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सुन्दर राईका की मुर्तियां और इतिहास -
आज से करीब सात सौ साल वर्ष पहले जालोर के राजा "वीर वीरमदेव सोनगरा" के शासनकाल की समय बात है और गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जालोर कान्हादेव चौहान के बेटे वीरमदेव का रिश्ता जैसलमेर की यदृवंशी भाटी राज कुमारी का रिश्ता जालोर के यूवराज से किया गया था। और दुसरी ओर शहजादी फिरोज भी युवा राज से प्रेम करतीं थीं। वहीं फिरोज के पिता अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा जालोर के राजा कान्हादेव और वीरमदेव चौहान वंश को खत्म करना चाहता था ।
जालौर शहर में मौजूद है सुन्दर रायका की छतरी, सुन्दर राईका कौन थे जिसकी यादगार में बनी छतरी जाने क्या - JALORE NEWS
जालौर शहर में मौजूद है सुन्दर रायका की छतरी, सुन्दर राईका कौन थे जिसकी यादगार में बनी छतरी जाने क्या - JALORE NEWS |
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जालौर ( 14 जुलाई 2024 ) नमस्कार साथियों हम आज जालोर से जुड़ी इतिहास से संबंधित जानकारी के साथ नया वीडियो लेकर आया हूं जालोर के इतिहास से जुड़ा कुछ किस्से हैं । अगर आप भी राईका समाज से तालुक रखते हैं यहां फिर आप भी जालौर के रहने वाले हैं तो यहाँ आपके लिए कुछ खास संबंधित होगा। यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े हुए हैं तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर करे देवें जैसे कि आप सभी को मालूम है कि
राईका समाज में अनेक युद्ध और वीर पुरुषों हुआ करतें थें। उनमें से एक यहां भी राईका है। जोकि इतिहास के पन्नों से हटाया गया है। आज इस विडियो के माध्यम से आपको सुन्दरला तालाब जोकि जालोर शहर के बीच - बीचों में बना हुआ है। उसके बारे में बताया गया है कि अपने जालोर में सुन्दरलाव तालाब का नाम सुन्दर राईका एक युद्ध महापुरुषों के नाम पर पड़ा था। जालौर शहर के सुंदरलाव तालाब धरोहर में से एक है यहां भी स्थान है। देवासी समाज का मनाना हैं कि ।
सुंदेलाव तालाब पर लगीं छतरी देवासी समाज का मानना है कि आज से 700 साल पहले सुंदर तालाब पर सुंदर भाड़का की मूर्ति लगाई गई थी। शहर की ऐतिहासिक धरोहर सुन्देलाव तालाब जिसको राजा कान्हादेव ने जैसलमेर के सुन्दर राईका की याद में खुदवाया था अभी तक का पूरी तरीके से सुंदर तालाब की जानकारी प्राप्त नहीं हुई है ।
सुन्दर राईका की मुर्तियां और इतिहास -
आज से करीब सात सौ साल वर्ष पहले जालोर के राजा "वीर वीरमदेव सोनगरा" के शासनकाल की समय बात है और गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जालोर कान्हादेव चौहान के बेटे वीरमदेव का रिश्ता जैसलमेर की यदृवंशी भाटी राज कुमारी का रिश्ता जालोर के यूवराज से किया गया था। और दुसरी ओर शहजादी फिरोज भी युवा राज से प्रेम करतीं थीं। वहीं फिरोज के पिता अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा जालोर के राजा कान्हादेव और वीरमदेव चौहान वंश को खत्म करना चाहता था ।
जिसके दिल्ली सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने जालोर किला में बनाने वाले खाने में जहर मिला दिया गया था। जिसकी जानकारी जैसलमेर की यदृवंशी भाटी राज कुमारी को पता लगा था । क्यों उन्हें अपने कांच के शीशे के अंदर दर्पण में देखा लिया गया था । कि जालोर के किला में बनाने वाले खाने में जहर मिला दिया गया है। जालौर युवराज वीरमदेव चौहान के जान का खतरा है।
नोट::: --- ::: जिसकी यादगार में बनी छतरी जाने क्या https://youtu.be/5DsWD0qA9bk?si=q__aBrDn250U_e-0
