जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक: 27 दिनों से चल रहे आंदोलन में नया मोड़, धरना स्थगित - JALORE NEWS
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जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक: 27 दिनों से चल रहे आंदोलन में नया मोड़, धरना स्थगित - JALORE NEWS
( रिपोर्ट: श्रवण कुमार ओड़ जालोर )
जालोर ( 15 दिसंबर 2024 ) JALORE NEWS जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक सुनिश्चित करने की मांग को लेकर 27 दिनों से जारी धरना आखिरकार प्रशासन और किसानों के बीच बातचीत के बाद स्थगित कर दिया गया। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन के दौरान जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता, मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित, और जिला कलेक्टर डॉ. प्रदीप के. गावंडे ने किसानों के प्रतिनिधियों से विस्तृत चर्चा की।
बैठक में क्या बनी सहमति?
बैठक में प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया कि जालोर को जवाई बांध के पानी में उचित हिस्सेदारी दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता ने बताया कि जोधपुर और पाली के लिए प्रस्तावित 2280 करोड़ रुपये की योजना फिलहाल रोक दी गई है, और इसे पुनः समीक्षा के लिए भेजा जाएगा। इसके साथ ही जवाई बांध के जल प्रवाह को सुचारू बनाए रखने के लिए कैचमेंट क्षेत्र में बने 8 एनिकटों के पानी का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
प्रशासन ने यह भी कहा कि जालोर का नाम डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में शामिल किया जाएगा, ताकि क्षेत्र की पानी संबंधी समस्याओं का दीर्घकालिक समाधान हो सके।
धरना स्थल पर विवाद और भावनात्मक माहौल
हालांकि, वार्ता के बीच किसानों के दो गुटों में मतभेद गहरा गया। एक गुट ने आंदोलन की दिशा और नेतृत्व पर सवाल उठाए, जिससे विवाद बढ़ गया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि जालोर जिला प्रमुख रूपराज राजपुरोहित को भावुक होकर धरना स्थल पर रोते देखा गया। उन्होंने किसानों से संयम बनाए रखने की अपील की।
क्यों हुआ विवाद?
किसानों के बीच यह विवाद जवाई बांध के पानी के वितरण और प्रशासन के रुख पर असहमति के कारण हुआ। कुछ किसानों ने आंदोलन को स्थगित करने के फैसले का विरोध करते हुए इसे अधूरी सफलता करार दिया। इस दौरान किसानों के बीच बहस ने माहौल को और गरमा दिया।
भारतीय किसान संघ का बयाना
भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष रतनसिंह कानीवाडा ने कहा, "सरकार ने हमारी प्रमुख मांगों पर सकारात्मक रुख दिखाया है, लेकिन अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो हम दोबारा आंदोलन शुरू करेंगे।"
आंदोलन का भविष्य
हालांकि फिलहाल धरना स्थगित कर दिया गया है, लेकिन किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर प्रशासन अपने वादे पूरे नहीं करता तो यह संघर्ष और तेज होगा।
जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक: क्यों है अहम?
यह मुद्दा सिर्फ पानी के वितरण का नहीं, बल्कि किसानों की आजीविका और जालोर के विकास से जुड़ा है। जवाई बांध का पानी जालोर के लिए जीवनरेखा है, और इसके न्यायपूर्ण वितरण के लिए किसानों का यह आन्दोलन भविष्य में भी चर्चा का केंद्र बना रहेगा।
जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक: 27 दिन बाद आंदोलन स्थगित, विधायक जोगेश्वर गर्ग ने किया स्वागत
जवाई बांध के पानी पर जालोर के हक की लड़ाई में 27 दिनों से चल रहा धरना-प्रदर्शन रविवार देर शाम समाप्त हो गया। आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय भारतीय किसान संघ और प्रशासन के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया। इस मौके पर मुख्य सचेतक और आहोर विधायक जोगेश्वर गर्ग ने धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों और पदाधिकारियों का माला पहनाकर स्वागत किया।
जिला कलेक्टर डॉ. प्रदीप के. गावंडे और जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता की मौजूदगी में हुई इस वार्ता में आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया गया कि जवाई बांध के पानी पर जालोर की हिस्सेदारी को लेकर सरकार ठोस कदम उठाएगी।
मूल मुद्दे और प्रशासन की भूमिका
जालोर के किसानों ने जवाई बांध के पानी में जिले का हिस्सा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर यह आंदोलन शुरू किया था। उनका कहना था कि जवाई का पानी जोधपुर और पाली जिलों को दिए जाने से जालोर की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। प्रशासन ने इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए किसानों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर जल्द अमल किया जाएगा।।
