन बीमा योजनाओं में निवेश करना शुरू कर दिया है। शकुंतलाजी की भावना की जितनी भी सराहना की जाए वह पर्याप्त नहीं होगी। भारत के लोग ऐसी प्रतिभा से भरे हुए हैं - उन्हें अवसर दें और देखें कि वे क्या चमत्कार करते हैं!
दोस्तों, दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान का वो नजारा कौन भूल सकता है, जब विश्व के कई नेता एक साथ राजघाट पर बापू को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। यह इस बात का बड़ा प्रमाण है कि दुनिया भर में आज भी बापू के विचार कितने प्रासंगिक हैं। मुझे इस बात की भी खुशी है कि गांधी जयंती के अवसर पर देशभर में स्वच्छता से संबंधित अनेक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई गई है। केंद्र सरकार के सभी दफ्तरों में 'स्वच्छता ही सेवाअभियान' बड़े जोर-शोर से चल रहा है। इंडियनस्वच्छता लीग में भी महत्वपूर्ण भागीदारी देखने को मिल रही है। मैं आज 'मन की बात' के माध्यम से सभी देशवासियों से आग्रह भी करना चाहता हूं- 1 अक्टूबर यानी रविवार को सुबह 10 बजे स्वच्छता पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है। आप भी समय निकालकर स्वच्छता से जुड़े इस अभियान में मदद करें। आप भी अपनी गली में इस स्वच्छता अभियान से जुड़ सकते हैं, या पड़ोस...या किसी पार्क, नदी, झील या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर और जहां भी अमृतसरोवर बनाया गया है वहां सफाई अवश्य की जानी चाहिए। स्वच्छता की यह कार्यांजलि ही गांधीजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मैं आपको फिर से याद दिलाना चाहूंगा कि गांधी जयंती के इस अवसर पर, कुछ खादी उत्पाद खरीदने का निश्चय करें।
मेरे परिवारजनों, हमारे देश में त्योहारों का मौसम भी शुरू हो गया है। आप सभी भी घर में कुछ नया खरीदने का प्लान कर रहे होंगे। नवरात्रि के दौरान एक-दो शुभ कार्य शुरू करने का इंतजार रहेगा। उत्साह और उमंग के इस माहौल में, आपको वोकल फॉर लोकल का मंत्र भी याद रखना होगा। जहां तक संभव हो आपको भारत में बना सामान खरीदना चाहिए, भारतीय उत्पाद का उपयोग करना चाहिए और भारत में बना सामान ही उपहार में देना चाहिए। आपकी छोटी सी ख़ुशी किसी और के परिवार के लिए अपार ख़ुशी का कारण बनेगी। आप जो भी भारतीय सामान खरीदेंगे, उसका सीधा लाभ हमारे श्रमिक, श्रमिक, शिल्पकार और अन्य विश्वकर्मा भाई-बहनों को होगा। आजकल कई स्टार्ट-अप भी स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दे रहे हैं। अगर आप स्थानीय वस्तुएं खरीदेंगे तो इससे स्टार्टअप वाले इन युवाओं को भी लाभ होगा।
मेरे प्यारे परिवारजन
'मन की बात' में आज बस इतना ही। अगली बार जब मैं आपसे 'मन की बात' में मिलूंगा, तब तक नवरात्रि और दशहरा ख़त्म हो चुका होगा। त्योहारों के इस मौसम में आप भी हर त्योहार पूरे उत्साह से मनाएं... आपके परिवार में खुशियां आएं- यही मेरी कामना है। इन त्योहारों की आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। मैं फिर आपसे मिलूंगा, नये विषयों के साथ, देशवासियों की नयी सफलता की कहानियों के साथ। मुझे अपने संदेश भेजते रहो; अपने अनुभव साझा करना न भूलें. मैं इंतजार करूंगा.
