जवाई बांध के पानी पर हक के लिए किसानों का महापड़ाव, जालोर में दूसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी - JALORE NEWS
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जवाई बांध के पानी पर हक के लिए किसानों का महापड़ाव, जालोर में दूसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी - JALORE NEWS
जालोर ( 20 नवंबर 2024 ) जालोर जिला मुख्यालय पर जवाई बांध के पानी पर अपने हक की मांग को लेकर किसानों का अनिश्चितकालीन धरना मंगलवार से शुरू हुआ, जो बुधवार को भी जारी रहा। भारतीय किसान संघ के आह्वान पर किसान जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर महापड़ाव डालकर बैठे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
धरना स्थल पर भजन और किसान नेताओं के संबोधन
मंगलवार को दिनभर प्रदर्शन के बाद धरना स्थल पर रात्रि में भजन का आयोजन किया गया। बुधवार को किसान नेताओं ने धरना स्थल पर किसानों को संबोधित किया और उन्हें संगठित होकर लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया। धरने में शामिल किसान बद्रीदान चारण ने कहा कि जालोर जिले में पीने के पानी की भारी किल्लत है। नर्मदा का पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा है, और जलदाय विभाग स्थानीय जलस्त्रोतों से खारा पानी नर्मदा के पानी में मिलाकर सप्लाई कर रहा है।
31 वर्षों से जारी है पानी पर हक की मांग
जवाई नदी के बहाव क्षेत्र में जवाई बांध निर्माण के बाद जालोर जिले का भूजलस्तर लगातार नीचे गिरता गया है। इस समस्या को लेकर पिछले 31 वर्षों से किसान जालोर के लिए जवाई बांध का हक सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार और प्रशासन उनकी मांगों को नजरअंदाज करते रहे हैं, जिससे उनका आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
अमित शाह के वादे से किसानों में उम्मीद टूटी
किसानों ने विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के वादे को याद किया, जिसमें उन्होंने जवाई नदी को पुनर्जीवित करने की बात कही थी। इस वर्ष बांध पूरी तरह भर जाने के बावजूद जालोर को पानी नहीं मिला, जिससे किसानों में नाराजगी बढ़ गई और उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया।
टैक्सी यूनियन का समर्थन और रैली
धरने में जालोर टैक्सी यूनियन ने भी अपना समर्थन दिया। यूनियन अध्यक्ष नंदलाल खटीक के नेतृत्व में टैक्सी चालकों ने रैली निकालकर धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों के साथ एकजुटता दिखाई। यूनियन ने मुख्यमंत्री के नाम एडीएम को ज्ञापन सौंपकर किसानों के हक की मांग को दोहराया।
जालोर विधायक और नेताओं का प्रयास
धरने के दूसरे दिन जालोर विधायक और मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर जवाई बांध से निर्धारित मात्रा में पानी जवाई नदी में छोड़ने और राज्य जल नीति-2010 में संशोधन की मांग की। वहीं, आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने भी जल संसाधन मंत्री से मुलाकात कर किसानों की समस्याओं को उनके सामने रखा।
किसानों की प्रमुख मांगें
1. जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक सुनिश्चित किया जाए।
2. जवाई नदी के डाउनस्ट्रीम में पानी छोड़ा जाए।
3. जल नीति-2010 में संशोधन कर किसानों के हितों को प्राथमिकता दी जाए।
आंदोलन तेज होने की चेतावनी
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो यह आंदोलन जालोर से जयपुर तक जाएगा। अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे किसानों और प्रशासन के बीच गतिरोध बना हुआ है।
धरना स्थल पर बड़ी संख्या में किसानों की उपस्थिति और उनके साथ स्थानीय संगठनों के समर्थन से यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है ।
जवाई नदी पुनर्जीवन की मांग को लेकर किसान महापड़ाव जारी, जोगेश्वर गर्ग ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
जालोर: जवाई नदी के पुनर्जीवन और जल संकट के समाधान को लेकर जालोर मुख्यालय पर किसानों का महापड़ाव जारी है। इसी बीच, राजस्थान विधानसभा के सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर जवाई बाँध से पानी छोड़ने और नदी को पुनर्जीवित करने की योजना बनाने की मांग की है।
जोगेश्वर गर्ग ने अपने पत्र में जवाई बाँध के ऐतिहासिक और वर्तमान संदर्भों को विस्तार से रखते हुए लिखा कि 1946 में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा उम्मेदसिंह ने जोधपुर शहर को जल आपूर्ति हेतु जवाई बाँध का निर्माण करवाया। यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा मानव निर्मित बाँध है, जिसका क्षेत्रफल 113 वर्ग किलोमीटर है। बाँध बनने से पहले जवाई नदी में सालभर पानी का बहाव रहता था, जिससे जालोर जिले का भू-जल स्तर बहुत अच्छा था। लेकिन बाँध बनने के बाद नदी में पानी का बहाव रुक गया, जिससे सुमेरपुर, आहोर, जालोर, बागोड़ा, भीनमाल और चितलवाना जैसे क्षेत्रों में भू-जल स्तर गिरता गया।
गर्ग ने यह भी उल्लेख किया कि केन्द्रीय भू-जल प्राधिकरण ने जालोर जिले को 'डार्क ज़ोन' घोषित कर दिया है। पिछले 70 वर्षों में केवल आठ बार जवाई बाँध के गेट खोले गए हैं, जिससे जालोर में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई।
घोषणाओं पर कार्रवाई की मांग
गर्ग ने अपने पत्र में भारत के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा विधानसभा चुनाव 2023 में जवाई नदी को पुनर्जीवित करने की घोषणा और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बाँध का पुनर्भरण करने की घोषणा का हवाला दिया। उन्होंने इन घोषणाओं को अमल में लाने की अपील की।
जल नीति में संशोधन का सुझाव
जोगेश्वर गर्ग ने राज्य की जल नीति-2010 में संशोधन का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह बाँध परियोजनाओं में पेयजल और सिंचाई के लिए जल का हिस्सा तय किया गया है, उसी तरह प्रत्येक बाँध से संबंधित नदी में जल का न्यूनतम हिस्सा नियमित रूप से छोड़े जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए।।
किसानों की भावनाओं का सम्मान करने की अपील
गर्ग ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए जवाई बाँध के जल का न्यूनतम 25% हिस्सा नदी में छोड़ा जाए और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाए।
जवाई नदी के पुनर्जीवन की मांग को लेकर किसानों का यह महापड़ाव सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री इस पर क्या निर्णय लेते हैं।
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