जालोर मुख्यालय पर किसानों का महापड़ाव: शाह के वादे पर उठे सवाल, हजारों किसानों ने किया आंदोलन का ऐलान - JALORE NEWS
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कलेक्ट्रेट के सामने जुटे किसान; धरना स्थल पर भोजन में लापसी, दाल-रोट तैयार - Farmers gathered in front of the Collectorate; Lapsi, Dal-Roti prepared as food at the protest site
जालोर ( 19 नवंबर 2024 ) JALORE NEWS जवाई नदी के पुनर्जीवन और किसानों के अधिकारों को लेकर जालोर में मंगलवार से भारतीय किसान संघ का अनिश्चितकालीन महापड़ाव शुरू हो गया। जिले के 300 से अधिक गांवों से आए 5 हजार से ज्यादा किसानों ने कलेक्ट्रेट के बाहर डेरा डाल दिया। किसानों का आरोप है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सायला में वादा किया था कि भाजपा को जीत दिलाओ, जवाई नदी को गुजरात की तर्ज पर पुनर्जीवित कर देंगे। लेकिन एक साल बाद भी वादे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
किसान संघ ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए आंदोलन का बिगुल फूंका है। आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रदेश और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद जवाई नदी के पानी पर जालोर का हक तय करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। किसानों ने कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखी हैं।
महापड़ाव के मुख्य मुद्दे: पानी और बीमा
किसानों का कहना है कि जवाई बांध के पानी का एक निश्चित हिस्सा जालोर जिले के लिए निर्धारित किया जाए। किसान संघ के जिलाध्यक्ष रतनसिंह कानीवाड़ा ने कहा कि जवाई नदी का प्रवाह बंद होने से क्षेत्र का जलस्तर गिर चुका है, जिससे पेयजल और सिंचाई की समस्याएं विकराल हो गई हैं। इसके अलावा, किसानों ने फसल बीमा के सवा सौ करोड़ रुपए के लंबित दावों के तत्काल निपटारे की मांग की है।
धरना स्थल पर भोजन और बढ़ता जनसमर्थन
धरना स्थल पर किसानों के लिए लापसी, दाल और रोट का प्रबंध किया गया है। भट्टियां लगाकर मौके पर भोजन तैयार किया जा रहा है। मंगलवार दोपहर किसानों ने कलेक्ट्रेट और अस्पताल चौराहे पर ट्रैक्टर खड़े कर जाम लगा दिया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन किसान अपनी मांगों पर डटे रहे।
विधायक राजपुरोहित ने जलनीति में बदलाव की उठाई मांग
इधर, आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने भी जवाई नदी के पानी का मुद्दा उठाते हुए जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत से मुलाकात की। राजपुरोहित ने मंत्री से कहा कि जवाई नदी के किनारे बसे गांवों का जीवन इसी पानी पर निर्भर है। उन्होंने जवाई बांध से पानी का एक हिस्सा नदी के लिए छोड़ने की मांग की। साथ ही, महापड़ाव की जानकारी देते हुए किसानों के पक्ष में ठोस कदम उठाने की अपील की।
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31 साल से अधूरी मांग, अब निर्णायक लड़ाई
किसानों का कहना है कि जवाई नदी के पानी पर जालोर का हक तय करने की मांग पिछले 31 साल से की जा रही है। हर साल प्रदर्शन और ज्ञापन देने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ। इस बार किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा।
सरकार से किसानों का सवाल: वादा कब होगा पूरा?
महापड़ाव ने भाजपा सरकार के चुनावी वादों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। किसानों ने अमित शाह के वादे को याद दिलाते हुए सरकार से सवाल किया कि जवाई नदी को पुनर्जीवित करने और पानी का हक देने का वादा कब पूरा होगा। किसानों का यह आंदोलन जालोर में पानी, पर्यावरण और कृषि के भविष्य की लड़ाई बन गया है।
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