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यह जानकर आश्चर्य में पड़ गई थी कि मैं कैसे किस प्रकार से अपने युवराज वीरमदेव चौहान की जान बचा सकूंगी यह सोच रही थी कि मैं उन तक का कैसे संदेश पहुंचाओ उनकी कैसे में राजा को बताऊं कि एक खाने में जहर मिला दिया गया है । परंतु वहां पर जैसलमेर किला में एक ऐसा सेनापति था जोकि हवा से भी तेज गति से उड़कर जा सकता था। उसका नाम सुन्दरला रायका के नाम से मशहूर था जिसको तत्कालीन बुला गया और उसके आदेश दिए गये किया तुम तेज गति से उड़कर जाना जालोर किला में और जालोर के राजा कान्हादेव चौहान और युवराज को कहना है कि अलाउद्दीन खिलजी के एक सिपाही द्वारा खाना में जहर मिला दिया गया है। जालौर का किला अब खतरा में आ गया है।
सुंदर राईका सेनापति को आदेश दिया कि तुम अभी तेज़ गति से जाना है और जालोर के किला में पहुंचना है और वहां रक्षा करने की जिम्मेदारी अब आपके हाथ में उसके बाद में वहां से रवाना होकर तेज गति के साथ में हवा से भी तेज गति में उड़कर जालोर के किला में पहुंच गया और जालोर के राजा कान्हादेव चौहान और युवराज को संदेश दिया गया जिसके कारण से उनकी जान बच गई और जिसे सैकड़ों सोनगरों की जान को बचाया साथ ही साथ में वहां के सेना की भी रक्षा हो गई। और उस समय में गर्मी का दिन था। जिसे सुंदर राईका को तेज़ प्यास लगी थी वहीं भयंकर गर्मी पड़ रही थी जिसके कारण जालोर के किला से जैसलमेर नहीं जाकर सुन्दर तालाब पर पहले अपनी प्यास बुझाने के लिए रवाना होकर सुंदर तालाब पर पानी पीने के लिए आ रहा था कि अचानक उसकी मौत हो गई थी ।
वहां जमीन पर आकर गिर गया था। जिसकी सुचना जालोर युवराज वीरमदेव चौहान को लगीं थीं। जिसके बाद में जालौर युवराज वीरमदेव ने सुंदर राईका ने राजा की जान बचाई गई थी । कारण यहां है कि मुल जैसलमेर के निवासी "सुंदर राईका भाडका (देवासी/रेबारी)" जैसलमेर से रातों-रात ऊंट पर सवार होकर वीर वीरमदेव के दरबार में पहुंचे तथा सोनगरा के दरबार में पक रही "खीर में जहर" होने की जानकारी दी थी। उक्त जानकारी से वीरमदे खुश हुआ था। जिसकी मौत की खबर सुनकर वहां हैरान हो गया ।
और जिसके बाद में यादगार में यहीं पर मूर्ति लगाई गई थी और आज भी मौजूद हैं सुन्दर राईका की मूर्ति स्थापित है ।
तथा सुंदर राईका ऊंट पर जिसके ऊपर बैठकर जालोर पहुंचा था कम समय में "भेलाई नाम के ऊंट" की याद में "भोलाई नाडी का निर्माण करवाया गया था, जोकि वर्तमान में "तकिया मस्जिद" के पास में स्थित है।
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एक कथा के अनुसार जालौर शहर में सुन्देलाव तालाब पर लगी छतरी 700साल पहले सुन्देलाव तालाब पर सुन्दर भाडका की मुर्ति लगाई गई थी, शहर की ऐतिहासिक धरोहर सुन्देलाव तालाब जिसको राजा कान्हडदेव ने जैसलमेर के सुन्दर राईका की याद में खुदवाया था ! नोंधनीय है कि अभी तक पुरी तरह से सुन्देलाव तालाब की हमें जानकारी प्राप्त नहीं हुई हैं । परंतु राईका समाज के अनुसार सुंदर भाडका देवासी के नाम से "सुंदेलाव तालाब" को खुदवाया गया था। यहां उक्त मूर्ति चबूतरे की स्थापना सरिया देवी माता मंदिर के पास एक छतरी है। उक्त छतरी के पास सुंदर भाडका देवासी की मूर्ति मय चबूतरे पर स्थापित थी तथा आसपास भी भूखंड छोड़ा गया था। परंतु वर्तमान में कब्जा करके मकान बना लिया गया है। आप विडियो में फोटो में देख सकते है सुन्देलाव तालाब ओर सुन्दर भाडका की छतरी मौजूद हैं। और कोई भी भूल-चूक हो तो नीचे कमेन्ट करके सच्ची जानकारी आप दे सकते हैं जिसे आगे इसके उपलब्ध में नया विडियो बना सकूं धन्यवाद
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