सदियों की प्रतीक्षा पर लग रहा है, विराम सदियों के परिश्रम से बन रहा भव्य श्रीराम का धाम - JALORE NEWS
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सदियों की प्रतीक्षा पर लग रहा है, विराम सदियों के परिश्रम से बन रहा भव्य श्रीराम का धाम - JALORE NEWS
अजमेर ( 12 जनवरी 2024 ) आज़ादी के अमृतकाल में सम्पूर्ण राष्ट्र राममय हो रखा है तो सारे जगत में जय श्रीराम का घोष हो रहा है।
रामलला पाँच सौ वर्षों से अपने ही देश में अपने ही घर से बेदख़ल थे किन्तु 22 जनवरी 2024 का दिन पिछले पाँच सौ वर्षों में से करोड़ों देशवासियों के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक होगा। हम सब भाग्यशाली है कि आज़ादी के अमृतकाल में अपने जीवन में श्रीराम मंदिर बनता हुआ देख रहे हैं।
एक युगांतकारी घटना के तहत आराध्य भगवान श्रीराम पाँच सौ वर्षों के बाद टेंट से भव्य मंदिर में पुनः आने वाले है।
22 जनवरी को अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का उद्घघाटन देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी करंगे। हर राष्ट्र भक्त का सपना साकार होगा जो श्रीराम मंदिर को पूर्ण होते देखने हेतु लालायित है तो उन कारसेवकों का संकल्प भी पूरा होगा "जो सौगंध राम की खाते है हम मंदिर वहीं बनाएँगे*" का गीत गुंजायमान करते नहीं थकते थे।
आज हर देशवासी गौरवान्वित महसूस कर रहा है जो श्रीराम मंदिर को पूर्ण होता देख रहें है, लेकिन वो कारसेवक जिन्होंने इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई वो आज अपने जीवनकाल में इसे पूर्ण होते देख अभिभूत व सौभाग्यशाली है।
मैं भी अत्यंत सौभाग्यशाली हूँ की श्रीराम जी की कृपा से इस आंदोलन में स्वयंसेवक के नाते कार्य करने का सुअवसर मिला। सर्वप्रथम 1989 में राम शिलाओं के पूजन से जुड़ कर तो 90 व 92 की स्मृतियों को ध्यान में करते है तो उन क्षणों को याद कर रोमांचित हुए बिना नहीं रह सकते।
1989 में घर-घर जाकर श्रीराम शिलाओ का पूजन इस गान के साथ कराते थे कि चली शिला श्रीराम की, जय बोलो हनुमान की ।1990 में राम रथ यात्रा के क्षण और बाद में 21 अक्तूबर 90 को अयोध्या कार सेवा हेतु प्रस्थान करना था किंतु रात्रि में गिरफ़्तार कर टाडा एक्ट लगा दिया गया इस कारण एक माह अजमेर जेल में रहने के बाद 21 नवम्बर को हाई कोर्ट से जमानत पर रिहा हुए।
उसके बाद निरंतर रामकाज सक्रिय रहते हुए गीत गुनगुनाते थे सौगंध राम की खाते है मंदिर वही बनाएँगे तब कई लोग हंसी उड़ाते और कहते थे केवल गीत गा सकते हो, मंदिर तो दूर की बात है अभी तो ढाँचा हटाने में कई पीढ़िया बीत जायेगी लेकिन किस ने सोचा वो दिन भी आयेगा जिस के हम साक्षी बनेंगे।
1992 में फिर एक बार कार सेवा का आगाज हुआ। इस कार सेवा में फिर एक बार 28 नवम्बर को रवाना हो कर 29 नवम्बर को अयोध्या पहुँचे। 29 नवम्बर से 7 दिसम्बर तक अयोध्या में रहकर उस कालखंड का प्रत्यक्षदर्शी बनने का सौभाग्य मिला। प्रति-दिन संत महात्माओं के उद्बोधन सुनते और मंदिरों के दर्शन करते थे।
