भाण्डवपुर प्रतिष्ठोत्सव के दौरान राजदरबार में प्रभु की सगाई एवं मामेरा का हुआ मंचन - BHINMAL NEWS
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भाण्डवपुर प्रतिष्ठोत्सव के दौरान राजदरबार में प्रभु की सगाई एवं मामेरा का हुआ मंचन - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 13 फरवरी 2024 ) BHINMAL NEWS भाण्डवपुर महातीर्थ में प्रतिष्ठोत्सव के दौरान विविध धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं ।
गच्छाधिपति नित्यसेनसूरीश्वर महाराज, भाण्डवपुर तीर्थोद्धारक आचार्य जयरत्नसूरीश्वर महाराज, विमलगच्छाधिपति आचार्य प्रद्युम्नविमलसूरीश्वर महाराज, आचार्य नरेन्द्रसूरीश्वर महाराज आदि विशाल श्रमण-श्रमणिवृन्द की शुभनिश्रा में चतुर्विध संघ के साथ भव्य शोभायात्रा के द्वारा तीर्थ परिसर में निर्मित प्रातः पुण्य-सम्राट गुरुदेव के 70 वें संयम दिवस के उपलक्ष्य में मधुकर जीवन दर्शन मण्डपम् के लाभार्थी रणसुख जयन्तसेन कृपा वाटिका-पाँथेड़ी ने, रत्नत्रयी मण्डपम् के लाभार्थी रमेशभाई कीर्तिलाल देसाई- थराद-अहमदाबाद एवं साधना स्थली गुफा प्रदर्शनी का उद्घाटन मुमुक्षु भव्याकुमारी अदाणी, निमाबेन देसाई, रविनाकुमारी सोलंकी ने किया ।
क्षत्रियकुण्ड नगरी में जयन्तसेनसूरीश्वर महाराज के 70 वें संयम पर्याय दिवस पर गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया |
गुणानुवाद सभा में गच्छाधिपति ने पुण्य-सम्राट के गुणों का वर्णन करते हुए बताया कि वे संसार की माया को छोड़ कर संयम मार्ग पर अग्रसर हुए और समग्र संसार में अपने गुरु यतीन्द्रसूरि महािराज के आशीवार्द से जिनशासन के अनेक कार्य सम्पादित किए । वह समग्र जैन समाज ही नहीं अपितु इतरजनों में भी पूजनीय थे ।
आचार्य नरेन्द्रसूरि महाराज ने कहा कि हमारे जीवन में तीन बातें श्रवण, मनन और आचरण आ जाये तो जीवन में चारित्र आ जायेगा और अपना आत्मकल्याण हो जायेगा । पुण्य-सम्राट वाणी के जादूगर थे और उनकी वाणी सुनकर आने वाला पानी-पानी हो जाता था ।
कार्यदक्ष मुनिराज आनन्दविजय महाराज ने गुणानुवाद करते हुए कहा कि गुरु के चरणों को स्वीकार कर उनके भावों और उपदेशों को आत्मसात करें । हमारी गुरु को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मानी जाएगी कि हम उनके उपदेशों को आगे प्रसारित करें । उनकी गच्छ के प्रति श्रद्धा थी, भक्ति थी और हमको उसे गतिशील एवं गतिमान करना है ।
मुनिराज निपुणरत्नविजय महाराज ने कहा कि जो अपने गुरु की महिमा बढ़ाता है उसकी महिमा अपने आप बढ़ जाती है । पुण्य-सम्राट के जीवन में यह बात स्पष्ट रूप से मिलती है । मुनिराज जिनागमरत्नविजय महाराज ने बताया कि पुण्य-सम्राट ने अन्तिम समय में इस पुण्य भूमि पर एक ही हितशिक्षा दी थी सभी स्वाध्याय करना । उन्होंने स्वयं भी किया और अन्तिम समय में यही उपदेश भी दिया । गुरु आज्ञा का पालन करना और गुरु की मान्यता थी इसीलिए पूनमचन्द से पुण्य-सम्राट बनें । मुनि संयमरत्नविजय ने काव्य के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की ।
गुणानुवाद के पश्चात् पंचकल्याणक महोत्सव के नवें दिन 13 फरवरी को तीर्थ परिसर में प्रतिष्ठा निमित्त भगवान की सगाई का कार्यक्रम हुआ । जिसमें सौधर्म इन्द्र-इन्द्राणी ने पुण्य-सम्राट को माल्यार्पण एवं वासक्षेप पूजा कर गच्छाधिपति एवं आचार्य जयरत्नसूरि महाराज का आशीर्वाद लिया । प्रभु के सास-ससुर बनने का लाभ गेबचन्द हरकचन्द गुलेच्छा-जीवाणा ने एवं मामेरा में मामा-मामी बनने का लाभ हंजारीमल कुन्दनमल अना संकलेचा-मेंगलवा ने लिया ।
तीर्थ में दर्शन-वन्दन एवं प्रतिष्ठोत्सव अवलोकन करने जालोर कलेक्टर निशान्त जैन आये । जैन का बहुमान राज दरबार में किया गया ।
राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् परिवार भी अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहा है । दोपहर में क्रिया मण्डपम् में सुप्रसिद्ध विधिकारक सत्यविजय हरण, विरलभाई, त्रिलोकजी काँकरिया आदि के मन्त्रोच्चार के साथ शान्तिनाथ पंचकल्याणक पूजा पृथ्वीराज दूदमल निमाणी-पोषाणा द्वारा संगीत की मधुर स्वरलहरियों के साथ पढ़ाई गई |
प्रातः की नवकारसी कानराज फूलचन्द बन्दामुथा-पाँथेड़ी की ओर से, दोपहर की नवकारसी भबूतमल गोमा गुलेच्छा-जीवाणा की ओर से एवं सायं की नवकारसी सोनमल प्रागा संकलेचा-मेंगलवा की ओर से हुई ।
JALORE NEWS
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