वर्षा ऋतु में लगाएं फलदार, छाया युक्त वृक्ष, मंदिरों में लगाए धार्मिक वृक्ष , पर्यावरण संरक्षण का आधार पौधारोपण : श्रवणसिंह राव बोरली - BHINMAL NEWS
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वर्षा ऋतु में लगाएं फलदार, छाया युक्त वृक्ष, मंदिरों में लगाए धार्मिक वृक्ष , पर्यावरण संरक्षण का आधार पौधारोपण : श्रवणसिंह राव बोरली - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 25 जुलाई 2024 ) BHINMAL NEWS वृक्षों की कटाई और पौधारोपण की कमी के कारण पर्यावरण असंतुलीत हो रहा हैं, जिसका एक मात्र उपाय पौधारोपण हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव बोरली ने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आमजन से अपील करते हुए कहा कि भीषण गर्मी के दौर से हम सभी गुजर चुके हैं, लेकिन आगे आने वाला समय इससे भी कठीन हो सकता हैं यदि हम सभी पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य नहीं करें तो। उन्होने बताया कि पर्यावरण संरक्षण वर्तमान समय की महत्ती आवश्यक्ता हैं । पर्यावरण संरक्षण का आधार वृक्षारोपण हैं । जिसके लिए सभी संगठनों के साथ - साथ व्यक्तिगत रूप से कार्य करने की आवश्यक्ता हैं। वृक्षारोपण के माध्यम से पर्यावरण और पृथ्वी दोनों को बचाया जा सकता हैं और भावी पीढी के उज्ज्वल भविष्य की संकल्पा रखी जा सकती है।
धार्मिक स्थलों पर धार्मिक महत्वानुसार पेड-पौधे
सनातन संस्कृति में तुलसी, अशोक, आंवला, मदार, केला, नीम, कदंब और बेल का पेड़ सहित पीपल एवं बरगद का विशेष महत्व वर्णित हैं। पद्म पुराण में लिखा है कि जलाशय यानि नदी, तालाब, कुएं-बावड़ी के पास पीपल का पेड़ लगाने से सैकड़ों यज्ञ करने के के बराबर पुण्य मिलता है। शिव पुराण का कहना है की जो वीरान एवं दुर्गम जगहों पर पेड़-पौधे लगाते हैं, ऐसे लोग अपनी पिछली और आने वाली पीढ़ियों को मोक्ष प्रदान करवाते हैं। इसीलिए मठ, मंदिर अन्य धार्मिक स्थलों पर वृक्ष लगावें, जिससे पर्यावरण संरक्षण किया जा सके।
फलदार वृक्षों से पक्षियों की आवक बढेगी
शहरी क्षेत्रों में विशेषतः फलदार वृक्षों की कमी होने के कारण पक्षियों की चहचहाट सुनाई देना कम हो गया हैं। इसीलिए शहरी क्षेत्रों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में फलदार वृक्षों को लगाया जावें । जिससे पक्षियों के साथ-साथ परिवार को भी शुद्ध फलों का सेवन करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा । जिसमें आंवला, अमरूद, अनार, पपीता, केला, नारियल, कीवी, संतरा सहित आम, जामुन, चीकु जैसे फलदार वृक्षों को लगाय जा सकता हैं।
सार्वजनिक क्षेत्रों में लगाए छावदार पेड़
सार्वजनिक स्थल जैसे तालाब, विद्यालय, मैदान, सार्वजनिक चौराहा, बस स्टेण्ड, धर्मशालाएं इत्यादि में छावदार ऑक्सीजन युक्त नीम, पीपल एवं बरगद जैसे वृक्षों को लगाना आवश्यक हैं । जिससे गर्मी के मौसम में छाव के साथ साथ शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करेगा।
पेड़ों से होगा खुशहाल वातावरण
पेड़-पौधों की संख्या में गिरावट के कारण ही वातावरण अनुकुलता की समस्या हमारे सम्मुख हैं । जिसके कारण भीष्ण गर्मी, सर्दी में गिरावट एवं बारिश की अनियमितता देखने को मिल रही है। पौधारोपण के माध्यम से पर्यावरण संतुलन के साथ-साथ मौसमीय सुधार होने प्रारंभ होगें एवं जिससे भावी पीढी को राहत प्रदान की जा सकें।
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