लाल सिंह ने वापस लिया नामांकन, कहा- कांग्रेस ने मान ली मेरी बात, अब जिताने के लिए करूंगा काम
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लाल सिंह ने वापस लिया नामांकन, कहा- कांग्रेस ने मान ली मेरी बात, अब जिताने के लिए करूंगा काम -
जालौर ( 8 अप्रैल 2024 ) Lok sabha election 2024: देशभर में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर उठापटक चल रही है। इसी बीच मायावती की बसपा को राजस्थान में बड़ा झटका लगा है। यहां सोमवार को जालोर-सिरोही सीट से बसपा प्रत्याशी लाल सिंह धानपुर ने अपना नामांकन वापस ले लिया। इतना ही नहीं उन्होंने सीट पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत को अपना समर्थन दिया है। बता दें लाल सिंह धानपुर पहले कांग्रेस में थे, वरिष्ठ नेताओं से नाराजगी के बाद वह बसपा में चले गए थे, अब उन्होंने एक तरह से फिर अपनी 'घर' वापसी की है।
जालोर-सिरोही संसदीय सीट से बसपा प्रत्याशी लाल सिंह ने सोमवार को अपना नामांकन वापस ले लिया. अब इसके बाद यहां कांग्रेस के वैभव गहलोत और भाजपा के लुंभा राम चौधरी के बीच मुकाबला होना है. वहीं, नामांकन वापस लेने के बाद लाल सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उनकी बातें मान ली है. ऐसे में अब वो यहां कांग्रेस को जिताएंगे. दरअसल, बसपा प्रत्याशी लाल सिंह को बैठाने का प्रयास किया जा रहा था, वो नहीं मान रहे थे. अंतत: रविवार रात को कांग्रेस समझाइश करने में सफल रही और सोमवार को कांग्रेस नेता धर्मेंद्र सिंह राठौड़ के साथ लाल सिंह कलेक्ट्रेट पहुंचे और अपना नामांकन वापस ले लिए. इस दौरान बसपा के प्रदेश महासचिव व उदयपुर जोनल प्रभारी हरिश्चंद्र सिंह गौड़ ने भी लाल सिंह की खूब मान मनौव्वल की. उन्होंने लाल सिंह को रोकने का हर संभव प्रयास किया,
लेकिन वो नहीं रुके और आखिरकार अपना नामांकन वापस ले लिए.इधर, गौड़ ने कहा कि रविवार को बैठक छोड़कर लाल सिंह निकल गए थे. उसके बाद से ही वो किसी का फोन नहीं उठा रहे थे. उन्होंने कहा कि लाल सिंह ने कहा था कि भाजपा-कांग्रेस राजपूत समाज को टिकट नहीं दे रही है. इसलिए एससी-एसटी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और सीट निकालेंगे, लेकिन उन्होंने हमारे भरोसे को तोड़ा है. इसे हमारी भाषा में बिकना कहते हैं.