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
नमस्कार
प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी
PM’s address in the 105th Episode of ‘Mann Ki Baat’
My dear family members, Namaskar. In yet another episode of ‘Mann Ki Baat’, I have got the opportunity to share with you all, the success of the country, the success of the countrymen; their inspiring life journey. These days, most of the letters and messages I have received are largely on two subjects. The first is the successful landing of Chandrayaan-3 and the second topic is the successful hosting of G-20 in Delhi. I have received countless letters from every part of the country, across every section of the society, and people of all ages. When the lander of Chandrayaan-3 was about to land on the Moon, crores of people were simultaneously witnessing each and every moment of this event through different mediums. More than 80 lakh people watched this incident on ISRO’s YouTube Live Channel; which is a record in itself. This conveys how deep the attachment of crores of Indians is to Chandrayaan-3. On this success of Chandrayaan, a wonderful quiz competition is going on in the country these days… and it has been named – ‘Chandrayaan-3 Mahaquiz’. So far, more than 15 lakh people have participated in this competition being held on MyGov portal. This is the largest participation in any quiz after the launch of MyGov. I would also suggest that if you have not yet participated in it, do not delay, there are still six more days left. Do take part in this quiz.
My family members, after the success of Chandrayaan-3, the grand hosting of G-20 doubled the joy of every Indian. Bharat Mandapam has turned out tobe a celebrity in itself. People are taking selfies with it and also posting them with pride. In this summit, India has proved the mettle of her leadership by making African Union a full member of G-20. You must be aware that duringthe time when India was very prosperous, the Silk Route was a part of discourse in our country and in the world. This Silk Route was a major medium of business and trade. Now in modern times, India has suggested another Economic Corridor in G-20. This is the India-Middle East-Europe Economic Corridor. This corridor is going to become the basis of world trade for hundreds of years to come, and history will always remember that this corridor was initiated on Indian soil.
Friends, today a special mention is required on the way India’s youth power associated itself with this event during the G-20. Throughout the year, programs related to G-20 were held in many universities of the country. In this series now, another exciting program is going to happen in Delhi – the ‘G20 University Connect Programme’. Through this programme, lakhs of university students across the country will connect with each other. Many prestigious institutions like IITs, IIMs, NITs and Medical Colleges will also participate in it. I wish that if you are a college student, you must watch this program to be held on the 26th September and join it. In this, many interesting exchanges are going to take place on the future of India and on the future of the youth. I myself shall participate in this program. I am also waiting to communicate with our college students.
My family members, two days from now, the 27th September, is ‘World Tourism Day’. Some people view tourism just as a means of touring and travelling, but a very big aspect of tourism is related to employment. It is said that if any sector generates maximum employment with minimum investment, it is the tourism sector. In enhancing the tourism sector, goodwill and attraction towards any country matter a lot. The fascination towards India has risen a lot in the last few years and after the successful organization of G-20, the interest of the people of the world towards India has grown further.
Friends, more than one lakh delegates came to India for G-20. They got acquainted with the diversity here; different traditions, different types of cuisines and our heritage. The wonderful experiences that the delegates who came here have carried back with them will further expand tourism. You all know that there are world heritage sites in India and their number is continuously rising. Just a few days ago, Shantiniketan and the holy Hoysala temples of Karnataka have been declared world heritage sites. I congratulate all the countrymen for this wonderful achievement. I had the privilege of visiting Shanti Niketan in 2018. Gurudev Rabindranath Tagore had been associated with Shanti Niketan. Gurudev Rabindranath Tagore had derived the motto of Shantiniketan from an ancient Sanskrit verse. That verse is –
“YatraVishwamBhavatyekNeedam”
That is, where a small nest can contain the entire world.
The Hoysala temples of Karnataka, which have been included in the UNESCO World Heritage List, are known for their excellent architecture of the 13th century. These temples getting recognition from UNESCO is also an honor to the Indian tradition of temple building. The total number of World Heritage Properties in India has now reached 42. It is India’s endeavorto ensure as many of our historical and cultural places as possible get recognized as World Heritage Sites. I urge all of you … whenever you plan to travel somewhere, try to observe the diversity of India. Understand the culture of different states. Visit Heritage Sites. With this, not only will you become familiar with the glorious history of our country; you will also become an important medium to increase the income of the local people.
