चीखती महिलाएं रोते बच्चे...जालौर में कोर्ट के आदेश पर 140 घरों को ढहाने पहुंचा प्रशासन, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
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कल तक का समय दिया, आहोर उपखंड अधिकारी क्या कहां - Gave time till tomorrow, what did the Ahor subdivision officer say
जालौर ( 16 मई 2024 ) Jalore News, राजस्थान के जालोर जिले के आहोर उपखंड क्षेत्र के ओडवाड़ा गांव की चारागाह भूमि यानी ओरण पर लोगों का अतिक्रमण से मोह नहीं छूट रहा। लंबे समय से जिला प्रशासन अतिक्रमण करने वालों को हिदायद देता रहा है लेकिन वहीं 'ढाक के तीन पात'। इसबार रजास्थान हाईकोर्ट के आदेश पर गुरुवार को एक बार फिर अतिक्रमण हटाने के कार्रवाई शुरू हुई। पहले दिन अतिक्रमण में शामिल दो दीवारों को बुलडोजर से गिराया गया।
इससे पहले अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के विरोध में ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान वहां मौजूद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाया। इस पूरी कार्रवाई के दौरान के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए, जिनके आधार पर कांग्रेस भी राज्य की भजनलाल सरकार पर हमलावर हो गई। पुलिस दस्ते का सामना ग्रामीणों से हो गया।
देखते ही देखते स्थितियां इतनी ज़्यादा बिगड़ गई कि ग्रामीणों को मौके से खदेड़ने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ गया। ये पूरा घटनाक्रम अब इतना ज़्यादा तूल पकड़ गया है कि इसपर राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
इसलिए बिगड़ा मामला - so the matter got worse
मामला जालोर ज़िले के ओडवाड़ा गांव का है, जहां आज सुबह स्थानीय प्रशासन मई पुलिस जाप्ते के मौके पर पहुंच गया। पुलिस और प्रशासन यहां हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने पहुंचा था। इधर अपने आशियाने बचाने और कार्रवाई का विरोध जताने के लिए ग्रामीण भी एकजुट होकर लामबंद हो गए।
फिर वही हुआ जिसका अंदेशा था। जैसे ही पुलिस-प्रशासन ने कार्रवाई को अंजाम देना शुरू किया, पुलिस और ग्रामीण आमने-सामने हो गए। ग्रामीणों के विरोध को नियंत्रित करने और उन्हें मौके से खदेड़ने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। इस दौरान पूरे गांव का माहौल बिगड़ गया और स्थित अनियंत्रित हो गई।
मच गया कोहराम - so the matter got worse
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई जैसे ही शुरू हुई मौके पर कोहराम मच गया। ग्रामीण महिलाओं ने एकजुट होकर कार्रवाई का पुरज़ोर विरोध किया। इस बीच महिलाओं और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था।
कार्रवाई पर हाईकोर्ट की रोक ,ओडवाड़ा अतिक्रमण मामलाः आज पीड़ित ग्रामीण
से मिलेगी कांग्रेस की कमेटी, सुखराम विश्नोई, हरीश चौधरी होंगे शामिल ,
जालोर जिले कलेक्टर पुजा पार्थ , हाईकोर्ट आदेशों की पालन किया गया है ,
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विरोध के बीच कार्रवाई
ग्रामीणों के विरोध के बावजूद प्रशासन ने अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई की। मकानों की बाउंड्री गिराकर कई बाड़े हटाए गए। टीन के शेड और टीन वाले मकानों की दीवारों को भी गिराया गया। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात रहा। मौके पर आहोर, जालोर और सायला एसडीएम, एएसपी और आहोर, जालोर, भीनमाल के डीवाईएसपी समेत बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता, तहसीलदार, आर आई और पटवारी मौजूद है।
ये है मामला - this is the matter
