MP New CM: मोहन यादव बने मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री, बीजेपी विधायक दल की बैठक में लगी मुहर
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MP New CM: मोहन यादव बने मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री, बीजेपी विधायक दल की बैठक में लगी मुहर
नई दिल्ली ( 11 दिसंबर 2023 ) हफ्तेभर तक चली उठापठक के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का ऐलान हो गया है. बीजेपी ने मोहन यादव (Mohan Yadav) को मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुना है. कहा जा रहा है कि खुद शिवराज सिंह चौहान ने सीएम पद के लिए मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखा था.
मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं. उन्हें संघ का करीबी माना जाता है. वह शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे. वह 2013 में पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद 2018 में उन्होंने दूसरी बार उज्जैन दक्षिण सीट से चुनाव जीता. मार्च 2020 में शिवराज सरकार के दोबारा बनने के बाद जुलाई में उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया था. दो जुलाई 2020 को शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद सूबे की राजनीति में उनका कद बढ़ा.
उनका जन्म 25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था. वह कई सालों से बीजेपी के साथ थे. इसके साथ ही वह लगातार तीसरी बार विधायक बने. उन्होंने बीजेपी के मोहन यादव ने उज्जैन दक्षिण सीट से कांग्रेस के चेतन प्रेम नारायण को 12941 वोटों से हराया था.
कौन हैं मोहन यादव?
मोहन यादव ने छात्र नेता के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रख दिया था. वह 1982 में माधव साइंस कॉलेज के ज्वॉइंट सेक्रेटरी रहे. इसके बाद 1984 में वह अध्यक्ष बने. 1984 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) उज्जैन के नगर मंत्री पद तक पहुंचे.
बाद में 1988 में उन्हें एबीवीपी के प्रदेश सहमंत्री एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया. वह 1989-90 तक परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री बने. इसी तरह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए वह 1991-1992 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री पद तक पहुंच गए.
वह 1993-1995 में आरएसएस (उज्जैन) शाखा के सहखंड कार्यवाह बने. 1997 में भाजयुमो की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने. बाद में 1998 में पश्चिमी रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य बन गए. 1999 में उन्हें भाजयुमो के उज्जैन संभाग का प्रभारी बनाया गया.
साल 2000-2003 में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की कार्यपरिषद के सदस्य बने. 2000-2003 में उन्हें भाजपा का नगर जिला महामंत्री बनाया गया. 2004 में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने. बाद में 2004 से 2010 में उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद तक पहुंचे. साल 2008 से भारत स्काउट एंड गाइड के जिलाध्यक्ष बने. 2011-2013 में मध्य प्रधेश राज्य पर्यटन विकास निगम बने.
इसके अलावा उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है. उन्हें उज्जैन के समग्र विकास हेतु अप्रवासी भारतीय संगठन शिकागो (अमेरिका) की ओर से महात्मा गांधी पुरस्कार, इस्कॉन इंटरनेशनल फाउंडेशन की ओर से सम्मान और मध्य प्रदेश में पर्यटन के निरंतर विकास हेतु पुरस्कार से नवाजा गया है.
मोहन यादव ने 2023 में चुनाव आयोग कि दिए हलफनामे में बताया है कि उनके पास 42 करोड़ से अधिक की संपत्ति है. इसमें से लगभग 10 करोड़ की चल और 32 करोड़ की अचल संपत्ति है. उनके ऊपर एक भी क्रिमिनल केस दर्ज नहीं है.
बता दें कि मोहन यादव के पास एलएलबी और पीएचडी जैसे डिग्रियां हैं. उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं जिनमें दो बेटे और एक बेटी शामिल है.
भाजपा ने हासिल की थी जबरदस्त जीत
मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन के बूते भाजपा ने राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रखी है. मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान हुआ था और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को की गई थी. भाजपा ने 163 सीटें हासिल कर शानदार जनादेश हासिल किया था, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी.
