Rajasthan New CM Update : छत्तीसगढ़ में आदिवासी, एमपी में ओबीसी, राजस्थान में कौन ?
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Rajasthan New CM Update : छत्तीसगढ़ में आदिवासी, एमपी में ओबीसी, राजस्थान में कौन ?
Jaipur ( 11 दिसंबर 2023 ) भाजपा अपने निर्णयों से चौंकाती आई है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जिस तरह से मुख्यमंत्री घोषित किए गए हैं, उससे सभी लोग आश्चर्यचकित हैं। अब मंगलवार को राजस्थान में मुख्यमंत्री की घोषणा होगी, ऐसे में कयासों का बाजार गर्म हो गया है कि आखिर राजस्थान की कमान किसके हाथ में आएगी।
पार्टी सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ में आदिवासी और एमपी में ओबीसी चेहरे को सीएम बनाया गया है। ऐसे में पार्टी राजस्थान में सामान्य जाति के चेहरे को सीएम बनाया जा सकता है। राजस्थान में भाजपा ने अब तक राजपूत को ही सीएम बनाया है। इस बार भी इस समुदाय के कई चेहरे विधायक हैं। मगर जिस तरह के निर्णय एमपी और छग में लिए गए हैं, उसी तरह राजस्थान में भी निर्विवाद चेहरे को ही सीएम बनाया जाएगा।
दोनों सीएम विधायक हैं
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जिन नेताओं को सीएम बनाया गया है, दोनों ही वर्तमान में विधायक हैं। ऐसे में राजस्थान में भी उम्मीद जताई जा रही है कि नया सीएम 115 विधायकों में से ही एक हो सकता है। हालांकि कई सांसद, केंद्रीय मंत्री भी इस दौड़ में हैं। लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी किसी नॉन विधायक को भी राजस्थान की बागडोर सौंप सकती है।
डिप्टी सीएम बनना तय
एमपी में सीएम के साथ दो डिप्टी सीएम भी बनाए गए हैं। छत्तीसगढ़ में भी डिप्टी सीएम बनाए जाने की संभावना है। ऐसे में राजस्थान में भी दो उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की पूरी संभावना है। यहां भी कई जातियों को सीएम और डिप्टी सीएम के जरिए साधा जाएगा।
विधानसभा चुनाव में खाई मात या कटा टिकट, अब नजरें लोकसभा पर
राजस्थान में विधानसभा चुनाव का दंगल पूरा हो गया और अब कांग्रेस - भाजपा के हारे नेताओं और पूर्व प्रत्याशियों की नजरें लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनने पर टिक गई है। ऐसे नेताओं ने अभी से प्रत्याशी बनने के लिए बड़े नेताओं के यहां अपनी- अपनी लॉबिंग शुरू कर दी है।
जयपुर में दोनों सीटों पर दौड़:
जयपुर में दो लोकसभा सीटें है। इनमें एक जयपुर और दूसरी जयपुर ग्रामीण की सीट है। पिछले दो चुनावों से इन दोनों सीटों पर भाजपा के सांसद बने थे। जयपुर शहर में रामचरण बोहरा और ग्रामीण में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जीते थे। अब राठौड़ तो विधानसभा सीट झोटवाड़ा से विधायक चुने जा चुके है। ऐसे में भाजपा को तो इस सीट पर नया चेहरा तलाशना होगा।
जयपुर की सीट पर कांग्रेस से इनकी नजर:
कांग्रेस में जयपुर की सीट पर सिविल लाइंस सीट से हारे पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, हवामहल से बहुत कम वोट से हारे आर आर तिवाड़ी, पूर्व सांसद महेश जाेशी की नजरें बताई जा रही है। हालांकि कई अन्य नेता भी टिकट की दौड़ में लगेंगे। खाचरियावास को भाजपा के गोपाल शर्मा ने 28 हजार वोट से हराया वहीं हवामहल से तिवाड़ी करीब नौ सौ वोटों से हारे थे। महेश जोशी का इस बार कांग्रेस ने टिकट काट दिया था।
भाजपा में भी शुरू हो गई लॉबिंग
भाजपा में जयपुर शहर में वर्तमान सांसद रामचरण बाेहरा के साथ ही पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी, पूर्व विधायक अशोक लाहोटी और कई अन्य नेताओं के नाम की चर्चा शुरू हो गई है। चतुर्वेदी को सिविललाइंस और लाहोटी काे विधानसभा का टिकट नहीं दिया गया था। ऐसे में ये अब लोकसभा के लिए दावेदारी कर सकते है।
जयपुर ग्रामीण में भी इन नेताओं के चर्चा:
राजस्थान में भी मुख्यमंत्री के लिए सामने आएगा चौंकाने वाला नाम?