My family members, Indian culture and music have now become global. The fascination of people all over the world towards them is increasing day by day. I am playing you a short audio of a presentation made by a lovely daughter…
####Audio-Song
You were also surprised to listen to this, weren’t you? What a sweet voice… and through the emotions reflected in every word, we can feel her love for God. If I disclose that this melodious voice belongs to a daughter from Germany, perhaps you will be even more surprised!The name of this daughter is – Kasmi. 21 year old Kasmi is quite popular on Instagram these days. Kasmi, a resident of Germany, has never been to India, but she is a fan of Indian music, who has never even seen India. Her interest in Indian music is very inspiring. Kasmi has been blind since birth, but this difficult challenge did not stop her from extraordinary achievements. Her passion for music and creativity was such that she started singing right from her childhood. She started African Drumming at the age of just 3 years. She was introduced to Indian music just 5-6 years ago. The music of India fascinated her so much that she got completely engrossed in it. She has also learned to play the tabla. The most inspiring thing is that she has mastered singing in many Indian languages. Sanskrit, Hindi, Malayalam, Tamil, Kannada or Assamese, Bengali, Marathi, Urdu, she has mastered her notes in all of them. You can imagine how difficult it is if someone has to speak two-three lines of another unknown language, but for Kasmi it is like child’s play. For all of you, I am sharing here one of her songs sung in Kannada.
###Audio – Song
I wholeheartedly appreciate Germany’s Kasmi’s passion for Indian culture and music. Her efforts are going to overwhelm every Indian.
My dear family members, in our country education is always seen as a service. I have come to know about some youth of Uttarakhand, who are working for the education of children with the same spirit. Some youth in Nainital district have started unique‘Ghoda Library’ for children. The biggest feature of this library is that books are reaching children even in the most remote areas and not only this, the service is absolutely free. Till now 12 villages of Nainital have been covered through this. Local people are also coming forward to help in this noble cause related to children’s education. Through this Ghoda Library, an effort is being made that the children living in remote villages get full opportunity to read ‘poems’, ‘stories’ and ‘moral education’ books apart from school books. This unique library is also much liked by the children.
Friends, I have come to know a similar unique effort related to libraries in Hyderabad. Here, daughter Akarshana Satish studying in seventh class has done wonders. You may be surprised to know that at just 11 years of age, she is running not one or two, but seven libraries for children. Akarshana got her inspiration two years ago when she went to a cancer hospital with her parents. Her father had gone there to help the needy. The children there asked her for ‘Colouring Books’, and this very thing touched this lovely doll so much that she decided to collect different types of books. She started collecting books from herneighbourhood, relatives and friends and you will be happy to know that the first library was opened for children in the same cancer hospital. Around 6 thousand books are now available in the seven libraries that this daughter has opened so far at different places for needy children. The way little Akarshna is doing a great job in shaping the future of children, is inspiring everyone.
Friends, it is true that today’s era is of Digital Technology and E-Books, but still books always play the role of a good friend in our lives. Hence, we should motivate children to read books.
My family members, it has been said in our scriptures –
JeeveshuKarunaChapi, MaitriTeshuVidhiyatam.
That is, have compassion on living beings and make them your friends. Most of our deities’ carriers are animals and birds. Many people visit temples to have darshan of God, but they do not pay much attention to the animals that transport them. These creatures should not only remain at the centre of our faith, we should also protect them in every possible way. During the last few years, in the country, a commendable rise has been observed in the numbers of lions, tigers, leopards and elephants. Many other efforts are also going on continuously to save other animals living on this earth. A similar unique effort is also being undertaken in Pushkar, Rajasthan. Here, Sukhdev Bhatt ji and his team are working together to save wild animals, and do you know what the name of their team is? His team’s name is – Cobra. This dangerous name is because his team also works to rescue deadly snakes in this area. A large number of people are involved in this team, who reach the spot on just a call and get involved in their mission. Sukhdevji has till now saved the lives of more than 30 thousand venomous snakes. Through this effort, whereas this has reduced the danger to the people; nature is also being conserved. This team is also involved in the service ofailing animals.
