2030 तक चेतावनी! हर शहर के हर तीसरे बच्चे को लग सकता है चश्मा - JALORE NEWS
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2030 तक चेतावनी! हर शहर के हर तीसरे बच्चे को लग सकता है चश्मा - JALORE NEWS
जयपुर ( 14 मई 2024 ) Myopia Epidemic Among Indian Children : भारत में हर साल 5 से 15 साल के उम्र के हर तीसरे बच्चे को आने वाले समय में चश्मा लग सकता है! ऐसा डॉक्टरों का कहना है. ज्यादा देर बैठे रहने और मोबाइल, कंप्यूटर जैसी स्क्रीन को ज्यादा समय तक देखने से ये समस्या हो रही है.
आपको बता दें कि मायोपिया (Myopia) एक ऐसी बीमारी है जिसमें पास की चीजें तो साफ दिखती हैं लेकिन दूर की चीजें धुंधली नजर आती हैं. ये बीमारी दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है. साल 2050 तक दुनियाभर में हर दो में से एक व्यक्ति को ये समस्या हो सकती है. बच्चों और युवाओं में ये दिक्कत बहुत तेजी से बढ़ रही है.
भारत में भी मायोपिया (Myopia) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. खासकर शहरों में रहने वाले बच्चों में ये दिक्कत ज्यादा देखने को मिल रही है. पिछले 20 सालों में यानी 1999 से 2019 के बीच शहरों में रहने वाले बच्चों में मायोपिया की समस्या तीन गुना बढ़ गई है. पहले जहां 4.44% बच्चों को ये दिक्कत थी वहीं अब ये आंकड़ा 21.15% हो गया है.
2050 तक हर दूसरा बच्चा चश्मा लगा सकता है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर इसी रफ्तार से ये बीमारी बढ़ती रही तो साल 2030 में भारत के शहरों में हर 100 में से 32 बच्चों को चश्मा लगाना पड़ेगा. वहीं साल 2050 तक ये आंकड़ा बढ़कर 50% हो सकता है. यानी हर दूसरा बच्चा चश्मा लगाएगा.
लक्षण: धुंधला दिखना, आंखों में थकान, सिरदर्द
बच्चों में मायोपिया के लक्षणों में दूर की चीजें धुंधली दिखना, आंखों में थकान रहना, सिरदर्द होना शामिल हैं. खासकर ज्यादा देर स्क्रीन देखने के बाद ये दिक्कतें ज्यादा बढ़ जाती हैं.
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बच्चों को ज्यादा देर बैठने, स्क्रीन देखने और बाहर खेलने से रोकें
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों का ज्यादा देर बैठे रहना, मोबाइल, कंप्यूटर जैसी स्क्रीन को ज्यादा समय तक देखना और बाहर खेलने में कमी होना मायोपिया की बीमारी तेजी से बढ़ने का कारण है. ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों की आंखों, रेटिना और दिमाग पर बहुत जोर पड़ता है जिससे आंखों की रोशनी कमजोर होती है. वहीं बाहर कम निकलने से बच्चों को प्राकृतिक रोशनी नहीं मिल पाती जो आंखों के लिए बहुत जरूरी होती है.
नियमित आंखों का चेकअप करवाएं Get regular eye checkups
इसके अलावा शहरों में रहने का लाइफस्टाइल भी मायोपिया को बढ़ावा दे रहा है. शहरों में बच्चों को पढ़ाई लिखाई में ज्यादा जोर दिया जाता है जिससे वो ज्यादा देर पास की चीजों को देखते रहते हैं. ये भी आंखों को नुकसान पहुंचाता है.
इन सब समस्याओं से बचने के लिए डॉक्टर जागरूकता फैलाने की बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि बच्चों का नियमित आंखों का चेकअप कराना बहुत जरूरी है. वहीं बच्चों को ज्यादा से ज्यादा बाहर खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
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