मोहन यादव को मध्य प्रदेश सीएम बनाने का ऐलान, BJP ने दिये ये 5 संदेश
मध्य प्रदेश में बीजेपी पर्यवेक्षकों ने विधायकों से गहन विचार-विमर्श के बाद मुख्यमंत्री का फैसला कर दिया है. शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव राज्य में शिवराज सिंह चौहान की जगह लेंगे. मध्य प्रदेश की राजनीति में सीएम पद के लिए यादव छुपा रुस्तम साबित हुए हैं. हालांकि पिछली बार जब शिवराज सिंह चौहान को सीएम बनाने की तैयारी हो रही थी उस समय भी मोहन यादव के नाम पर विचार हुआ था. पर इस बार उनके नाम की चर्चा कहीं से भी नहीं हो रही थी. कहा जा रहा कि आरएसएस उनके नाम को लेकर काफी गंभीर था. हालांकि मोहन यादव को बड़बोलेपन के लिए कई बार बहुत आलोचना झेलनी पड़ी है.और भी कई मामलों को लेकर उनका नाम विवादों में रहा है.पर पार्टी ने यूं ही नहीं उनके नाम को आगे बढ़ाया है . मोहन यादव को सीएम बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने ये 5 संदेश दिया है.
1- यूपी-बिहार में यादव वोट साधेंगे
मोहन यादव को सीएम बनाकर बीजेपी ने यूपी-बिहार के यादवों को संदेश दे दिया है कि पार्टी उनके बारे में भी सोचती है. अगर बीजेपी के साथ यादव आएंगे तो उनको जरूर मौके मिलेंगे. दरअसल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के चलते इन राज्यों में यादवों का वोट बीजेपी को नहीं मिलता रहा है. जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में यादवों की जनसंख्या सभी जातियों से अधिक है. उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों राज्यों में करीब 10 से 12 प्रतिशत की आबादी यादवों की है. ऐसे में इतने बड़े तबके का पार्टी से दूर रहना बीजेपी के लिए बहुत बुरा साबित हो रहा था. मोहन यादव को मध्य प्रदेश का सीएम बनाने से अगर यादव वोटों का कुछ परसेंट भी पार्टी अपनी ओर लाने में सफल होती है तो यह बीजेपी के बहुत बड़ा स्ट्रेंथ साबित होगा.हरियाणा में भी यादव वोटर्स अच्छी संख्या में हैं. मोहन यादव के नाम से हरियाणा में भी पार्टी मजबूत होगी. मध्य प्रदेश के राजनीतिक विश्वेषक दिनेश गुप्ता कहते हैं कि यूं तो प्रदेश में यादव वोटर्स की संख्या केवल 3 परसेंट ही है पर ओबीसी वोटर्स पर होल्ड यादवों का ही रहा है. इसलिए एमपी में यादव नेतृत्व खास हो जाता है.कांग्रेस में भी जब तक यादव लीडरशिप मजबूत रही है पार्टी मजबूत रही है. कोऑपरेटिव सोसायटीज में यादव नेतृत्व सशक्त ढंग से प्रभावी रहा है.
2- ओबीसी वोट की राजनीति परवान पर रहेगी
बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी की सरकार ने जातिगत जनगणना का जो शिगूफा छोड़ा था उसकी हवा तो विधानसभा चुनावों में ही निकल गई थी. पर कांग्रेस जिस तरह से जाति जनगणना और पिछड़ी जाति के कल्याण की बातें करने लगी थी उससे यही लग रहा है कि कांग्रेस ओबीसी पॉलिटिक्स को लेकर अभी और आक्रामक रुख अख्तियार करने वाली है.पर बीजेपी ने जिस तरह छत्तीसगढ़ में आदिवासी को मुख्यमंत्री और ओबीसी को डिप्टी सीएम बनाकर गेम की शुरूआत की है वह मध्य प्रदेश में ओबीसी सीएम के साथ विपक्ष की बैकवर्ड पॉलिटिक्स की हवा निकालने के लिए काफी है.चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता अपनी सभाओं में कहा करती थी उनकी पार्टी में देश के तीन सीएम ओबीसी हैं. जबकि बीजेपी में शिवराज को छोड़कर कोई भी सीएम ओबीसी कैटगरी से नहीं आता है.इसलिए बीजेपी के सामने किसी ओबीसी समुदाय से ही सीएम बनाने का बड़ा प्रेशर था.
3- पार्टी में किसी तरह का प्रेशर नहीं चलेगा
मोहन यादव को सीएम बनाकर बीजेपी ने पार्टी के सभी बड़े नेताओं को यह संदेश दे दिया है कि किसी भी शख्स का कोई प्रेशर काम नहीं करेगा. पार्टी जो चाहेगी वो करेगी. अगर कोई यह समझता है कि उनकी वजह से महिलाओं का वोट मिला , उनके नाम पर चुनावी जीत मिली है तो वह गलतफहमी में है. पार्टी अपने हित के लिए किसी को भी कुर्बान कर सकती है. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार महिलाओं से मिल रहे थे और प्रदेश के उन क्षेत्रों का दौर कर रहे थे जहां बीजेपी कमजोर थी. यह एक तरह संदेश था कि शिवराज एक और टर्म मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं . तमाम मीडिया विश्लेषकों और पार्टी के लोगों को भी लग रहा था कि शिवराज ने बहुत मेहनत की है उन्हें पार्टी को सीएम के रूप में कंटीन्यू करना चाहिए. पर बीजेपी इस तरह की सहानुभूति से चलने वाली पार्टी नहीं है. एक बार यह फिर से साबित हो गया है.
