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मुख्यपृष्ठ WORLD चैत्र माह शुरू : शुक्ल प्रतिपदा को भगवान विष्णु ने लिया था पहला मत्स्य अवतार ,चैत्र माह का महत्व
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चैत्र माह शुरू : शुक्ल प्रतिपदा को भगवान विष्णु ने लिया था पहला मत्स्य अवतार ,चैत्र माह का महत्व

चैत्र माह मंगलवार से शुरू हो गया, जो 23 अप्रेल तक रहेगा। इस महीने के तीज-त्योहार बेहद खास होते हैं, क्योंकि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से ही हिंदू नववर्ष
Shravan Kumar
Shravan Kumar
28 मार्च, 2024 0 0
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Chaitra month begins: Lord Vishnu took the first Matsya avatar on Shukla Pratipada
Chaitra-month-begins-Lord-Vishnu-took-the-first-Matsya-avatar-on-Shukla-Pratipada

चैत्र माह शुरू : शुक्ल प्रतिपदा को भगवान विष्णु ने लिया था पहला मत्स्य अवतार

जयपुर ( 28 मार्च 2024 ) Chaitra month begins: Lord Vishnu took the first Matsya avatar on Shukla Pratipada : चैत्र माह मंगलवार से शुरू हो गया, जो 23 अप्रेल तक रहेगा। इस महीने के तीज-त्योहार बेहद खास होते हैं, क्योंकि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से ही हिंदू नववर्ष शुरू होता है। चैत्र माह में सूर्य अपनी उच्चतम राशि में होता है और फिर वसंत ऋतु आती है. ज्योतिषि के अनुसार हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र शुरू हो चुका है, लेकिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत 15 दिन बाद यानी 9 अप्रैल से होगी. शुरू के इन 15 दिनों को नए साल में नहीं गिना जाता, क्योंकि इन दिनों में चंद्रमा अमावस्या की ओर बढ़ता है. इन 15 दिनों में चंद्रमा की चमक लगातार कम होती जाती है और अंधेरा बढ़ता जाता है.

 पं कमलेशकुमार दवे ने बताया कि हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र शुरू हो गया है, 9 अप्रेल को हिंदू नववर्ष शुरू होगा। इन 15 दिनों की गिनती नए साल में नहीं होती, क्योंकि इन दिनों चंद्रमा अंधेरे की ओर यानी अमावस्या की तरफ बढ़ता है। इन 15 दिनों में चंद्रमा लगातार घटता है और अंधेरा बढ़ता है, लेकिन सनातन धर्म तमसो मां ज्योतिर्गमय यानी अंधेरे से उजाले की तरफ जाने की बात करता है, इसलिए चैत्र महीने की अमावस्या के अगले दिन पहली तिथि को जब चंद्रमा बढ़ने लगता है तभी नववर्ष मनाते हैं।

चैत्र मास 2024 के व्रत और त्योहार
  • 27 मार्च- होली भाई दूज
28 मार्च - भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी
  • 1 अप्रैल 2024 (सोमवार) - शीतला सप्तमी
  • 2 अप्रैल 2024 (मंगलवार) - शीतला अष्टमी
  • 5 अप्रैल 2024 (शुक्रवार) - पापमोचनी एकादशी, पंचक शुरू
  • 6 अप्रैल 2024 (शनिवार) - शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण)
  • 7 अप्रैल 2024 (रविवार) - मासिक शिवरात्रि
  • 8 अप्रैल 2024 (सोमवार) - चैत्र अमावस्या, सोमवती अमावस्या, सूर्य ग्रहण
  • 9 अप्रैल 2024 (मंगलवार) - चैत्र नवरात्रि, उगाडी, घटस्थापना, गुड़ी पड़वा, झूलेलाल जयंती, हिंदू नववर्ष शुरू
  • 10 अप्रैल 2024 (बुधवार) - चेटी चंड
  • 11 अप्रैल 2024 (गुरुवार) - गणगौर, मत्स्य जयंती
  • 12 अप्रैल 2024 (शुक्रवार) - विनायक चतुर्थी
  • 13 अप्रैल 2024 (शनिवार) - मेष संक्रांति, सोलर नववर्ष शुरू, बैसाखी
  • 14 अप्रैल 2024 (रविवार) - यमुना छठ
  • 16 अप्रैल 2024 (मंगलवार) - महातारा जयंती
  • 17 अप्रैल 2024 (बुधवार) - चैत्र नवरात्रि पारणा, राम नवमी, स्वामी नारायण जयंती
  • 19 अप्रैल 2024 (शुक्रवार) -  कामदा एकादशी
  • 21 अप्रैल 2024 (रविवार) - प्रदोष व्रत (शुक्ल), महावीर स्वामी जयंती
  • 23 अप्रैल 2024 (मंगलवार) - हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा व्रत