बैठक में बताया गया कि जोधपुर और पाली के लिए बनाई गई 2280 करोड़ रुपये की योजना को फिलहाल रोक दिया गया है, और इसका पुनर्विचार किया जाएगा। साथ ही जालोर का नाम डीपीआर में शामिल करने और बांध के कैचमेंट क्षेत्र से पानी का प्रवाह बनाए रखने के लिए उपाय किए जाएंगे।
विधायक ने किया किसानों का सम्मान
धरना स्थगित करने के बाद विधायक जोगेश्वर गर्ग ने धरना स्थल पर उपस्थित किसानों का माला पहनाकर अभिनंदन किया। उन्होंने कहा, "यह आंदोलन जालोर के किसानों की एकता और हक की लड़ाई का प्रतीक है। सरकार ने आपकी मांगों पर सकारात्मक कदम उठाने का भरोसा दिलाया है।"
किसानों का रुख
किसानों ने आंदोलन स्थगित करने पर सहमति जताते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने वादे पूरे नहीं किए, तो वे दोबारा आंदोलन करेंगे। भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष रतनसिंह कानीवाड़ा ने कहा, "हमने प्रशासन को समय दिया है। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन फिर से शुरू होगा।"
धरना स्थगित होने पर मिली राहत
धरने के चलते शहर में बनी अस्थिरता और तनावपूर्ण माहौल अब शांत हो गया है। किसानों और प्रशासन के बीच बनी सहमति से समस्या के समाधान की उम्मीद बढ़ी है।
जवाई बांध का पानी: जालोर के लिए जीवनरेखा
जवाई बांध का पानी जालोर के किसानों की जीवनरेखा है। इसके न्यायपूर्ण वितरण की मांग ने इस आंदोलन को क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक बना दिया। आंदोलन का स्थगित होना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन प्रशासन की जिम्मेदारी अब और बढ़ गई है।
महापड़ाव 27वें दिन रविवार को स्थगित किया
जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक तय करने की मांग को लेकर चल रहा किसानों का महापड़ाव 27वें दिन रविवार को स्थगित कर दिया गया।
जालोर विधायक व मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, आहोर विधायक छगनसिंह व जिला कलेक्टर और चीफ इंजीनियर के साथ भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल की सुलह वार्ता हुई। जिसके बाद सरकार ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। बता दें कि 19 नवंबर से महापड़ाव की शुरुआत हुई थी।
जालोर कलेक्टर प्रदीप के गवांडे ने बताया कि पानी की मांग को लेकर किसान का धरना प्रदर्शन चल रहा था। आज सरकार की तरफ से चीफ इंजीनियर, जालोर विधायक व आहोर विधायक के साथ किसानों की वार्ता हुई। जिसमें कार्रवाई का सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद किसान संघ ने महापड़ाव को स्थगित कर दिया।
भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष रतनसिंह कानीवाड़ा ने बताया- सुलह वार्ता में सरकार के द्वारा जवाई पुर्नभरण योजना की डीपीआर बनाकर जवाई पुर्नभरण करने की मांग पर सहमति बनी है। इसके तहत 35 से 50 टीएमसी के बीच पानी मिलने की संभावना है। इसकी डीपीआर करीब 6 माह में तैयार हो जायेगी। इसमें सबसे अधिक पानी जवाई बांध के डाउन स्ट्रीम में दिया जाएगा। साथ ही जवाई बांध के पानी को जोधपुर ले जाने के लिए 2280 करोड़ की प्रस्तावित योजना को बंद करने और नदी पर बांध बनाने को लेकर भी सरकार कार्रवाई करेगी।
इसके अलावा जवाई जल वितरण की कमेटी में डाउन स्ट्रीम के किसान प्रतिनिधि व जनप्रतिनिधि शामिल करने के लिए विभाग राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजेगी। साथ ही किसानों को भी कमेटी में शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा जवाई बांध के डाउन स्ट्रीम में जवाई नदी में कैचमेंट में बने करीब 8 बांधों को गेट लगाकर उसमें एकत्रित 500 पानी को एमसीएफटी पानी को जरूरत पड़ने पर जवाई नदी में पानी छोड़ा जाएगा। जिससे नदी में बहाव हो सके।
हालांकि संघ के प्रतिनिधिमंडल के बैठक से लौटने पर किसानों ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की। महापड़ाव में बैठे शिव सेना जिला प्रमुख रूपराज पुरोहित, करणसिंह थांवला ने कहा- महापड़ाव की शुरुआत में किसान आंदोलन जवाई बांध के पानी पर एक तिहाई हिस्सा तय करने की मांग को लेकर शुरू हुआ था। लेकिन वो पूरी नहीं हो रही हैं। फिर भी धरना समाप्त की बात की जा रही हैं। इस दौरान पदाधिकारियों के बीच आम सहमति को लेकर बहस भी हुई, लेकिन अंत में सभी ने एक सहमति बनाने हुए फिलहाल धरने को स्थगित करने का निर्णय लिया।
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