वहीं, लाल सिंह 2017 में कांग्रेस से जुड़े थे. उसके बाद उन्होंने विधानसभा व लोकसभा में दावेदारी की, लेकिन टिकट नहीं मिली. इस बार लोकसभा चुनाव घोषणा से पहले लाल सिंह ने वराडा में एक आयोजन कर वैभव का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि बाहरी आया तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. उनके इस कथन को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले हल्के में लिया. उसके बाद लाल सिंह की गहलोत से मुलाकात हुई, तब भी गहलोत ने उन्हें ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं दिया.गहलोत का अंदाजा था कि लाल सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने से कांग्रेस को फायदा हो सकता है. इस लिहाज से इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन लाल सिंह ने भी चतुराई से काम करते हुए बसपा से टिकट ले ली और बसपा के सिंबल पर नामांकन किया. साथ ही मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की मंशा से नामांकन सभा में सियासी ताकत भी दिखाई. इससे गहलोत की चिंताएं बढ़ गई, तभी से गहलोत गुट ने घेराबंदी कर उन्हें बिठाने की जुगत शुरू की और आखिरकार लाल सिंह को बिठाने में वो कामयाब हो गए ।
पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे और जालोर-सिरोही लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावनाएं अब खत्म हो गई हैं। जालोर-सिरोही लोकसभा सीट से बसपा प्रत्याशी लाल सिंह धनपुर ने अपना नामांकन वापस ले लिया है और कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत का समर्थन किया है। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर लाल सिंह ने बसपा के टिकट पर नामांकन दाखिल किया था। अब उनका कहना है 'कांग्रेस मेरा परिवार है, परिवार में झगड़ा होता है, अब मैं कांग्रेस के साथ हूं पार्टी को मजबूत बनाउंगा।'
पूर्व मुख्यमंत्री साहब के पुत्र वैभव कांग्रेस से हैं
लालसिंह वर्ष 2017 कांग्रेस से जुड़े। उसके बाद विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी की, लेकिन टिकट नहीं मिले। इस बार अनाउंसमेंट से पहले घोषणा की गई थी कि लालसिंह ने वरदा में एक कार्यक्रम में वैभव का विरोध किया था और कहा था कि बाहर आए तो चुनाव लड़ेंगे। उनका यह कथन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक मराठा द्वारा भी दासी में लिया गया था। उनके बाद लालसिंह की मेमोरियल से हुई मुलाक़ात पर भी बड़ी प्रतिक्रियाएँ नहीं मिलीं।
समर्थकों का दावा था कि लालसिंह के पास चुनावी लड़ाई से कांग्रेस को फायदा हो सकता है, इस दावे से यह उत्सुकता से नहीं है, लेकिन लालसिंह ने भी चतुराई से काम करते हुए टिकट ले ली और समर्थकों के सिंबल पर नामांकन कर दिया। ।। साथ ही ऑर्केस्ट्रा को त्रिकोणीय बनाने की विधि से नामांकन सभा में मशीनरी भी स्पष्ट रूप से करवा दी गई। इसे देखिए घर की सांसें भी फूल गईं। गुट गुट ने घेराबंदी कर ईसाइयों की जुगत शुरू कर दी। अंततःसिंह लाल को गणित में दाखिला मिल गया। जिस कारण सोमवार को नामांकन वापस ले लिया गया।
जनसभा कर किया था चुनाव लड़ने का ऐलान
जानकारी के अनुसार आज नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन था। लाल सिंह धानपुर अपने समर्थकों संग चुनाव अधिकारी के ऑफिस में पहुंचे और अपना पर्चा वापस ले लिया। इससे पहले कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने एक बड़ी जनसभा कर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी द्वारा वैभव गहलोत को जालौर-सिरोही से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद वह नाराज थे। अब अशोक गहलोत के समझाने के बाद वह मान गए हैं।
बसपा कार्यकर्ताओं ने जताई नाराजगी
लाल सिंह धानपुर के बसपा से नामांकन वापस लेने के बाद बसपा कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई है। बसपा नेताओं ने कहा कि पार्टी ने भरोसा जताते हुए धानपुर को अपना प्रत्याशी बनाया था। लाल सिंह ने दलितों को धोखा दिया है। बसपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि धानपुर को जरूर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने बड़ा लालच दिया है, यही वजह है कि वह नामांकन करने के बाद चुनाव मैदान से भाग खड़े हुए हैं।
