होली पर यहां के पुरुष भी बांधते हैं पैरों में घुंघरू और थिरकते चंग की थाप पर, जालोर भक्त प्रहलाद चौंक आयोजिकत होगा, आज जाने - JALORE NEWS
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होली पर यहां के पुरुष भी बांधते हैं पैरों में घुंघरू और थिरकते चंग की थाप पर, जालोर भक्त प्रहलाद चौंक आयोजिकत होगा, आज जाने - JALORE NEWS
जालौर ( 25 मार्च 2024 ) नमस्कार साथियों आज हम एक बार फिर से जालौर से जुड़े कुछ किस्से हैं और इतिहास से संबंधित जानकारी के साथ नया वीडियो लेकर आया हूं । अगर आप भी जालौर के रहने वाले हैं तो यहाँ आपके लिए कुछ खास संबंधित होगा। जैसे कि आप सभी को मालूम है कि आज होली त्योहार का दूसरा दिन है हम आपको जालोर में सर्दियों से चली आ रही परंपरा को निभाते आए रहा है। जालौर में बड़ी पोल के बाहर भक्त प्रहलाद चौंक में नृत्य महोत्सव आयोजित किया जाता है। इसको देखने के लिए पुरे जालोर जिले के लोगों आते है। और पुरे भारत वर्ष में यहां गैर बहुत ही प्रसिद्ध है। वहीं पोलजी माली द्वारा पीढ़ियों से निभाते आ रहे हैं। जबकि पोलजी माली का कुछ सालों पहले निधन हो चुका है। परंतु उसके वंश आज भी परम्परा को जीवित रखा गया हैं। राजस्थान के जालोर शहर के बड़ी पोल के बाहर स्थित भक्त प्रहलाद चौक पर गेर महोत्सव का आज से शुभारंभ होगा । यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े हुए हैं तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर करे देवें । और अब विडियो शुरू कर रहे हूं मैं
राजस्थान की लोक परंपराओं और प्रथाओं में फाल्गुन मास के गीत और चंग की थाप अपना एक अलग ही महत्व रखते हैं. जालौर में ग्रामीण आँचल में मनाये जाने वाले होली पर्व पर होने वाला पारंपरिक गैर नृत्य चार चांद लगा देता है, होली पर्व पर दूरदराज बैठे प्रवासी भी इस त्योहार पर होली के इस परंपरागत गैर नृत्य का आनंद उठाने आते हैं।
ऐसे करते हैं गैर नृत्य…
ढोल की थाप पर गैर नृत्य के नजारे फागुन मास में देखने को मिलते है. ग्रामीण अंचलों से आए गैरी एक-दूसरे के साथ फाग गीत गाते है. चंग की थाप बजने से उठते सूरों के साथ कदम से कदम मिलाकर ऐसा नृत्य करते हैं कि, जिसे देखकर शहरवासियों के कदम थम जाते हैं.
गैरीयों की पारंपरिक पोशाक
मारवाड़ क्षेत्र पुरुष गोल घेरे में जो नृत्य करते हैं, वह गैर नृत्य कहलाता है. गैर नृत्य करने वालों को गैरिया कहते हैं. गैर नृत्य करने वाले सफेद धोती, सफेद अंगरखी, सिर पर लाल, गुलाबी, केसरिया रंगबी रंगी की पगड़ी पहनते हैं. पैरों में घुंघरू बांधते हैं जालौर क्षेत्र का यह गैर नृत्य केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता हैं.
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गैर नृत्य करवाने वाले वेलाराम माली बताते हैं, कि यह गैर परंपरागत रूप से चलती आई है. गैर नृत्य प्रस्तुत करने वाले गैरिये परंपरागत तरीके से नवजात बच्चों की ढुंढ भी करवाते है, और बहुत ही हंसी-मजाक करते हैं. यह परंपरा राजा महाराजाओं की जमाने से चली आ रही है.
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