चौथे दिन भी जारी : जवाई बांध पानी पर किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन: महापड़ाव और रैली से बढ़ा दबाव - JALORE NEWS
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चौथे दिन भी जारी : जवाई बांध पानी पर किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन: महापड़ाव और रैली से बढ़ा दबाव - JALORE NEWS
जालोर ( 22 नवंबर 2024 ) JALORE NEWS जवाई बांध के पानी में जालोर का हक सुनिश्चित करने और लंबित फसल बीमा मुआवजे की मांग को लेकर किसानों का महापड़ाव शुक्रवार को चौथे दिन भी पूरी मजबूती के साथ जारी रहा। किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। यह आंदोलन अब राज्य सरकार के लिए बड़ी राजनीतिक और सामाजिक चुनौती बन गया है।
किसानों की मांग है कि जवाई बांध के पानी में जालोर का एक-तिहाई हिस्सा सुनिश्चित किया जाए। इसके अलावा, जयपुर में पेंडिंग पड़े 125 करोड़ रुपए के फसल बीमा मुआवजे को तुरंत जारी किया जाए। किसान नेताओं ने कहा कि जवाई नदी जालोर की जीवन रेखा है, और इसका पुनर्भरण अब आमजन और किसानों दोनों की प्राथमिक आवश्यकता है।
किसानों की चेतावनी: आंदोलन होगा और तेज
किसानों ने चेतावनी दी है कि सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है और उनके धैर्य की परीक्षा ले रही है। किसान नेता भंवर सिंह ने कहा, "हमने अपने विधायक, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री सभी को एक ही पार्टी से चुना है, लेकिन अब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।"
भजन संध्या ने आंदोलन में भरी नई ऊर्जा
महापड़ाव के चौथे दिन रात को आयोजित भजन संध्या ने आंदोलन में शामिल किसानों और समर्थकों का उत्साह दोगुना कर दिया। भक्ति गीतों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से किसानों को हौसला मिला। इस आयोजन ने सामाजिक और धार्मिक एकता का संदेश देते हुए आंदोलन को और मजबूती दी।
जालौर शहर में विशाल रैली
शुक्रवार को दोपहर 2 बजे किसानों ने महापड़ाव स्थल से अस्पताल चौराहा, सूरज पोल, गांधी चौक, तिलक द्वारा, हरिदेव जोशी सर्किल और वन वे रोड होते हुए शहर में एक विशाल रैली निकाली। रैली में शामिल कई किसान नंगे पैर चलकर सरकार के खिलाफ विरोध जताया। रैली के समापन से पहले, व्यापारी, टैक्सी चालकों और अन्य शहरवासियों ने फूल बरसाकर किसानों का स्वागत किया। यह दृश्य आंदोलन के समर्थन में बढ़ते हुए उत्साह को दर्शाता है।
आर्य वीर दल और आर्य समाज का समर्थन
किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए आर्य समाज और आर्य वीर दल ने भी अपनी आवाज बुलंद की। आर्य वीर दल के प्रधान दलपत सिंह आर्य और अध्यक्ष कृष्ण कुमार तिवारी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर प्रदीप गावड़े से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि जवाई नदी को पुनर्जीवित करना और किसानों की मांगों का समाधान करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल ने महापड़ाव स्थल पर पहुंचकर भारतीय किसान संघ के नेताओं से मुलाकात की और आंदोलन को तन, मन, धन से समर्थन देने का आश्वासन दिया।
सरकार के लिए बढ़ता दबाव
किसानों का यह महापड़ाव अब सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि वे किसानों की मांगों को कब तक पूरा करेंगे। आंदोलन की बढ़ती तीव्रता से सरकार के लिए यह मुद्दा राजनीतिक संकट का रूप लेता जा रहा है।
31 वर्षों की लंबी लड़ाई
किसान नेता सोमाराम ने कहा कि जालोर के किसान पिछले 31 वर्षों से जवाई बांध के पानी का अधिकार मांग रहे हैं। लेकिन सरकारें उनकी इस समस्या को अनदेखा करती रही हैं। उन्होंने कहा कि जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत 2200 करोड़ रुपए के बजट से जवाई बांध का पानी जोधपुर ले जाने की योजना बना रहे हैं, जो जालोर के किसानों के साथ अन्याय है।
आंदोलन से आया स्पष्ट संदेश
इस आंदोलन ने यह संदेश दिया है कि जालोर के किसान अब जाग चुके हैं। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। जवाई नदी के पुनर्जीवन और जालोर के पानी के हक के बिना इस क्षेत्र का विकास संभव नहीं है।
निष्कर्ष: समाधान की राह देखता आंदोलन
जवाई बांध के पानी को लेकर चल रहा यह महापड़ाव अब राज्य के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है। किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए अंतिम दम तक लड़ने को तैयार हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार इस गंभीर जल संकट और किसानों के आंदोलन को लेकर क्या ठोस कदम उठाती है।
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