Rajasthan Next CM Latest Update छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में नए मुख्यमंत्री का एलान हो चुका है। भाजपा ने दोनों ही प्रदेशों में नए मुख्यमंत्री एलान कर सबको चौंका दिया। विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री होंगे। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह स्पीकर होंगे। वहीं मध्यप्रदेश में नए मुख्यमंत्री मोहन यादव होंगे। अब राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के नाम का ब्रेसबी से इंतजार हो रहा है। दोनों राज्यों की तरह राजस्थान में भी सीएम के लिए चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है। पर्यवेक्षक और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार 12 दिसंबर को जयपुर पहुंचेंगे। दो अन्य पर्यवेक्षक विनोद तावड़े व सरोज पांडेय भी सोमवार देर रात या फिर मंगलवार सुबह जयपुर पहुंचेंगे। दोपहर बाद विधायक दल की बैठक होगी। बैठक के बाद सीएम के नाम की घोषणा की जाएगी। विधायकों को प्रदेश भाजपा कार्यालय से बैठक की सूचना दी जा रही है।
राजस्थान में भी हो सकते है दो डिप्टी सीएम
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में नए मुख्यमंत्री घोषणा हो चुकी है। अब राजस्थान में नए सीएम के नाम की घोषणा होना बाकी है। राजस्थान में मंगलवार को विधायक दल बैठक के बाद नए सीएम का नाम ऐलान होगा। बताया जा रहा है दो प्रदेशों के तरह राजस्थान में भी दो डिप्टी सीएम हो सकते है। राजस्थान में सीएम के नाम को लेकर कई नेताओं के नाम चल रहे हैं। अब देखना होगा कि किसके नाम पर मुहर लगती है।
आलाकमान के निर्देशों की अवहेलना
इधर, भाजपा विधायकों को स्पष्ट रूप से निर्देश हैं कि वे किसी भी नेता के घर जाकर नहीं मिलें। सिर्फ कार्यालय आकर ही मुलाकात करें। इसके बावजूद वसुंधरा राजे समर्थक माने जाने वाले विधायक कालीचरण सराफ सहित कुछ विधायकों ने सोमवार को भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के घर जाकर मुलाकात की। इससे पहले रविवार को भी कई विधायक राजे से मिलने पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री पद के चयन में देरी पर क्या बोले जोशी?
राजस्थान के लिए मुख्यमंत्री पद के चयन में हो रही देरी पर विपक्ष की आलोचनाओं पर भाजपा राजस्थान अध्यक्ष सीपी जोशी ने रविवार को कहा कि राजस्थान के लिए अहम फैसला बीजेपी विधायक दल की बैठक में आलाकमान द्वारा लिया जाएगा। कोई कैसे कह सकता है कि हम समय ले रहे हैं। हमारे सभी विजयी उम्मीदवार जनता को उन पर विश्वास जताने के लिए धन्यवाद दे रहे हैं। पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है और विधायक दल की बैठक की तारीख तय कर दी गई है। जल्द ही सीएम की घोषणा की जाएगी।
मुख्यमंत्री के लिए देश का पहला रोचक मुकाबला राजस्थान में हुआ था
आजादी के बाद सन 1954 में मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरे भारत में पहला रोचक मुकाबला राजस्थान में हुआ था। 6 नवंबर 1954 को यह मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता और लोक नायक जय नारायण व्यास और मोहनलाल सुखाड़िया के बीच हुआ था। उस दौर में पूरे देश की निगाह इस मुकाबले का परिणाम जानने के लिए टिकी हुई थी। लोकतंत्र के इतिहास में राजस्थान पहला राज्य था, जहां मुख्यमंत्री के लिए राजनीति गरमा गई थी। जयपुर में हुई विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के विधायकों ने आठ मतों के अंतर से सुखाड़िया को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया। जय नारायण व्यास को पराजित होना पड़ा।
स्वतंत्रता के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए विवाद की नींव पहले दिन ही पड़ गई थी। 30 मार्च 1949 को सरदार पटेल की मौजूदगी में हीरालाल शास्त्री को मुख्यमंत्री की शपथ राजप्रमुख सवाई मानसिंह ने दिलवाई। उसी दिन कांग्रेस के दिग्गजों का आपसी विवाद सामने आ गया था। सिटी पैलेस में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के दिग्गज नेता उठ कर चले गए और यह विवाद बढ़ता ही चला गया। 9 जून 1949 को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हीरालाल शास्त्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर शास्त्री को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया और जय नारायण व्यास को मुख्यमंत्री का चार्ज सौंपा गया।
सन 1952 के पहले चुनाव में टीकाराम पालीवाल को शपथ दिलाई गई। इसका कारण यह रहा कि जयनारायण व्यास जैसे दिग्गज नेता दो जगह से चुनाव हार गए। सन 1957 में दूसरी विधानसभा चुनाव के बाद विधायक दल में नेता के लिए 4 अप्रैल 1957 को सुखाड़िया और टीकाराम पालीवाल में मुकाबला हुआ, जिसमें सुखाड़िया जीते। सन 1967 में भी विपक्ष और कांग्रेस में जमकर मुकाबला हुआ। जौहरी बाजार में गोलियां तक चली और फिर राष्ट्रपति शासन भी लगा था।
सन 1972 में पांचवीं विधानसभा के चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खान का निधन होने के बाद नेता पद के लिए हरिदेव जोशी और गृह राज्य मंत्री रामनिवास मिर्धा में मुकाबला हुआ। इस मुकाबले में विधायकों ने हरिदेव जोशी को नेता बनाया। सन 1977 से राजस्थान के इतिहास में बार कांग्रेस विरोधी जनता पार्टी की सरकार बनी।
उस छठी विधानसभा के चुनाव में जनसंघ के भैरोंसिंह शेखावत और जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मास्टर आदित्येंद्र के बीच 22 जून 1977 को मुख्यमंत्री पद के लिए हुए मुकाबले में विधायकों ने शेखावत को विधायक दल का नेता चुना। विजयी होने के बाद शेखावत ने उनके सामने खड़े मास्टर आदित्येंद्र के चरण छू कर आशीर्वाद लिया और अपनी सरकार में आदित्येंद को वित्त मंत्री बनाया। 1990 के दौर में भैरोंसिंह शेखावत को विधायक दल का नेता चुनने के लिए विजयराजे सिंधिया और केदारनाथ साहनी दिल्ली से जयपुर आए थे।
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