4 दिसम्बर को सरयू तट पर लाखों कार सेवक जमा हुए उन्हें क्रमबद्ध लाइन में इकट्ठा करते हुए उन्हें यह संकेत मिले कि अगले दिनो में सांकेतिक कार सेवा हेतु एक-एक मुठ्ठी बालू मिट्टी लेकर ढाँचे के पास के गड्डे को भरना है तो कार सेवकों में आक्रोश का उफान था की हम सांकेतिक कार सेवा के लिये नहीं आये और गगन भेदी नारों से अपने इरादे ज़ाहिर कर दिये।
मिट्टी नहीं सरकाएँगे,मंदिर वही बनाएँगे
जिस हिंदू का खून न खोले,खून नहीं वो पानी है।
5 दिसम्बर को हमें राम लला के दर्शन करने का अवसर मिला तब उस ढाँचे को नज़दीक से देखा।
6 दिसम्बर को हमेशा की भाति धर्म सभाएँ हो रही थी किंतु आज ज़ब्रदस्त माहोल था विश्व हिन्दु परिषद, भाजपा के सभी दिग्गज नेता मंच पर थे सभी के उद्बोधन चल थे किंतु देखते ही देखते कार सेवकों में ज्वार आया और कार सेवक विवादित ढाँचे के पास पहुँच गये तो अनेक गुंबद पर चढ़ने लगे उन के जोश-खरोश को देख कर लग रहा था अब यह कारवा रुकने वाला नहीं है,वो ही हुआ जिस की कल्पना मंच पर बैठे नेताओ ने नहीं की थी क्यों कि मंच से बार-बार यह अपील हो रही थी कि गुंबद से उतर जाये किंतु श्रीराम के जयकारों में मंच की अपील नज़र अन्दाज़ हो गई।
कहते है कि श्रदा का संकल्प,जब आगे बढ़ता है, तो असंभव भी संभव हो जाता है और वो ही नजारा हम देख रहे थे जब विवादित ढाँचा धारासाहि हो रहा था कार सेवक उस कि चपेट में आकर घायल हो रहे थे यह नजारा हमने नज़दीक से देखा क्यों कि हमारा आवास का टेंट नज़दीक था ढाँचे के गिरते ही भगदढ़ मच गई थी कारसेवकों को निदेश मिल रहे थे कि अपने अपने आवास में ही रहे।
अब कार सेवक अगले निर्देश की प्रतीक्षा कर रहें थे की क्या निदेश मिलते है क्यों की हम सब को लग रहा था कि केंद्र सरकार कभी भी एक्शन ले सकती है रात्रि में अनाउसमेंट होने लगा कि सभी कार सेवक कार सेवा हेतु तुरंत विवादित ढाँचे के पास पहुँचे।
निर्देश के तुरंत बाद सभी कार सेवक पहुँचने लगे वहाँ पर सभी को पंक्तिवत करते हुए मलबा हटाने के निर्देश मिले। कार सेवक रामधून के साथ मलबा हटाने में जुट गये और देखते ही देखते मलबा हट गया और तुरंत अस्थाई मंदिर का निर्माण शुरू हो गया।
प्रातः की बेला में अस्थाई मंदिर निर्माण के बाद आरती के साथ ही कार्य पूर्ण हुआ और हम प्रातः 7 बजे की ट्रेन से लखनऊ रवाना हुए मन के यह भाव लेकर की अस्थाई मंदिर तो बन गया किंतु भव्य कब बनेगा, बनेगा तो अपन देख पायेंगे या नहीं।
किंतु प्रभु श्रीराम जी की असीम कृपा है की 32 वर्ष बाद वो दिन भी आ गया जब जन-जन के श्रीराम भव्य मंदिर में विराजमान होंगे तब हर उस कार सेवक का वो गीत साकार रूप लेगा की “सौगंध राम की खाते है,हम मंदिर वही बनायेंगे,हम मंदिर भव्य बनाएँगे।
जय जय श्री राम।
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