राह चलते पत्रकार को बेवजह 151 के तहत अंदर डाला उसके साथ बेहरमी से मारपीट हुई , पुलिस वाले की दादागिरी के लगाया आरोप - JALORE NEWS
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राह चलते पत्रकार को बेवजह 151 के तहत अंदर डाला उसके साथ बेहरमी से मारपीट हुई , पुलिस वाले की दादागिरी के लगाया आरोप - JALORE NEWS
रानीवाड़ा ( 21 फरवरी 2024 ) JALORE NEWS सांचोर जिले के रानीवाड़ा पुलिस का कुछ उल्टा ध्येय राजस्थान में सरकार बदलते ही पुलिस कि दादागिरी इस कदर देखने को मिली कि आमजन को तो पुलिस से भरोसा ही उठ गया दरअसल ऐसा ही मामला रानीवाड़ा थाने का है। जहां रानीवाड़ा पुलिस बाईपास पहुंचती है और रोड पर खड़े भरत कुमार एक शादी समारोह से भीनमाल घर जाने के लिए गाड़ी का बस स्टेंड पर इंतजार कर रहा था।
बिना वजह धारा 151 में गिरफ्तार कर थाने ले आती है फिर पुलिस निरीक्षक व पुलिस के जवान जिसमें हेड कांस्टेबल किशोर सिंह,हेड कांस्टेबल वजाराम, और भेराराम बारी बारी से शराब के नशें में गाली गलौज कर बैल्ट से मारपीट करते हैं। पुलिस का वाक्य तो हर थाने में लिखा हुआ है आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय लेकिन रानीवाड़ा पुलिस का उल्टा ध्येय वर्दी का रौब देखकर अपनी जिम्मेदारी भूले रानीवाड़ा पुलिस लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ ने आरोप लगाया सभी स्टाफ शराब के नशें में था लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकार के साथ मारपीट करना बड़े शर्म की बात है पुलिस की जिम्मेदारी बनती है,
फिर भी रानीवाड़ा पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है। आजकल ये देखने को मिला कि बिना किसी ठोस सबूत बिना जांच के पत्रकार के खिलाफ श्रेष्ठ बनने के चक्कर में पुलिस पत्रकार की स्वतंत्रता का हनन कर रही है। पुलिस द्वारा इस प्रकार किसी भी व्यक्ति को घसीटकर अपराधियों से भी ज्यादा बेईज्जत करना गिरफ्तार करना क्या उचित तरीका है।इस तरह साजिश के तहत कार्य करने पर हमारे देश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लग सकतें हैं। एक नाम मात्र पुलिस कर्मी भी जब लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर बेरहमी से मारपीट कर अपनी मर्यादा भूल जाएं और बदतमीजी गाली गलौज मारपीट की जाए फिर भी जिला पुलिस प्रशासन उस पर कोई एक्शन नहीं ले और उस पर मेहरबान हो जाएं तो अब आप समझ सकते हैं कि बहुत बड़ा राज और रहस्य है। और वो ही पुलिस प्रशासन लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकार को थाने में बंद कर बेरहमी से मारपीट कर इस प्रकार पुलिस का डर बताकर उस पर धमकी देकर मारपीट की अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि पुलिस अपने कानून का किस तरह से गलत उपयोग करती है।
फिर भी जिले के पुलिस अधीक्षक अधिकारी आखिर मेहरबान क्यों अब ये सवाल लाखों सवाल भी खड़े होते हैं कि जब मिडियाकर्मी लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के साथ इस प्रकार से अगर होता है तो बहुत बड़े शर्म का विषय है।अब सवाल खड़ा होता है कि गांवों में आमजनता ओर दुःखी और गरीब जनता के साथ अत्याचार और न जाने क्या क्या होता होगा इस बात से साफ अंदेशा लगाया जाता है।दोषी पुलिस प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय बड़े शर्म का विषय खड़ा होता है। बहुत बडी गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
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