गहलोत फैमिली मैदान में उतरी
कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार वैभव गहलोत और उनका पूरा परिवार चुनावी मैदान में उतर गया है। हाल ही में एक जनसभा में वैभव गहलोत की मां सुनीता गहलोत चुनावी मैदान में नजर आईं। पिता अशोक गहलोत ने हाल ही में स्थानीय लोगों से चर्चा की और वैभव गहलोत को जिताने की अपील की। नामांकन के दिन वैभव गहलोत की बेटी ने भी सोशल मीडिया के जरिए लोगों से बड़ी संख्या में नामांकन सभा में आने की अपील की थी।
पत्नी हिमांशी गहलोत पिछले कई दिनों से स्थानीय लोगों से जनसंपर्क कर रही हैं। वह डोर टू डोर कैंपेन कर लोगों से मिल रही हैं। उनका कहना है कि लोगों की इच्छा थी कि वैभव गहलोत का परिवार उनसे आकर एक परिवार की तरह मिले।
इनसे है मुकाबला
गहलोत का मुकाबला बीजेपी के लुंबाराम चौधरी है। लुंबाराम चौधरी सिरोही के रहने वाले हैं, वह यहां के स्थानीय हैं जबकि वैभव गहलोत का पैतृक आवास जोधपुर है। इसलिए इस सीट पर स्थानीय वर्सेस बाहरी का जैसे मुद्दे सामने आ सकते है। ऐसे में इस सीट पर वैभव के लिए चुनौती कम नहीं है। हालांकि इस सीट पर अबतक बाहरी नेताओं ने ही जीत हासिल की है। पिछले चार चुनावों से बीजेपी लगातार जीत दर्ज कर रही है। हालांकि, 1999 तक इस सीट पर कांग्रेस के बूटा सिंह का दबदबा था, जो यहां से 4 बार जीत चुके हैं।
इनका कहना है कि
मेरा कांग्रेस परिवार था, मैं कांग्रेस के साथ था। कांग्रेस कुछ मेरी बातें मन नहीं रही थी। अब बातें मन ली है। पार्टी के साथ हूं और जीतूंगा।
– लालसिंह, (बसपा साहू का नाम वापस लेने के बाद)
कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया
बता दें कि लाल सिंह पूर्व में बसपा से पहले कांग्रेस के पदाधिकारी भी रहे हैं लेकिन कांग्रेस ने वैभव गहलोत को जालौर सिरोही से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया था. अब वापस उन्होंने बसपा से चुनाव नहीं लड़ने और कांग्रेस के समर्थन में अपना नाम वापस लिया. नाम वापसी के बाद लाल सिंह ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी का हूं और कांग्रेस पार्टी से जो मैंने मांग रखी थी वह पूरी कर दी गई है इसलिए मैंने नामांकन वापस लिया और अब कांग्रेस को मजबूत करूंगा
लाल सिंह के बसपा से नामांकन वापसी करने पर बसपा के कार्यकर्ताओं ने लाल सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा की सुप्रीमो मायावती ने लाल सिंह पर भरोसा जताते हुए बसपा से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन लाल सिंह ने दलितों और पार्टी के साथ बड़ा धोखा किया है.
कार्यकर्ताओं ने बताया कि लाल सिंह ने टिकट मिलने से पहले बहुत बड़ी-बड़ी बातें की थी कि वो राजपूत समाज से हूं और बसपा पार्टी के साथ रहूंगा उन्होंने जनसभा में भी कहा था कि हम राजपूत समाज के लोग दोनों ही बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों की दरी बिछाने का काम करते हैं लेकिन हमारे समाज को टिकट नहीं दिया जाता ऐसी बातें राजपूत समाज में कर रहे थे लेकिन अगर दोनों ही बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों राजपूत समाज को टिकट नहीं दे रही थी लेकिन बसपा ने राजपूत समाज को टिकट दिया कोई बड़ी राष्ट्रीय पार्टी राजपूत समाज को टिकट दे रही है लेकिन आप पार्टी के साथ धोखा कर रहे.
बावजूद इसके इसके लाल सिंह ने बसपा पार्टी के साथ धोखा किया कार्यकर्ताओं ने लाल सिंह के बिकने को लेकर गंभीर आरोप लगाए. कार्यकर्ताओं ने कहा कि अब इस लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ने उनको कोई लुभाने के लिए वादा किया होगा लेकिन बहुजन समाज पार्टी के मतदाता इसका बदला चुनाव में जरूर लेंगे.
JALORE NEWS
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