जवाई नदी के पानी पर जालोर का हक: भारतीय किसान संघ के फैसले पर सवाल, किसानों ने नए आंदोलन का ऐलान - JALORE NEWS
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जवाई नदी के पानी पर जालोर का हक: भारतीय किसान संघ के फैसले पर सवाल, किसानों ने नए आंदोलन का ऐलान - JALORE NEWS
जालोर ( 16 दिसंबर 2024 ) JALORE NEWS जवाई नदी के पानी पर जालोर का अधिकार सुनिश्चित करने और किसानों की अन्य मांगों को लेकर 27 दिनों से जिला कलेक्ट्रेट के बाहर चल रहा धरना भारतीय किसान संघ द्वारा अचानक समाप्त कर दिया गया। यह निर्णय किसानों से बिना परामर्श के लिया गया, जिससे किसानों और स्थानीय जनता में गहरा आक्रोश है।
पुरोहित ने लगाए गंभीर आरोप
शिवसेना के वरिष्ठ नेता और किसान संघर्ष के प्रमुख समर्थक पुरोहित ने भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान संघ जालोर इकाई के अध्यक्ष रतन सिंह कानीवाड़ा पिछले तीन दिनों से धरना समाप्त करने की योजना बना रहे थे। "हमें इसकी भनक पहले ही लग गई थी, क्योंकि संघ के पदाधिकारियों ने जालोर विधायक के घर जाकर गुप्त बैठक की थी," पुरोहित ने कहा।
धरने की शुरुआत दो प्रमुख मांगों को लेकर हुई थी:
1. जवाई नदी के पानी पर जालोर का हिस्सा तय करना।
2. बीमा क्लेम और रिलायंस इंश्योरेंस कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दूसरी कंपनी को शामिल करना।
लेकिन इन दोनों मांगों को पूरा किए बिना ही धरना खत्म कर दिया गया, जिससे किसानों ने खुद को ठगा महसूस किया।
पारदर्शिता पर उठे सवाल
पुरोहित ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन के साथ हुई वार्ता में केवल भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी ही शामिल हुए। 50 से अधिक संगठनों के समर्थन के बावजूद किसी अन्य संगठन को वार्ता में शामिल नहीं किया गया। "यह स्पष्ट है कि संघ के पदाधिकारी बाकी संगठनों को बाहर रखना चाहते थे, क्योंकि वे जानते थे कि अन्य संगठन जवाई नदी के पानी पर जालोर का हक तय किए बिना धरना समाप्त करने के खिलाफ हैं," पुरोहित ने कहा।
शिवसेना का विरोध प्रदर्शन
भारतीय किसान संघ के इस फैसले के खिलाफ शिवसेना ने जालोर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए संघ का पुतला जलाया। शिवसेना कार्यकर्ताओं ने इसे किसानों के साथ विश्वासघात करार दिया।
किसानों की नई रणनीति: जालोर किसान संघर्ष समिति का गठन
पुरोहित ने घोषणा की कि किसानों और शिवसेना के नेतृत्व में "जालोर किसान संघर्ष समिति" नाम से एक नया मंच बनाया जाएगा। इस मंच के तहत, किसानों के हक के लिए संघर्ष किया जाएगा। सायला में जल्द ही किसानों की बैठक आयोजित कर आंदोलन की नई रणनीति तैयार की जाएगी।
धरने की पुनः शुरुआत का ऐलान
पुरोहित ने कहा, "जल्द ही जिला कलेक्ट्रेट के सामने जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक तय करने की मांग को लेकर फिर से धरना शुरू किया जाएगा। यह धरना तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।"
किसानों की एकजुटता बरकरार
धरने की समाप्ति से उपजे विवाद के बावजूद किसानों ने स्पष्ट किया कि वे एकजुट हैं। "भारतीय किसान संघ के निर्णय के बाद भी जालोर के किसान एक साथ हैं। हम अपने हक के लिए लड़ाई जारी रखेंगे और 27 दिनों के संघर्ष को व्यर्थ नहीं जाने देंगे," पुरोहित ने कहा।
भारतीय किसान संघ पर गंभीर आरोप
पुरोहित ने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय किसान संघ का मुख्य उद्देश्य किसानों को चुनाव के समय बीजेपी के पक्ष में वोट दिलाने तक सीमित है। "पिछले दो वर्षों में चार बार धरने आयोजित किए गए, लेकिन हर बार किसानों को निराशा ही मिली। संघ ने कभी भी जवाई नदी के पानी पर जालोर का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए," उन्होंने कहा।
किसानों की मांगें और आगे की योजना
1. जवाई नदी के पानी पर जालोर का अधिकार सुनिश्चित करना।
2. बीमा क्लेम का भुगतान और रिलायंस इंश्योरेंस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करना।
3. सायला में बैठक आयोजित कर आंदोलन की नई रणनीति तैयार करना।
4. "जालोर किसान संघर्ष समिति" के तहत नए आंदोलन की शुरुआत।
जालोर के किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। उनका कहना है कि यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है और जवाई के पानी पर जालोर का हक तय किए बिना वे पीछे नहीं हटेंगे।
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