ये पूरा मामला दरअसल, जालौर जिले के आहोर उपखंड गांव के ओडवाड़ा गांव का है। यहां ओरण क्षेत्र में बसे करीब 400 घरों को अतिक्रमण माना गया है। इस भूमि का विवाद हाईकोर्ट में भी चला, जिसके बाद कोर्ट ने यहां से अतिक्रमणों को हटाने के पुलिस-प्रशासन को आदेश दे डाले। इन्हीं कोर्ट के आदेशों की पालना की दलील देते हुए गुरुवार को कार्रवाई को अंजाम दिया गया है।
ग्रामीणों को किया गया था ताकीद - The villagers were warned
स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों की माने तो लगभग सभी घरों को चिन्हित कर उसपर क्रॉस के निशान लगाए गए थे। साथ ही परिवारों को नोटिस थमाकर इस भूमि को खाली करने के आदेश तक दिए गए थे। ग्रामीणों को ताकीद करते हुए बताया गया था कि कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी मकान मालिकों को 14 मई तक अपने मकान खाली करने हैं। यदि ऐसा नहीं होता है तो 16 को प्रशासन की ओर से इन्हें खाली करवाकर परिवारों को बेदखल किया जाएगा।
तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं - living for three generations
जिस भूमि को अतिक्रमण मानकर कार्रवाई की गई है वहां के लोगों का कहना है कि वे यहां पिछली तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं। तत्कालीन सरपंचों और तहसीलदार के दिए हुए पट्टे भी उनके पास हैं। साथ ही पानी और बिजली के कनेक्शन तक उनके पास हैं।
घटना पर गरमाई सियासत
जालोर की घटना पर सियासी पारा गरमा गया। विपक्षी दलों के नेताओं ने कुछ इस तरह से अपनी-अपनी प्रतिक्रिया जारी की।
कल की जाएगी अतिक्रमण ध्वस्त करने की कार्रवाई
राजस्थान हाईकोर्ट ने 7 मई को चारागाह भूमि पर बने मकानों को हटाने के आदेश दिए थे. अतिक्रमण हटाने के लिए आज सुबह 7:00 बजे जिला प्रशासन को पुलिस का जाप्ता ओड़वाड़ा पहुंचा था. प्रशासन की ओर से घरों से सामान निकालने के लिए कल तक का समय दिया गया है. शुक्रवार (17 मई) को फिर से अतिक्रमण ध्वस्त करने की कार्रवाई प्रशासन के द्वारा की जाएगी.
440 मकान चारागाह भूमि में पाए गए - 440 houses found in pasture land
ओड़वाड़ा की पूर्व सरपंच प्रमिला राजपुरोहित का कहना है. करीब 3 साल पहले गांव में रहने वाले मुकेश पुत्र मूल सिंह राजपुरोहित और महेंद्र सिंह पुत्र बाबू सिंह राजपूत के बीच जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया था. दोनों भाइयों का विवाद हाई कोर्ट तक पहुंच गया जमीन का नाप हुआ तो करीब 440 मकान चारागाह भूमि में पाए गए, 2022 और 2023 में कुछ कच्चे अतिक्रमण हटा दिए गए थे, कोर्ट के आदेश पर अभी 150 से अधिक कच्चे मकान और करीब 160 बड़े हटाने को लेकर गांव में मकान को चिन्हित करना विशाल लगाया गए
( आगे बैठी महिला और पुरुष देखें यहां पर पुरे विडियो क्या मामला JALORE NEWS https://youtu.be/0dIJ92ibjgU?feature=shared
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तीन साल पुराना है मामला - The case is three years old
जानकारी के अनुसार ओड़वाड़ा गांव में 3 साल पहले गांव के निवासी मुकेश पुत्र मुल्लसिंह राजपुरोहित और महेन्द्रसिंह पुत्र बाबुसिंह राजपुरोहित में जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया था। जिसके बाद दोनों भाई हाईकोर्ट पहुंच गए। दोनों भाइयों की जमीन का नाप हुआ। जिसमें करीब गांव के 440 घर ओरण भूमि पर बने पाए गए। जिसके बाद कोर्ट के आदेश से 2022 और 2023 में कुछ कच्चे अतिक्रमण हटा दिए थे। अब फिर से कोर्ट के आदेश पर 150 से अधिक कच्चे मकान और 160 के करीब बाड़े बंदी हटाने को लेकर उन्हें चिन्हित किया गया है।
विधायक राजपुरोहीत ने मुख्यमंत्री से मिलकर ओडवाडा गांव को उजड़ने से रुकवाया..!!
