सुंदर सिंह जी भंडारी की पुण्यतिथि पर किये पुष्प अर्पित - JALORE NEWS
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सुंदर सिंह जी भंडारी की पुण्यतिथि पर किये पुष्प अर्पित - JALORE NEWS
जालोर ( 22 जून 2024 ) JALORE NEWS भाजपा प्रदेश नेतृत्व जिलाध्यक्ष राव श्रवणसिंह बोरली व मुख्य सचेतक विधानसभा राजस्थान जोगेश्वर गर्ग के निर्देशानुसार भाजपा नगर मंडल जालौर द्वारा सुंदर सिंह जी भंडारी की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि व संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम संयोजक व नगर उपाध्यक्ष अशोक गुर्जर ने बताया कि भाजपा जिला कार्यालय में सुंदर सिंह जी भंडारी की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश सोलंकी ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि की नाते ओबीसी मोर्चा जिलाध्यक्ष ओबाराम देवासी,जिलाकार्यालय मंत्री डिम्पलसिंह,विधि प्रकोष्ठ जिला संयोजक व कार्यक्रम विधानसभा संयोजक केशव व्यास,नगर मंडल संयोजक संजय बोराणा उपस्थित थे।
सभी ने सुंदरसिंह जी भंडारी की तस्वीर के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की।
इस दौरान जिला प्रवक्ता मुकेश राजपुरोहित,ओबीसी मोर्चा जिलाउपाध्यक्ष दिलीप सोलंकी,अचलसिंह परिहार,पूर्व नगर अध्यक्ष छगनदास रामावत,पार्षद हीराराम देवासी,हेमेंद्रसिंह बगेड़िया,चतराराम गहलोत,धीरज सुंदेशा सहित कहि कार्यकर्ता उपस्थित थे।
नगर अध्यक्ष एड़वोकेट सुरेश सोलंकी ने कहा कि सुन्दर सिंह भण्डारी एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वो भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता थे और जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।सुन्दर सिंह भंडारी का जन्म 12अप्रैल, 1921 को उदयपुर (राजस्थान) में प्रसिद्ध चिकित्सक डा. सुजानसिंह के घर में हुआ था। कानपुर में बी.ए. करते समय वे अपने सहपाठी दीनदयाल उपाध्याय के साथ नवाबगंज शाखा पर जाने लगे। भाऊराव देवरस से भी इनकी घनिष्ठता थी।इन्दौर के बालू महाशब्दे उन्हें कानपुर के पास नवाबगंज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में ले गये एवं विचारधारा के प्रति समर्पण के चलते आजीवन विवाह नहीं करने एवं घर छोडने का निर्णय कर संघ के प्रचारक बनें और अपनी अंतिम श्वांस तक वे प्रचारक बने रहे।1940 में नागपुर से प्रथम वर्ष का संघ शिक्षा वर्ग करते समय इन्हें डा० हेडगेवार के दर्शन हुए।1942 में अपनी शिक्षा समाप्त कर मेवाड़ कोर्ट में वकालात की। इसमें भी जब मन नहीं लगा तो इसे छोड़ कर विद्याभवन में अध्यापन का कार्य प्रारम्भ किया। इसी कारण लोग उन्हें 'मास्टर सा' के नाम से पुकारने लगे।1943 में तृतीय वर्ष कर सुन्दरसिंह भंडारी प्रचारक बन गये। सर्वप्रथम इन्हें जोधपुर विभाग का काम दिया गया।1948 के प्रतिबंध काल में भूमिगत रहकर इन्होंने जोधपुर व बीकानेर के साथ-साथ शेखावटी क्षेत्र में भूमिगत रह सत्याग्रह का संचालन किया।1951 में डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने ’भारतीय जनसंघ‘ की स्थापना कर गुरुजी से कुछ कार्यकर्ताओं की मांग की। उनके आग्रह पर दीनदयाल उपाध्याय और नानाजी देशमुख के साथ भंडारी को भी इसमें भेज दिया गया।1951 में संघ द्वारा इन्हें राजनीतिक पार्टी भारतीय जनसंघ की स्थापना के लिये महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। स्थापन से लेकर 1965 तक वे भारतीय जनसंघ के महामंत्री एवं 1963 में जनसंघ के अखिल भारतीय मंत्री बनें। दीनदयाल उपाध्याय के निधन के पश्चात ये 1968 में जनसंघ के अखिल भारतीय संगठन महामंत्री बने।
प्रारम्भ में वे राजस्थान में ही जनसंघ के संगठन मन्त्री रहे। उनके प्रयास से 1952 के चुनाव में राजस्थान से जनसंघ के आठ विधायक जीते। बहुत शीघ्र ही जनसंघ का काम गांव-गांव में फैल गया। वे अति साहसी एवं स्थिरमति के व्यक्ति थे। कश्मीर सत्याग्रह के दौरान 23 जून, 1953 को डॅा. मुखर्जी की जेल में ही षड्यन्त्रपूर्वक हत्या कर दी गयी लेकिन भंडारी ने उसी दिन स्वयं को एक सत्याग्रही जत्थे के साथ गिरफ्तारी के लिए प्रस्तुत कर दिया।जनसंघ के केन्द्रीय मंत्री के नाते उन्होंने राजस्थान, गुजरात, हिमाचल तथा उ.प्र. में सघन कार्य किया।दीनदयाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर वे महामंत्री बनाये गये।दीनदयाल जी की हत्या के बाद उन्हें जनसंघ का राष्ट्रीय संगठन मन्त्री बनाया गया। वे राजस्थान से एवं उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य रहें।
कार्यक्रम विधानसभा संयोजक केसव व्यास ने बताया कि आपातकाल के दौरान वे मीसा बंदी के रूप में जेल में भी रहे। आपातकाल के विरुद्ध हुए संघर्ष में वे भूमिगत रहकर काम करते रहे पर कुछ समय बाद वे पकड़े गये। जेल में उन्होंने अपनी सादगी और वैचारिक स्पष्टता से विरोधियों का मन भी जीत लिया। जेल से ही वे राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए।जनता पार्टी में जनसंघ का विलय हुआ लेकिन यह मित्रता स्थायी नहीं रही। भंडारी को इसका अनुमान था। अतः उन्होंने पहले ही ’युवा मोर्चा‘ तथा ’जनता विद्यार्थी मोर्चा‘ का गठन कर लिया था।
कार्यक्रम को ओर भी कही वक्ताओं ने संबोधित किया।
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