भगवान विष्णु ने पहला अवतार चैत्र माह में ही लिया

पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। पं सत्यनारायण दवे राजवेदिया ने बताया कि इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था। प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।

दो तरह से होती है महीनों की गिनती

विक्रम संवत में दो तरह से महीनों की गिनती होती है। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में अमावस्या खत्म होने के बाद नए महीने की शुरुआत होती है। वहीं, उत्तर भारत सहित ज्यादातर जगहों पर पूर्णिमा के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है। इसी कारण होली के अगले दिन नया महीना तो लग जाता है लेकिन हिंदू नववर्ष महीने के 15 दिन बीतने के बाद शुरू होता है।

चैत्र माह का महत्व (Significance of Chaitra Month)

चैत्र मास के व्रत-त्योहार बहुत खास होते हैं, क्योंकि हिंदू नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से शुरू होता है. ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करता है. इन दिनों मौसम में भी बदलाव देखने को मिलते हैं. इस महीने को भक्ति और संयम का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस महीने में कई खास व्रत और त्योहार पड़ते हैं. लोगों की सेहत का ध्यान रखते हुए व्रत और त्योहारों को मनाने सलाह दी जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी. साथ ही, इस दिन से ही भगवान विष्णु ने दशावतार से प्रथम मत्स्य अवतार लिया था और प्रलय के समय मनु की नाव को जल बहाव से बचा लिया था. प्रलय की समाप्ति के बाद मनु से नई सृष्टि की शुरुआत हुई.

चैत्र माह में क्या करें और क्या न करें (Chaitra Month Dos and Donts)

प्रतिदिन स्नान- कहा जाता है कि इस महीने में सूर्योदय से पहले उठकर ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए और इसके बाद दिन में एक बार उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति बीमारियों से बचा रहता है और उसकी उम्र भी बढ़ती है.

बासी भोजन करने से बचें- चैत्र माह में गर्मी शुरू होने लगती है इसलिए बासी भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए. इस माह भोजन में तरल पदार्थ ज्यादा लेना चाहिए और अनाज की मात्रा कम कर देनी चाहिए. इसके साथ ही हल्के और सूती वस्त्र पहनना शुरू कर देना चाहिए.

चैत्र माह में क्या न करें

-चैत्र माह में बासी भोजन करने से बचना चाहिए। इसके अलावा भोजन में नमक की मात्रा कम करनी चाहिए। बल्कि ज्यादा से ज्यादा सेंधा नमक का सेवन करना चाहिए।

- इस माह तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए।

- इस चैत्र माह में गुड़ का सेवन करने से बचना चाहिए।

- आपको प्याज और लहसुन से बने भोजन करने से बचना चाहिए।

- नशे और लड़ाई- झगड़े से दूर रहें।

चैत्र माह में क्या करें

- चैत्र माह का हिंदू धर्म में विशेष स्थान होता है। इस माह में व्यक्तियों को जल्दी सुबह उठना चाहिए और सूर्य की रोशिनी में योग और कसरत करनी चाहिए। इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। 

- चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्रि रहती हैं। ऐसे में इस माह में मां दुर्गा की विशेष पूजा और आराधना करनी चाहिए। इसके अलावा सूर्य देव और भगवान राम की भी उपासना करनी चाहिए।

- चैत्र माह में विशेष रूप से गाय और पेड़-पौधों की सेवा करनी चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति में वृद्धि होती है। 

- हिंदू कैलेंडर का पहला महीना होने से इस पूरे माह भगवान की पूजा और उपासना में ज्यादा समय देना चाहिए।

- 

पेड़-पौधों को दें पानी-

 चैत्र माह में गर्मी बढ़ने लगती है, ऐसे में पेड़ पौधों को रोजाना पानी देना चाहिए. इसके साथ ही चैत्र माह में रसीले फलों का सेवन और दान करना बहुत शुभ माना गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन की कई परेशानियां दूर हो सकती हैं.

योग और ध्यान- 

चैत्र माह में गर्मी बढ़ने के कारण लोगों में आलस भी बढ़ने लगता है. ऐसे में इस माह में आलस से बचने के लिए सुबह जल्दी बिस्तर छोड़ने की कोशिश करें और दिन की शुरुआत योग और व्यायाम के साथ करें. ऐसा करने से मन और शरीर दोनों से आलस दूर रहेगा.

नीम की पत्ती- चैत्र माह से सुबह सवेरे नीम की पत्तियां चबानी चाहिए. कहा जाता है कि इससे मौसम के बदलाव से होने वाले संक्रमण से बचने में मदद मिल सकती है. नीम के पत्तों को गुड़ के साथ खाने से लाभ मिलता है.

इनकी करें पूजा- शास्त्रों के अनुसार इस पूरे महीने में पूरे दिन एक समय ही भोजन करना चाहिए. अधिक भोजन करने से बचें. साथ ही इस पूरे महीने नियमित रूप से भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करें और उनके लिए व्रत भी रखना चाहिए.

देवी दुर्गा की आराधना- इस माह में सूर्य और देवी दुर्गा की पूजा करनी चाहिए, जिससे व्यक्ति को पद-प्रतिष्ठा के साथ-साथ शक्ति और ऊर्जा भी मिलती है. इस माह में गुड़ खाना वर्जित बताया जाता है. ऐसे में इस महीने में गुड़ खाने से बचें.

मत्स्य अवतार की पूजा के लाभ

चैत्र महीने में भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. और इस पूजा से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है. यह पूजा भक्तों के जीवन में आने वाले कष्टों और परेशानियों से उनकी रक्षा करती है और मनोकामनाएं पूर्ति भी करती है.

चैत्र महीने में भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा कैसे करें?

भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया के बाद घर की साफ सफाई करें और उसके बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर में पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई करें और भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें. अब दीप और धूप प्रज्वलित करें और भगवान विष्णु को रोली, चावल, फल, फूल, मिठाई और अन्य भोग अर्पित करें. मत्स्य अवतार की कथा पढ़ें या सुनें.अब भगवान विष्णु की आरती करें और विष्णु जी के मंत्र “ॐ नमो नारायणाय” का जाप करें. दान-पुण्य आदि कार्य जरूर करें जिससे जरूरतमंदों की मदद हो सके.

भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, मत्स्य अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से पहला अवतार माना जाता है. भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार में प्रकट होकर सृष्टि की भयानक जल प्रलय से रक्षा की थी. इसके साथ ही उन्होंने हयग्रीव नाम के दैत्य का भी वध किया था जिसने वेदों को चुराकर सागर की गहराई में छिपा दिया था. भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार ने संसार में अधर्म का नाश कर, धर्म की स्थापना की थी. भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार में ही मनु को वेदों का ज्ञान दिया था. भगवान विष्णु के पहले अवतार माने जाने वाले, मत्स्य अवतार की पूजा करने से माना जाता है मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति होती है.

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