जालौर के ओडवाडा गांव के मामले को लेकर आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित गुरुवार को अल सुबह जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिलकर ग्राम ओडवाडा के विषय को लेकर ज्ञापन सौंपा एवम् मुख्यमंत्री शर्मा को पूरा ब्रीफ करके बताया और संवेदनशील मुख्यमंत्री ने तुरंत इस विषय को लेकर अधिकारियों से बात की और ओडवाड़ा ग्रामवासियों को बेघर कर रहे प्रशासन को ओडवाड़ा गांव को उजड़ने से रुकवाया गया, इस विषय को लेकर विधायक राजपुरोहित ने सोशल मीडिया अकाउंट पर आश्वस्त करते हुए ट्विट किया कि आगे हमारा प्रयास रहेगा कि ओडवाडा ग्रामवासियों से मिलकर एवम् उन्हें साथ लेकर न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़कर ओडवाडा ग्रामवासियों के हित में फैसला लाने का प्रयास रहेगा, इस मामले को लेकर विधायक राजपुरोहित ने 2021 से ओडवाड़ा गांव के हित में प्रयास किए और गांव को उजड़ने से रुकवाया भी था और कहा कि ओडवाड़ा ग्रामवासियों के हर सुख-दुःख में साथ हु तथा आज प्रशासन द्वारा ओडवाडा में महिलाओं-बुजर्गो के साथ बर्बरता एवम् अमानवीय व्यवहार किया है उसकी सकारात्मक कार्यवाही करवाने को लेकर क्षेत्रवासियों को आश्वस्त किया
कई महिलाएं रोती हुई आई नजर
पुलिस व प्रशासन के द्वारा कार्रवाई करते हुए. मौके पर जेसीबी के जरिए मकान की बाउंड्री तोड़ी गई है. कुछ घरों के बिजली कनेक्शन की काटे गए. कई जगह घरों की बाउंड्री की गई थी. उनको भी तोड़ा जा रहा है. कार्रवाई के दौरान कई महिलाएं रोती हुई नजर आई, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश की पालना के चलते पुलिस और प्रशासन ने कार्रवाई को जारी रखा है.
सामान निकालने के लिए कल तक का समय दिया
जानकारी के अुनसार प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को कल तक का समय देते हुए राहत दी गई। इस बीच लोगों से अपने घरों से सामान हटा लेने को कहा गया है। शुक्रवार को प्रशासन एक बार फिर कार्रवाई शुरू करेगा। फिलहाल प्रशासन की ओर से कई घरों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए हैं। साथ ही बुलडोजर के जरिए मकानों की बाउंड्री तोड़ी गई हैं
पीसीसी चीफ डोटासरा ने लिखा...
वहीं, आहोर उपखंड के ओडवाड़ा गांव में पुलिस की बर्बर कार्रवाई मामले में पीसीसी चीफ डोटासरा ने कार्रवाई का विरोध जताया. इसी के चलते उन्होंने सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म X पर लिखा कि 'भाजपा के नये राजस्थान में आपका स्वागत है. शर्मनाक!' 'जालोर के ओडवाडा में उजड़ते आशियाने, बिलखते परिवार... महिलाओं से बर्बरता और पुलिस का क्रूर चेहरा'.
सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
वैभव गहलोत ने लिखा, "इसके संबंध में मैंने सुप्रीम कोर्ट के वकील से चर्चा की है एवं पीड़ित परिवारों की ओर से आज ही सुप्रीम कोर्ट में इस कार्रवाई के विरुद्ध सुनवाई के लिए प्रार्थना पत्र देना तय किया है। हमें आशा है कि सुप्रीम कोर्ट से पीड़ित परिवारों के घर तोड़ने पर जल्द से जल्द स्टे मिलेगा और इन्हें राहत मिल सकेगी।"
कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने यहीं पर 67 कच्चे अतिक्रमण हटाए थे - Congress' Ashok Gehlot government had removed 67 encroachments here
राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रशासन की ओर से गुरुवार को चिन्हित अतिक्रमण हटाया गया। गुरुवार सुबह कार्रवाई शुरू की गई, जहां कुछ विरोध के बाद मामला शांतिपूर्ण रहा। प्रशासन ने काफी संख्या में अतिक्रमण हटा दिया है। जिसमें कई पक्के निर्माण भी थे। जानकारी के मुताबिक ओड़वाड़ा गांव में दो भाइयों के बीच हुए विवाद के बाद एक पक्ष ने उच्च न्यायालय चला गया। गांव में ओरण में अतिक्रमण होने का मामला दायर किया गया था। इसकी जांच पड़ताल के बाद न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के आदेश बीते वर्ष भी दिए थे। उस दौरान प्रशासन ने 67 कच्चे अतिक्रमण हटाए गए थे।
बेघर नहीं किया गया, सिर्फ बाहरी दीवारों को गिराया गया - Congress' Ashok Gehlot government had removed 67 encroachments here
न्यायालय के आदेश पर गुरुवार को पुनः पक्के अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। यहां बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात किया गया। आहोर जालोर व सायला के उपखंड अधिकारी भी मौजूद रहे। आहोर उपखंड अधिकारी शंकरलाल मीणा ने बताया कि करीब 35 एकड़ जमीन में 138 पक्के निर्माण चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू की गई है। शंकरलाल मीणा ने बताया कि इसमें कई लोगों ने न्यायालय से फिर से स्थगन आदेश भी ले रखा है, लेकिन गुरुवार को 138 चिन्हित पक्के निर्माण को हटाने की कार्रवाई की गई है। मीणा ने बताया कि गर्मी के मौसम को देखते हुए आवासरत किसी व्यक्ति को बेघर करने का प्रयास नहीं किया गया है। दीवारों को तोड़ा गया है। न्यायालय की पालना में कार्रवाई की गई है। इस संबंध में 20 मई को प्रशासन की ओर से न्यायालय में जवाब पेश करना है।
महिलाओं व बच्चों के साथ नहीं किया गया कोई दुर्व्यवहार-जिला कलक्टर
माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय दिनांक 16.03.2021 व अवमानना याचिका सं. 433/2022 में पारित आदेश दिनांक 21.03.2023 व अवमानना याचिका सं. 648/2023 में पारित आदेश 07.05.2024 की पालना में ग्राम ओडवाड़ा की ओरण भूमि से गुरूवार को अतिक्रमण हटाये गये हैं।
जिला कलक्टर ने बताया कि अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही विधिपूर्ण व शांतिपूर्वक की गई है। रहवासीय आवास किसी भी प्रकार के अभी तक नहीं हटाये गये है तथा कोई भी परिवार बेघर नही हुआ है। अतिक्रमण हटवाने की कार्यवाही के दौरान महिलाओं एवं बच्चों पर कोई बल प्रयोग नही किया गया है तथा न ही किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार पुलिस बलों द्वारा किया गया है। सभी अतिक्रमण समझाईश कर हटाये गये हैं।
उन्होंने बताया कि प्रशासन द्वारा पूरी संवेदनशीलता रखते हुए माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना में गुरूवार को बाड़ व बाउण्ड्री वॉल हटाने की कार्यवाही की गई हैं जिसमें कोई भी आवासीय मकान शामिल नहीं है।
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