आर्य वीर दल एवं आर्य समाज जालौर के संयुक्त राष्ट्र में होली का पर्व वैदिक रीति से मनाया गया - JALORE NEWS
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आर्य वीर दल एवं आर्य समाज जालौर के संयुक्त राष्ट्र में होली का पर्व वैदिक रीति से मनाया गया - JALORE NEWS
जालोर (26 मार्च 2024) जालोर समाचार आर्य वीर दल एवं आर्य समाज जालौर के संयुक्त उद्योग में पुरानी सब्जी मंडी स्थित आर्य वीर दल मुख्यालय के आर्यवीर व्यायामशाला आर्य वीरम व्यायामशाला में होली का पर्व वैदिक रीति से मनाया गया |
इस अवसर पर विश्व कल्याण के निमित्त यज्ञ का आयोजन किया गया | मुख्य यजमान आर्य समाज के प्रधान दलपत सिंह आर्य थे, जबकि यजमान दिव्या सोनी, कुसुम सुथार, मयंक भादरू, निखिल गोदारा थे। यज्ञ के ब्रह्मा आर्य समाज लालपोल के प्रधान विनोद आर्य ने आर्य वीरों को संबोधित करते हुए कहा कि अधजले अन्न को होलक कहते हैं।, इसी कारण इस पर्व का नाम होलिकोत्सव है और बसंत ऋतु में नए अन्न से यज्ञ करते हैं। इसलिए इस पर्व का नाम नव वासंती नव सस्येष्ठि है | इस पर्व का दूसरा नाम नव संवत्सर है | मानव सृष्टि के आदि से आर्यों की परंपरा रही है कि नवान्न को अग्निदेव को समर्पित किया गया था इसके बाद वे स्वयं भोग करते थे |
उन्होंने कहा कि हमारे कृषि वर्ग में दो मूर्तियाँ हैं, वैशाखी और कार्तिकी | इसी को वसंती और शरदीय एवं रवि और मीरा की फ़सलें कहा जाता है | फाल्गुन पूर्णमासी वासंती मछली का आरंभ | इस अवसर पर यज्ञ करते हुए ब्रह्मा विनोद आर्य ने यज्ञ करते हुए कहा कि आर्य संस्कृति में यज्ञ करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है |
उन्होंने कहा कि जब भी दो ऋतुओं का योग होता है तब रोग पौधों का खतरा बना रहता है इसलिए यज्ञ के माध्यम से संवर्धन से मुक्ति बनी रहती है | होली महोत्सव एवं बसंत ऋतु के योग का समय है | इस समय सूक्ष्मजीव का खतरा बना रहता है | इसलिए रोग के निवारण के लिए यज्ञ ही सर्वोत्तम उपाय है | प्राचीनतम वैदिक परंपरा का आधार होली पर्व नवान्न वर्ष का प्रतीक है | कार्यक्रम के अंत में सभी और वीरों को मुंह मीठा करवाकर होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी गईं |
इस अवसर पर पूर्व सचिवालय भारत भाद्रू, मित्रलाल मिश्रा, देवेश आर्य सहित कई आर्यवीर एवं आर्य वीरांगनाए उपस्थित थे |
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