Friends, Auto Driver M. Rajendra Prasad ji is also doing a unique work in Chennai, Tamil Nadu. He has been engaged in the service of pigeons for the last 25-30 years. He himself has more than 200 pigeons in his house. There itself, he takes full care of every need of the birds like food, water, health etc. He spends quite a lot of money on this, but he is steadfast in his work. Friends, seeing people doing such work with good intentions really gives a lot of satisfaction and a lot of joy. If you also get information about some such unique efforts, do share it.
My dear family members, this AzadiKaAmritKaal is also the period of duty for every citizen of the country. Only by performing our duties can we achieve our goals and reach our destination. The sense of duty binds us all together. In Sambhal UP, the country has seen such an example of sense of duty, which I want to share with you too. Just imagine…more than 70 villages, population of thousands and all the people coming together and uniting to achieve one goal…this rarely happens, but the people of Sambhalhave done it. Together, these people have set a wonderful example of public participation and collective effort. Actually, decades ago, there used to be a river named ‘Sot’ in this area. Originating from Amroha and flowing through Sambhal to Badaun, this river was once known as the life giver in this region. Water used to flow continuously in this river, which was the main basis of farming for the farmers here. With time the flow of the river reduced, the paths through which the river flowed were encroached upon and this river became extinct. In our country, which considers the river as a Mother, the people of Sambhal have resolved to bring back to life Sotriver also. In December last year, more than 70 Gram Panchayats together started the work of rejuvenation of the Sot river. The people of Gram Panchayats also took government departments along with them. You will be happy to know that in just the first six months of the year itself, these people had restored more than a 100 kilometres of the river. When the rainy season started, the hard work of the people here bore fruit and the Sot river was filled to the brim with water. This has come as a huge occasion of happiness for the farmers here. People have also planted more than 10 thousand bamboo saplingson the banks of the river, so that her banks remain completely safe. More than thirty thousand Gambusia fish have also been released in the river water so that mosquitoes do not breed. Friends, the example of the Sot river tells us that if we are determined, we can overcome the biggest challenges and bring about a big change. By walking on the path of duty, you too can become the medium of many such changes around you.
My family members, when intentions are firm and there is a passion to learn something, no work remains difficult. SmtShakuntalaSardar of West Bengal has proved this to be absolutely correct. Today she has become an inspiration for many other women. Shakuntalaji is a resident of Shatanala village of Jangal Mahal. For a long time, her family used to earn their livelihood by working as laborers every day. Sheer survival was difficult for her family. Then she decided to tread upon a new path and surprised everyone by achieving success. You would definitely like to know how she achieved this feat! The answer is – a sewing machine. Using a sewing machine, she started making beautiful designs on ‘Sal’ leaves. This skill of hers transformed the life of the entire family. The demand for this amazing craft made by her is ever rising. This skill of Shakuntalaji has changed not only her life but also the lives of many people who collect ‘Sal’ leaves. Now, she is also working on imparting training to many women. Imagine… a family, which was once dependent on labour wages, is now inspiring others to gain employment. She has put her family, which was dependent on daily wages, stand on their feet. This has given her family the opportunity to focus on other things as well. Something more has happened…As soon as Shakuntalaji’s condition got better, she also started saving. Now she has started investing in life insurance plans, for a brighter future of her children. No amount of appreciation forShakuntalaji’sspiritwould be enough. The people of India are full of such talent – give them an opportunity and see what wonders they perform!
Friends, who can forget that sight during the G-20 Summit in Delhi, when many world leaders reached Rajghat together to pay homage to Bapu. This is a big evidence of how relevant Bapu’s thoughts are even today across the world. I am also happy that many programs related to cleanliness have been planned across the country on the occasion of Gandhi Jayanti. The ‘Swachhta Hi SevaAbhiyaan’ is going on with great enthusiasm in all the offices of the Central Government. Significant participation is also being seen in the IndianSwachhata League. Today I also want to urge all the countrymen through ‘Mann Ki Baat’ – a big event on cleanliness is going to be organized on the 1st of October i.e. Sunday at 10 am. You too should take out time and help in this campaign related to cleanliness. You can also join this cleanliness campaign in your street, or neighbourhood…or at a park, river, lake or any other public place and cleanliness must be undertaken wherever an AmritSarovar has been built. This Karyanjali of cleanliness itself will be the true tribute to Gandhiji. I would like to remind you again that on this occasion of Gandhi Jayanti, make it a point to buy some Khadi product.