4- बिहार-हरियाणा-झारखंड को रिपीट किया यानि कि कठपुतली सरकार
पार्टी में पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का युग स्वर्णकाल कहा जा रहा है. इस दौर में किसी भी पद पर किसकी नियुक्ति होनी है इसका आंकलन बहुत मुश्किल है. इस तरह की इन्फॉर्मेशन केवल अमित शाह और नरेंद्र मोदी को ही रहती है. और सबसे बड़ी बात यह है कि पार्टी इनके नेतृत्व में चौंकाने वाले नामों का ऐलान करती रही है. हरियाणा में मनोहर लाल खट्ट्रर, बिहार में सीएम नीतीश कुमार के साथ डिप्टी सीएम के लिए तारा किशोर प्रसाद और उमा देवी का नाम लिया गया था. ये लोग भी छुपा रुस्तम ही साबित हुए थे. झारखंड में इसी तरह रघुबर प्रसाद का नाम भी सामने आया था.
5- इस फैसले के साथ अटल-आडवाणी युग की समाप्ति
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नेपथ्य में भेजने की तैयारी की साथ बीजेपी में अटल-आडवाणी युग की पूर्णतः समाप्ति भी हो गई है. शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के युग के बीजेपी में प्रतिनिधि थे. रमन सिंह तो पहले ही भूतपूर्व हो चुके थे पर एक उम्मीद थी कि हो सकता है कि छत्तीसगढ़ में फिर से उनकी ताजपोशी हो जाए.इसी तरह राजस्थान की पूर्व सीएम रह चुकीं वसुंधरा राजे भी भूतपूर्व होने के साथ पार्टी की मेन स्ट्रीम से बाहर ही थीं. क्या अब शिवराज को भी नेपथ्य में जाना है? इस सवाल पर राजनीतिक विश्वेषक दिनेश गुप्ता कहते हैं कि बहुत कम उम्मीद है कि शिवराज को केंद्र में कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर सीएम पद की भरपाई की जाए. और यह बीजेपी की अंदरूनी राजनीति के लिए भी ठीक भी नहीं होगा कि शिवराज के कद का आदमी मोदी मंत्रिमंडल में पहुंचकर एक नया पावर सेंटर बन जाए .
मुख्यमंत्री मोहन यादव का परिचय
सन् 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव एवं 1984 में अध्यक्ष. सन् 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री एवं 1986 में विभाग प्रमुख. सन् 1988 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री तथा सन् 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री. सन् 1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के सह खण्ड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह एवं 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह. सन् 1997 में भा.ज.यु.मो. की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य. सन् 1998 में पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य. सन् 1999 में भा.ज.यु.मो. के उज्जैन संभाग प्रभारी, सन् 2000-2003 में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की कार्य परिषद के सदस्य. सन् 2000-2003 में भा.ज.पा. के नगर जिला महामंत्री एवं सन् 2004 में भा.ज.पा. की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य, सन् 2004 में सिंहस्थ, मध्यप्रदेश की केन्द्रीय समिति के सदस्य, सन् 2004-2010 में उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा), सन् 2008 से भारत स्काउट एण्ड गाइड के जिलाध्यक्ष सन् 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (केबिनेट मंत्री दर्जा). भा.ज.पा. की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य. सन् 2013-2016 में भा.ज.पा. के अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के सह-संयोजक. उज्जैन के समग्र विकास हेतु अप्रवासी भारतीय संगठन शिकागो (अमेरिका) द्वारा
महात्मा गांधी पुरस्कार और इस्कॉन इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा सम्मानित. मध्यप्रदेश में पर्यटन के निरंतर विकास हेतु सन् 2011-2012 एवं 2012-2013 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत. सन् 2013 में चौदहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित.
सन् 2018 में दूसरी बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित. दिनांक 2 जुलाई,. 2020 को मंत्री बने
2023 में तीसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित,आज मुख्यमंत्री बने .
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