ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाये : जूली - JALORE NEWS
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मुख्यमंत्री एमओयू का खुलासा करें : जूली ने कहा - Chief Minister should disclose the MoU: Julie said
जयपुर ( 22 नवंबर 2024 ) राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की है कि वे
पार्वती-काली सिंध-चंबल एवं ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (पीकेसी -ईआरसीपी प्रोजेक्ट ) को नदी जल राष्ट्रीय परियोजना घोषित करें। इसके साथ ही राजस्थान और पड़ोसी राज्यों के बीच हुए एमओयू को राज्य हित में सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आगामी 15 दिसंबर को इस बहुउद्देश्यीय परियोजना का शिलान्यास करने राजस्थान आ रहे हैं। इस मौके पर उन्हें इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करना चाहिए। इस बारे में मोदी ने अजमेर में एक जनसभा में राज्य की जनता से वादा भी किया था। प्रधानमंत्री को अब अपना यह वादा निभाना चाहिए।
जूली ने कहा कि राज्य सरकार पड़ोसी राज्यों से इस प्रोजेक्ट को लेकर किये गये समझौते का खुलासा भी करना चाहिए। सरकार इस समझौते को दबा कर बैठी है जो कि कई तरह के सवालों को जन्म दे रहा है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि केन्द्र सरकार प्रधानमंत्री के दौरे से पहले आधिकारिक रूप से यह घोषित करे कि पीकेसी -ईआरसीपी प्रोजेक्ट देश में संचालित अन्य नदी जल राष्ट्रीय परियोजनाओं की सूची में जोड़ा जा चुका है।
देश में जो अन्य सोलह नदी जल राष्ट्रीय परियोजना चल रही हैं, उसी श्रेणी में इसे शामिल करने से कम दर्जे की कोई भी घोषणा राजस्थान के हितों के अनुकूल नहीं है। लेकिन केन्द्र सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने से कतरा रही है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि सन् 2017-18 का बजट प्रस्तुत करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी राजस्थान विधानसभा के सदन में ईआरसीपी को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने का केन्द्र सरकार से आग्रह किया था। कांग्रेस पार्टी का शुरू से स्पष्ट मत है कि राष्ट्रीय परियोजना घोषित होने पर ही राजस्थान को इस परियोजना का व्यापक लाभ प्राप्त हो सकेगा। लेकिन वर्तमान में राज्य की भाजपा सरकार पीकेसी - ईआरसीपी प्रोजेक्ट के महत्व को समझ नहीं रही है या फिर मुख्यमंत्री केन्द्र सरकार के दबाव में हैं। इसलिए यह जरूरी है कि प्रधानमंत्री के शिलान्यास करने से पहले पड़ोसी राज्यों से हुए समझौते को प्रदेश की जनता के सामने रखा जाये।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान विधानसभा में अपने भाषण के दौरान भी इस एमओयू का खुलासा करने से इनकार कर दिया था। मुख्यमंत्री का यह रवैया अलोकतांत्रिक था क्योंकि राज्य का हित सर्वोपरि होता है और प्रदेश को एमओयू के बारे में जानने का अधिकार है। जूली ने कहा कि मुख्यमंत्री का रवैया भी कई सवाल खड़े करता है कि वे प्रदेश की जनता से आखिर क्या छिपाना चाहते हैं।
जूली ने कहा कि एमओयू के सार्वजनिक होने से ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि राष्ट्रीय परियोजना के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुरूप इस प्रोजेक्ट का समझौता हुआ है अथवा नहीं। क्योंकि राज्य सरकार इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं बता रही है। जबकि कांग्रेस आरंभ से यह मांग करती आयी है कि देश की अन्य राष्ट्रीय परियोजनाओं की भांति ही इस प्रोजेक्ट को लागू किया जाये।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि ईआरसीपी प्रोजेक्ट की अवधारणा नदियों के अतिरिक्त जल पर निर्भर है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत राजस्थान को पानी 50 प्रतिशत निर्भरता पर मिलेगा या 75 प्रतिशत निर्भरता पर हासिल होगा। इस पहेली का खुलासा राज्य हित में होना नितांत आवश्यक है। राजस्थान को लाभ तभी होगा जब 50 प्रतिशत जल की निर्भरता पर इसे लागू किया जाये।
जूली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कई साल तक ईआरसीपी में 75 प्रतिशत जल की निर्भरता लागू करने पर अड़ी हुई थी। इस स्थिति के बने रहने पर राजस्थान में 2.80 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होना नामुमकिन था। यह 50 प्रतिशत जल की उपलब्धता पर ही संभव है। साथ ही पुरानी डीपीआर में राजस्थान को 3510 एमसीएम पानी देने की बात कही गयी थी। मध्य प्रदेश और राजस्थान में पानी का बंटवारा होने पर यह किस तरह क्रियान्वित होगा। इसका खुलासा होना अनिवार्य है। यदि सब कुछ सही है तो एमओयू को सार्वजनिक करने में कहाँ दिक्कत है ?
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि सन् 2017 में घोषित ईआरसीपी प्रोजेक्ट सन् 2023 में पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन केन्द्र सरकार की नीयत इस प्रोजेक्ट पर साफ़ नहीं है। इसलिए इतने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में निरंतर देरी हुई। इसके बावजूद राज्य में पिछले कांग्रेस शासन में सरकार ने अपने बलबूते इस प्रोजेक्ट की संरचना तैयार की।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन में ईआरसीपी प्रोजेक्ट के लिए दस हजार करोड़ रुपये एक साथ बजट में आवंटित किये गये थे। कांग्रेस शासन में ईआरसीपी निगम का भी गठन किया गया था। उस समय हाड़ौती की कालीसिंध नदी पर नोनेरा बांध ईआरसीपी प्रोजेक्ट में बनकर तैयार हुआ था। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट में ईसरदा बांध का भी नव-निर्माण कर छह शहरों और 1250 गांवों की पेयजल समस्या का निदान किया गया। इसलिए ईआरसीपी प्रोजेक्ट कांग्रेस शासन में आगे बढ़ चुका है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका शिलान्यास करना चाहते हैं तो राज्य के दूरगामी हित के मद्देनजर हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। लेकिन राजस्थान को यह जानने का अधिकार है कि इस प्रोजेक्ट का जो एमओयू किया गया है। उसकी हकीकत क्या है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि राजस्थान में उप चुनाव चुनाव के दरम्यान भाजपा प्रधानमंत्री के हाथों इसका शिलान्यास कराकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती थी। जिस पर कांग्रेस ने एतराज जताया था। कांग्रेस की सजगता की वजह से चुनाव प्रचार के दरम्यान भाजपा ऐसा नहीं कर सकी।
टीकाराम जूली
राजस्थान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष
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