My family members, the festive season has also commenced in our country. All of you might also be planning to buy something new in the household. One would be waiting to start an auspicious work or two during Navratri. In this atmosphere of fervour and enthusiasm, you must also remember the mantra of Vocal for Local. As far as possible, you should buy goods made in India, use Indian products and gift only Made in India goods. Your little joy will become the cause of immense happiness for someone else’s family. Whatever Indian goods you buy, our laborers, workers, craftspersons and other Vishwakarma brothers and sisters will directly benefit from it. Nowadays, many start-ups are also promoting local products. If you buy local articles, these youth with their start-ups will also benefit.
My dear family members
That’s all for today in ‘Mann Ki Baat’. Next time when I will meet you in ‘Mann Ki Baat’, Navratri and Dussehra would have been over. In this festive season, may you also celebrate every festival with full enthusiasm… may there be happiness in your family – this is my wish. A lot of best wishes to you on these festivals. I shall meet you again, with newer themes, with new success stories of the countrymen. Keep sending me your messages; do not forget to share your experiences. I shall wait.
Thank you very much.
Namaskar
Narendra Modi PM
चंद्रयान-3 महा क्विज' में हिस्सा लेने की अपील की
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम में कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता दिखाती है कि लोगों को इस मिशन से कितना लगाव है. इस मिशन की सफलता के बाद देश में एक कॉम्पिटिशन भी चल रहा है, जिसका नाम 'चंद्रयान-3 महा क्विज'. इस कॉम्पिटिशन में अब तक 15 लाख लोगों ने हिस्सा लिया है. उन्होंने लोगों से गुजारिश की कि वे भी इस महा क्विज में हिस्सा लें, क्योंकि अभी इसे खत्म होने में छह दिन बचे हुए हैं.
चंद्रयान-3 के बाद जी20 की सफलता से खुशी हुई दोगुना
मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद जिस तरह से जी20 सफल रहा है, उसने हर भारतीय की खुशी को दोगुना किया है. भारत मंडपम तो अपने आप में ही एक सेलिब्रिटी की तरह हो गया है. उन्होंने कहा कि जी20 में भारत ने अफ्रीकन यूनियन को सदस्य बनाकर अपना लोहा मनवाया है. अफ्रीकन यूनियन 51 अफ्रीकी देशों का समूह है, जिसे नई दिल्ली में आयोजित हुए जी20 में इस ग्रुप का सदस्य बनाया गया.
'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर' को लेकर क्या बोले पीएम?
रेडियो कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सिल्क रूट की चर्चा की. उन्होंने बताया कि किस तरह इस रूट के जरिए व्यापार किया जाता था. उन्होंने बताया कि ऐसा ही एक रूट फिर से बन रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि जी20 में 'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर' का सुझाव दिया गया है. ये कोरिडोर आने वाले सैकड़ों सालों तक विश्व व्यापार का आधार बनेगा. इतिहास याद रखेगा कि इस कोरिडोर का आधार भारत की धरती पर रखा गया था.
26 सितंबर को दिल्ली में होगा 'जी20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जी20 के आयोजन से जिस तरह से भारतीय युवा जुड़े हैं, उसकी विशेष चर्चा करना जरूरी है. सालभर तक देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज में जी20 से जुड़े प्रोग्राम हुए. इसी कड़ी में अब दिल्ली में एक और कार्यक्रम होने जा रहा है, जिसका नाम 'जी20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम' है. इसके जरिए देशभर के लाखों यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स एक-दूसरे से जुड़ेंगे. इसमें आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और मेडिकल कॉलेज समेत कई प्रतिष्ठित संस्थान भाग लेंगे.
