राजस्थान का कानीवाड़ा हनुमान मंदिर कई वजहों से खास है. आज हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं - JALORE NEWS
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राजस्थान का कानीवाड़ा हनुमान मंदिर कई वजहों से खास है. आज हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं - JALORE NEWS
जालौर ( 19 मार्च 2024 ) दुनियाभर में कई अनोखे और रहस्यमयी हिन्दू मंदिर हैं। अकेले भारत में ही मंदिर और उनसे जुड़ी रोचक कथाएं प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक है हनुमानी जी के मंदिर की कथा। यह इकलौता ऐसा हनुमान मंदिर है जहां हनुमान जी के सिर पर छत नहीं हैं।
हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह राजस्थान के जालोर के कानिवाड़ा में स्थित है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां के हनुमान जी की मूर्ति प्रगट्य है यानी कि किसी ने बनवाई नहीं है बल्कि स्वयं हनुमान जी इस स्थान पर प्रकट हुए थे। यह मंदिर 500 साल पुराना माना जाता है। और कनिवाड़ा में स्थित है यह गाँव जालोर से 10 किमी दूर है तथा सबसे क़रीब रेलवे स्टेशन जालोर रेलवे स्टेशन से भी क़रीब 10 किमी दूर है , नेशनल हाइवे जालोर जोधपुर से 3 किमी पर पड़ता है
हिंदू धर्म में श्री राम भक्त हनुमान जी को पूजनीय माना जाता है. हनुमान जी की पूजा के लिए मंगलवार के दिन को विशेष महत्व दिया जाता है. मंगलवार के दिन सभी हनुमान मंदिरों पर भक्तों की खूब भीड़ लगती है. भारत में हनुमान जी के अनेकों प्रसिद्ध मंदिर हैं. कई मंदिरों से बहुत सी मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं. आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे ही हनुमान मंदिर के बारे में बताने वाले हैं. यह हनुमान मंदिर कई कारणों से खास हैं. तो चलिए जानते हैं यह मंदिर राजस्थान में कहां स्थित हैं और खास क्यों हैं.
राजस्थान के जालोर जिले में स्थित हैं यह मंदिर हनुमान जी का यह मंदिर राजस्थान के जालोर जिले में स्थित है. यह जालोर के कानीवाड़ा में स्थित है. जालोर कानीवाड़ा मंदिर में भक्त सैंकड़ों किलोमीटर दूर से हनुमान जी के दर्शन के लिए आते हैं. हनुमान जी सभी भक्तों के कष्ट दूर करते हैं. यहां लोग संतान प्राप्ति के लिए भी मन्नत मांगते हैं. यहां पर पुजारी हनुमान जी की गदा से भक्तों को आशीर्वाद देते हैं.
नहीं है मंदिर की छत
जालोर में स्थित यह हनुमान मंदिर संगमरमर से बना है लेकिन इस मंदिर की छत नहीं है. इस मंदिर की छत न होने के पीछे भी कई मान्यताओं बताई जाती है. हनुमान जी के इस मंदिर में प्रतिमा स्थापित नहीं की गई थी. यहां पर हनुमान जी की प्रतिमा प्रकट हुई थी. हनुमान जी की प्रतिमा के प्रकट होने के बाद यहां पर मंदिर निर्माण कराया गया था. हालांकि मंदिर निर्माण होने के बाद यहां जब भी छत बनाने की कोशिश की जाती है तो उसमें अड़चन आती है. जब यह मंदिर बनाया गया था इसमें तभी से छत नहीं है.
मंदिर में 10 पीढ़ियों से सेवा कर रहे हैं पुजारी
मंदिर में एक खास बात यह भी है कि यहां पर पिछली 10 पीढ़ियों से चार परिवारों के वंशज ही इस मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं. यहां पर यहीं पुजारी भक्तों को हनुमान जी के दर्शन करवाते हैं. ये पुजारी खुद को ऋषि गर्गाचार्य की संतान मानते हैं. यह पुजारी दलित समाज के हैं.
इस हनुमान मंदिर में जल रही है 13 अखंड ज्योत सभी
देवी-देवताओं के मंदिर में अखंड ज्योत जलाई जाती है. यहां पर भी अखंड ज्योत जलती है. हालांकि यहां पर एक-दो नहीं बल्कि 13 अखंड ज्योत जल रही हैं. ऐसी मान्यतां है कि लोग यहां मन्नत पूरी होने के बाद अखंड ज्योत जलाते हैं इसके बाद यहां के पुजारी ज्योत की देखभाल करते हैं. वहीं ज्योति में तेल-घी आदि चीजों का ध्यान रखते हैं.
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राजस्थान का कानीवाड़ा हनुमान मंदिर कई वजहों से खास है. आज हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं - JALORE NEWS https://youtu.be/B7N6-jP4KrI?feature=shared
अधिकांश बच्चों का नाम हैं हनुमान
यहां आस-पास के लोग अपने बच्चों का नाम हनुमान जी के नाम पर रखते हैं. पहले समय में सभी का नाम भगवान के नाम पर रखा जाता है. हालांकि यहां पर आज भी माता-पिता अपने बच्चों का नाम भगवान के नाम पर रखते हैं. जालोर के इस मंदिर के पास स्थित गांवों में अधिकतर लड़कों का नाम हनुमान है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक बार जनसभा में अपने भाषण में संबोधन किया
राजस्थान के जोधपुर संभाग के जालोर जिले में स्थित कानीवाड़ा हनुमान मंदिर एक ऐसा मंदिर जहां सालों से दलित पुजारी पूजा करते हैं। इसका जिक्र राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया था। उन्होंने कहा था कि एक तरफ कांग्रेस सरकार दलितों पर अत्याचार कर रही है, वहीं कानीवाड़ा हनुमान मंदिर में सालों से दलित पुजारी पूजा कर रहा है। हनुमान जी यह भव्य प्राचीन मंदिर है जिस पर छत नहीं है। मान्यता है कि इस मंदिर में मूर्ति की स्थापना नहीं की गई बल्कि प्रकट हुई है।
कुछ सालों पहले
जानकारी के अनुसार यहां पर कुछ सालों पहले एक कुंड बना हुआ रहता था बहुत ही बड़ा बना हुआ करता था । जहां पर हर मंगलवार को आसपास के निवास करना वाले लोगों द्वारा यहां पर चूरमा बनाया जाता था । और उसका भोग लगाएं करता थे। वहीं आसपास के छत्तीस गांव के लोग यहां पर आते थे और साथ ही साथ में सभी मिलकर बैठे थे। वहीं यहां पर एक बड़ी घंटी लगी हुई थी जिसको आवाज सुनकर आसपास के छत्तीस गांव के लोगों को सुनाई देती थी । जिसके बाद में सभी इक्ट्ठा हो जाता था। वर्तमान में वहां पर अब एक कमर का निर्माण कार्य करवा दिया गया है।
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