सांचौर जिले को पुनः बहाल करने की मांग तेज़: महापड़ाव में उग्र प्रदर्शन, आत्मदाह की चेतावनी - SANCHORE NEWS
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सांचौर जिले को पुनः बहाल करने की मांग तेज़: महापड़ाव में उग्र प्रदर्शन, आत्मदाह की चेतावनी - SANCHORE NEWS
पत्रकार श्रवण कुमार ओड़ जालोर
सांचौर ( 31 दिसंबर 2024 ) SANCHORE NEWS सांचौर को जिला बनाने के फैसले को निरस्त करने के बाद स्थानीय लोगों का आक्रोश चरम पर है। पूर्व राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई के नेतृत्व में सोमवार को शुरू हुआ महापड़ाव दूसरे दिन भी जारी रहा। मंगलवार को सैकड़ों लोग कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर जमा हुए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान एसडीएम प्रमोद कुमार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें सांचौर को पुनः जिला घोषित करने की मांग की गई।
सांचौर की अनदेखी पर रोष
ज्ञापन में कहा गया कि सांचौर जिला बनाना जनहित में था, क्योंकि यह जालोर से 145 किलोमीटर और इसका अंतिम गांव आकोडिया रणखार 250 किलोमीटर दूर है। पूर्व सरकार की रामलुभाया कमेटी ने दूरी और आबादी को आधार मानकर सांचौर को जिला घोषित किया था। लेकिन भाजपा सरकार ने 28 दिसंबर 2024 को इसे निरस्त कर दिया। वहीं, डीग, खैरथल और सलूम्बर जैसे जिले, जो सांचौर के बराबर आबादी के हैं, मात्र 35-70 किलोमीटर की दूरी पर जिला मुख्यालय बनाए गए हैं।
सांचौर जिला बनने से ग्रामीणों के कार्य नजदीकी मुख्यालय पर आसानी से हो रहे थे। अब इसे निरस्त करने के बाद लोगों को फिर से लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे जनजीवन प्रभावित होगा।
महापड़ाव में उग्र प्रदर्शन
मंगलवार को विरोध ने उग्र रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर सरकार के फैसले का विरोध किया। कांग्रेस नेता अमराराम माली पेट्रोल की बोतल लेकर प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे और आत्मदाह की चेतावनी दी। इस दौरान सांचौर के बाजार पूरी तरह बंद रहे। मेडिकल स्टोर, चाय की थड़ियां और अन्य दुकानें बंद होने से जनजीवन ठप हो गया।
सरकार की नीति पर हमला
बिश्नोई ने कहा, "पूर्व सरकार ने सांचौर को जिला बनाने का फैसला किया था, जो पूरी तरह से जनहित में था। रामलुभाया कमेटी ने जनसंख्या और दूरी को ध्यान में रखते हुए सांचौर को जिला बनाने का निर्णय लिया था। लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने बिना किसी ठोस कारण के इस जिले को निरस्त कर दिया, जो कि पूरी तरह से अस्वीकार्य है।"
उन्होंने कहा, "डीग, खैरथल और सलूम्बर जैसे जिले, जो सांचौर के बराबर या इससे कम आबादी वाले हैं, केवल 35 से 70 किलोमीटर दूर मुख्यालय से जुड़े हुए हैं। लेकिन सांचौर को जिला बनाने से न सिर्फ यह क्षेत्र करीब आया, बल्कि वहां के लोगों को कई सरकारी सेवाओं में भी आसानी हुई थी। अब सरकार के इस फैसले ने लोगों की परेशानियों को बढ़ा दिया है।"
सरकार के निर्णय को अस्वीकार करते हुए सुखराम बिश्नोई का हमला
सुखराम बिश्नोई ने कहा, "सांचौर जिले को निरस्त करना भाजपा सरकार की सबसे बड़ी गलती है। पूर्व सरकार ने सांचौर को जिला बनाने के लिए जो कदम उठाया था, वह पूरी तरह से जनहित में था। रामलुभाया कमेटी द्वारा तय मानकों के आधार पर सांचौर को जिला घोषित किया गया था, लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने बिना किसी ठोस कारण के इसे निरस्त कर दिया। यह फैसला न सिर्फ अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह सरकार के निर्णयों की विफलता को भी दर्शाता है।"
सांचौर की रणनीतिक महत्वता पर जोर
उन्होंने कहा, "सांचौर जिला जालोर से 145 किलोमीटर दूर है और इसका अंतिम गांव आकोडिया रणखार 250 किलोमीटर दूर है, जबकि डीग, खैरथल और सलूम्बर जैसे जिले जो आबादी के हिसाब से सांचौर के बराबर हैं, मात्र 35 से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इन जिलों को मुख्यालय से जोड़ने में कोई समस्या नहीं हुई, लेकिन सांचौर को जिला बनाने से ग्रामीणों को सरकारी सेवाओं में आसानी हुई थी। अब इस जिले को निरस्त करने से आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।"
आंदोलन का बड़ा रूप लेने की तैयारी
महापड़ाव के दौरान प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा का घेराव करने और बड़े आंदोलन की घोषणा की। कांग्रेस ने भी एक जनवरी 2025 से आंदोलन को प्रदेशभर में फैलाने की रणनीति बनाई है। गंगापुरसिटी, नीमकाथाना, दूदू और अपनूपढ़ में भी विरोध-प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की जा रही है।
राजनीतिक और सामाजिक नेताओं की भागीदारी
इस महापड़ाव में जिला बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष भीमाराम चौधरी, हिन्दू सिंह दूठवा, रूपाराम पंवार, केसाराम मेहरा, रामगोपाल बिश्नोई, तुलसा राम पुरोहित और कई प्रमुख नेता शामिल हुए।
सरकार पर सवाल
प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि सरकार ने किन आधारों पर सांचौर जिला निरस्त किया? जब डीग, खैरथल और सलूम्बर जैसे जिले बनाए जा सकते हैं, तो सांचौर का जिला बनना और भी आवश्यक है। लोगों ने चेतावनी दी कि यदि सांचौर को जल्द ही पुनः जिला घोषित नहीं किया गया, तो आंदोलन और उग्र होगा।
सांचौर में जनाक्रोश दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, और सरकार पर इसे बहाल करने का दबाव लगातार गहराता जा रहा है।
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एक तिहाई हिस्से की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन सुनीं आवाज क्या बोले जाने - JALORE NEWS : निचे दिए गए लिंक पर क्लीक करे देखिए वीडियो - 👇👇https://youtu.be/5XdVPR7ele8?feature=shared
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