काल भैरव अष्टमी पूजा का एक विशेष पर्व है : त्रिवेदी - BHINMAL NEWS
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काल भैरव अष्टमी पूजा का एक विशेष पर्व है : त्रिवेदी - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 21 नवंबर 2024 ) BHINMAL NEWS इस बार काल भैरव अष्टमी 23 नवंबर को मनाई जाएगी । कालभैरव अष्टमी भगवान काल भैरव की पूजा का एक विशेष पर्व है । यह पर्व विशेष रूप से हिंदू धर्म में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है । यह पर्व विशेष रूप से भगवान शिव के रूप में पूजे जाने वाले कालभैरव की उपासना का दिन है ।
श्रीदर्शन पंचांग कर्ता शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि काल भैरव को भगवान शिव का एक रौद्र रूप माना जाता है । वे समय के अधिपति और सृष्टि के संहारक माने जाते हैं । काल भैरव का यह रूप भक्तों के लिए खास है, क्योंकि वे समय और मृत्यु के देवता हैं । जिनकी पूजा से भय, संकट और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है । भगवान काल भैरव का रूप अत्यंत डरावना और शक्तिशाली होता है । यह स्वरुप आसुरी प्रवर्ति के मानव हेतु धारण किया गया । सद्मार्ग पर चलते हुए कोई भी मनुष्य इनसे भयभीत नहीं होगा । अपितु स्वयं भैरव ही मार्गदर्शक की भूमिका अदा करते है । उनका शरीर काले रंग का होता है, वे हाथ में त्रिशूल और डमरू पकड़े हुए होते हैं । उनके माथे पर तीसरी आँख और गले में मृत्युसंकेत माला होती है । काल भैरव का वाहन कुत्ता होता है, जिसे वे अपना प्रिय साथी मानते हैं । उन्हें भक्तों के द्वारा उनके रौद्र रूप के लिए पूजा जाता है । ताकि वे जीवन में आने वाली कठिनाइयों से उबार सकें और सुख-शांति का आशीर्वाद दे सकें ।
त्रिवेदी ने बताया कि मार्गशीर्ष माह की कृष्ण अष्टमी विशेष महापर्व के रूप में दुनिया भर में एक उत्सव के रूप में मनाई जाती है । प्रत्येक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी रूप में पूजन हेतु श्रेष्ठ होती है । इस दिन भक्त विशेष रूप से काल भैरव की पूजा करके उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं । माना जाता है कि इस दिन की पूजा से कालभैरव अपने भक्तों के सारे भय और कष्टों को समाप्त करते हैं और उनके जीवन को सुखमय बनाते हैं । यह दिन खासतौर पर उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो मृत्यु, समय या शत्रुओं के भय से परेशान रहते हैं । इस दिन भक्त प्रात:काल स्नान करने के बाद काल भैरव के मंदिर जाते हैं और विशेष पूजा करते हैं । पूजा में आमतौर पर निम्नलिखित विधियाँ शामिल होती है । भक्त इस दिन उपवासी रहते हैं और विशेष रूप से कालभैरव की पूजा करते हैं । कालभैरव के मंत्रों का जाप किया जाता है, जैसे ॐ कालभैरवाय नम:."
काल भैरव के वाहन कुत्ते हैं, इस दिन कुत्तों को खाना खिलाना भी एक शुभ कार्य माना जाता है ।
काल भैरव अष्टमी का आध्यात्मिक महत्व यह है कि यह दिन हमारे जीवन के हर प्रकार के भय, पीड़ा और संकट से मुक्ति पाने का अवसर प्रदान करता है । भगवान काल भैरव की पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और समग्र कल्याण की प्राप्ति होती है। साथ ही यह दिन मृत्यु और समय की शक्ति के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का भी होता है ।
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