पीएम मोदी ने बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन 26 सितंबर को किया जाएगा. इस कार्यक्रम को न सिर्फ युवा देखें, बल्कि इससे जुड़े भी. भारतीय युवाओं के भविष्य को लेकर इस कार्यक्रम में बहुत सारी दिलचस्प बातें होने वाली हैं. मैं खुद भी इस कार्यक्रम में शामिल होऊंगा. मुझे इस अपने कॉलेज स्टूडेंट्स से बातचीत का इंतजार है.
पर्यटन दिवस पर क्या बोले पीएम?
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस हैं, पर्यटन को कुछ लोग सिर्फ सैर-सपाटे के तोर देखते हैं, लेकिन पर्यटन का एक बहुत बड़ा पहलू रोजगार से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि मेरा आप सबसे आग्रह है कि जब आप कहीं घूमने जाने की योजना बनाएं, तो ये प्रयास करें कि भारत की विविधता की दर्शन करें. जी20 की सफलता के बाद भारत को लेकर लोगों की रुचि और भी ज्यादा बढ़ गई है. भारत में एक से बढ़कर एक विश्व धरोहर मौजूद हैं. भारत में विश्व धरोहरों की संख्या 42 हो गई है.
जर्मनी की इस महिला का किया जिक्र
पीएम मोदी ने बताया कि 21 साल की कैसमी इन दिनों इंस्टाग्राम पर खूब छाई हुई है. जर्मनी की रहने वाली कैसमी कभी भारत नहीं आई है, लेकिन, वो भारतीय संगीत की दीवानी है, जिसने कभी भारत को देखा तक नहीं, उसकी भारतीय संगीत में ये रूचि, बहुत ही उत्साह बढ़ाने वाला है. पीएम ने कहा कि कैसमी बचपन से ही देख नहीं पाती हैं, मगर उन्होंने चुनौतियों के आगे जाते हुए असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं. भारतीय संगीत से उनका परिचय पांच-छह साल पहले ही हुआ है. उन्होंने तबला बजाना भी सीखा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे हैदराबाद में लाइब्रेरी से जुड़े एक ऐसे ही अनूठे प्रयास के बारे में पता चला है. यहां, सातवीं क्लास में पढ़ने वाली बिटिया 'आकर्षणा सतीश' ने तो कमाल कर दिया है. आपको यह जानकार आश्चर्य हो सकता है कि महज 11 साल की उम्र में ये बच्चों के लिए एक-दो नहीं, बल्कि, सात-सात लाइब्रेरी चला रही है. उन्होंने कहा कि आकर्षणा को इसकी प्रेरणा तब मिली जब वह दो साल पहले कैंसर अस्पताल में गई थीं.
पीएम मोदी ने 104वें एपिसोड में क्या कहा था?
इससे पहले मन की बात कार्यक्रम 27 अगस्त को टेलीकास्ट हुआ था। अपने 104वें एपिसोड में पीएम मोदी ने चंद्रयान 3 की सफलता और G-20 की बैठक समेत तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी थी। पीएम मोदी ने संबोधन की शुरुआत चंद्रयान 3 की सफलता के साथ की थी। उन्होंने कहा था कि मिशन चंद्रयान नए भारत की स्पिरिट का प्रतीक है, जो हर हाल में जीतना चाहता है, और हर हाल में जीतना जानता भी है। इस दौरान पीएम ने जी-20 बैठक का भी जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि सितंबर भारत के सामर्थ्य का साक्षी बनने जा रहा है। पीएम ने पर्यटन, डेयरी इंडस्ट्री , वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स और हर घर तिरंगा अभियान पर भी चर्चा की थी।
कार्यक्रम के 103वें एपिसोड में क्या था?
इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने शहीदों के सम्मान में 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान चलाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि 15 अगस्त बिल्कुल पास है। ऐसे में शहीद वीर-वीरांगनाओं को सम्मान देने के लिए 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान शुरू किया जाएगा। जिसके तहत देशभर में शहीदों की याद में कार्यक्रम आयोजित होंगे। इसके अलावा देश की लाखों ग्राम पंचायतों में विशेष शिलालेख भी स्थापित किए जाएंगे।
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