Budget 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कब और कितने बजे पेश करेंगी देश का बजट? जनता को हैं ये उम्मीदें
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Budget 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कब और कितने बजे पेश करेंगी देश का बजट? जनता को हैं ये उम्मीदें
कब और कितने बजे पेश होगा बजट
केंद्रीय बजट संभवत 1 फरवरी, 2025 को पेश किया जाएगा। इससे फरवरी के पहले दिन बजट पेश करने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा जारी रहेगी। इस साल 1 फरवरी को शनिवार होने के कारण बजट पेश करने की तिथि को लेकर चिंताएं थीं। हालांकि, पहले कई बार ऐसा हुआ है कि केंद्रीय बजट शनिवार को पेश किया गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण करीब सुबह 11:00 बजे सदन में आएंगी और इस समय पर बजट पेश करने की अपनी परंपरा को जारी रखेंगी।बजट के चलते शनिवार को खुलेगा शेयर बाजार
भारतीय शेयर बाजार शनिवार, 1 फरवरी, 2025 को कारोबार के लिए खुला रहेगा। बता दें कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) दोनों हमेशा की तरह सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक काम करेंगे। ऐतिहासिक रूप से ऐसा होता रहा है कि केंद्रीय बजट वीकेंड पर पेश किया जाता है। इसी के चलते बजट घोषणाओं पर तत्काल बाजार प्रतिक्रिया पर नजर रखने के लिए बाजार खुले रहते हैं।यहां देखे बजट का लाइव कास्ट
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण परंपरा के अनुसार 1 फरवरी को सुबह 11 बजे संसद में बजट पेश करेंगी। इस बजट का सीधा प्रसारण डीडी न्यूज और संसद टीवी पर किया जाएगा। इसके अलावा इनके यूट्यूब चैनल्स https://www.youtube.com/live/Bgm7ME7EIh0?feature=shared पर भी आप इसे लाइव देख सकते हैं। वहीं, अगर आप आसान भाषा में बजट समझना चाहते हैं तो आप www.jalorenews.com पर भी विजिट कर सकते हैं। यहां हम आपको सरल भाषा में बजट से जुड़ी सारी जानकारियां देगें।बजट 2025 से उम्मीदें
केंद्रीय बजट 2025 आने वाले वर्षों में भारत की इकोनॉमी को आकार देने में महत्वपूर्ण साबित होगा। सैलरी क्लास को बजट में इनकम टैक्स (Income Tax) में राहत मिलने की उम्मीद है। केंद्रीय बजट में अमृत काल के तहत ‘विकसित भारत’ की थीम पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है। भारत सतत विकास के लिए प्रयासरत है, इसलिए बजट पर प्रमुख राजकोषीय नीतियों, कर सुधारों और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर गहरी नजर रहेगी। नए टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को खर्च बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन सेविंग करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए मौजूदा योजनाओं को बनाए रखना भी जरूरी है। टैक्सपेयर्स को यह तय करने की आजादी मिलनी चाहिए कि उनके लिए कौनसा Tax रिजीम बेहतर है।आयकर रिटर्न फॉर्म को सरल बनाने का सुझाव
चार्टर्ड एकाउंटेंट की शीर्ष संस्था आईसीएआई ने जलवायु परिवर्तन रोकथाम रणनीतियों को बढ़ावा देने के लिए कर लाभ और आयकर रिटर्न फॉर्म में शेयरों और प्रतिभूतियों से आय के लिए एक अलग खंड की मांग की है। इसके अलावा, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) ने साझेदार फर्मों और सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) के लिए एक विशेष कर व्यवस्था के साथ ही आयकर रिटर्न फॉर्म को सरल बनाने का भी सुझाव दिया है। संस्थान ने बजट से पहले दिये अपने सुझाव में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय अनुकूल उपायों को प्रोत्साहित करने के लिए विवेकपूर्ण कर सुधारों की वकालत की है। अन्य सुझावों के अलावा, आईसीएआई ने शेयरों और सिक्योरिटीज से आय दिखाने के लिए एक नये खंड का प्रस्ताव दिया है, जिसमें लाभांश, ब्याज या पूंजीगत लाभ से हुई आय के संबंध में कर देनदारी के प्रावधान होंगे। संस्थान ने ई-फाइलिंग व्यवस्था में आय रिटर्न को दोषपूर्ण मानने के लिए शर्तों को तर्कसंगत बनाने और दोषपूर्ण रिटर्न को अमान्य मानने से पहले सुनवाई का मौका देने का सुझाव भी दिया है।
निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी
परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) ने यह भी अनुरोध किया कि बजट में पांच प्रतिशत की ब्याज समानीकरण दर की घोषणा की जाए। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को संसद में बजट पेश करेंगी। परिषद ने नई परिधान इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए रियायती कर दर का विस्तार, आईजीसीआर (रियायती दर पर माल का आयात) के तहत ट्रिम्स और अलंकरण के आयात की प्रक्रिया में सरलीकरण और ई-कॉमर्स निर्यात प्रक्रियाओं को उदार बनाने की बात भी कही। एक बयान में कहा गया कि रेडीमेड गारमेंट (आरएमजी) उद्योग ने आगामी बजट में आईटी अधिनियम की धारा 43बी (एच) को हटाने की भी मांग की है, जो किसी भी एमएसएमई कंपनियों को कर में किसी भी कटौती का दावा करने के लिए अधिकतम 45 दिनों के भीतर भुगतान से संबंधित है। बयान के मुताबिक इससे कर देनदारियां बढ़ गई हैं और निर्यातकों के लिए नकदी प्रवाह बाधित हुआ है।
बजट 2025 से 5 बड़ी उम्मीदें
भारत के लिए 2025 के केंद्रीय बजट का बेसब्री से इंतजार है, जिसके बाद से ही इस साल के बजट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. यह बजट आने वाले वर्षों में देश के विकास का ब्लूप्रिंट पेश करेगा. आगामी बजट का बहुत महत्व है, क्योंकि यह ऐसे समय में आ रहा है, जब देश अपनी खपत को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है. क्योंकि पिछली तिमाही में विकास दर औसत से कम रही थी और अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए कुछ साहसिक कदम उठाने की जरूरत है.
दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि अप्रत्याशित रूप से धीमी होकर 5.4 फीसदी पर आ गई, जिसका मुख्य कारण कमजोर पूंजी निर्माण और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और बाधित आपूर्ति श्रृंखलाओं के बीच निर्यात प्रदर्शन में कमी है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा मुद्रास्फीति अस्थिर बनी हुई है. दो महीनों को छोड़कर मुद्रास्फीति पूरे साल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 4 फीसदी की लक्ष्य दर से ऊपर रही है. अक्टूबर 2024 में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) RBI की 6 फीसदी की ऊपरी सीमा को पार कर 6.21 फीसदी पर पहुंच गया.
- व्यक्तियों के लिए टैक्स से राहत-कई उद्योग जगत के नेताओं ने 20 लाख रुपये प्रति वर्ष तक आयकर में राहत की मांग की है. इससे डिस्पोजेबल आय बढ़ेगी और बदले में खपत बढ़ेगी.
- फ्यूल पर एक्साइज ड्यूटी को कम करना-एक अन्य प्रमुख उम्मीद पेट्रोल और डीजल पर अत्यधिक उत्पाद शुल्क में कमी है. उद्योग जगत ने बताया है कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में 40 फीसदी की कमी के बावजूद, उत्पाद शुल्क में भारी वृद्धि के कारण फ्यूल की कीमतें कम नहीं हुई हैं. उत्पाद शुल्क में कटौती से महंगाई पर अंकुश लगाने और विशेष रूप से निम्न आय वाले परिवारों में उपभोग को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है.
- रोजगार-प्रधान क्षेत्रों को बढ़ावा देना-उद्योग जगत ने रोजगार-प्रधान क्षेत्रों जैसे कि वस्त्र, जूते, पर्यटन, फर्नीचर और एमएसएमई को प्रोत्साहित करने के लिए लक्षित उपायों का प्रस्ताव दिया है. इन पहलों का उद्देश्य रोजगार पैदा करना और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत को अधिक प्रभावी ढंग से स्थापित करना है.
- ग्रामीण उपभोग और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना-ग्रामीण उपभोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिसने हाल की तिमाहियों में सुधार के संकेत दिखाए हैं.
- चीन द्वारा डंपिंग से निपटना-उद्योग के बीच एक प्रमुख चिंता वैश्विक बाजारों में चीन द्वारा अतिरिक्त स्टॉक डंप करना है, जिसने भारतीय उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है
FD पर टैक्स इन्सेंटिव देने की मांग
अगर वित्त मंत्री की तरफ से यह ऐलान किया जाता है तो इससे उन लोगों को बहुत फायदा होगा जो बैंक में पैसा जमा करके उस पर मिलने वाले ब्याज से अपनी जरूरतें पूरी करते हैं. न्यूज 18 अंग्रेजी पर प्रकाशित खबर में दावा किया गया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट से पहले हुई मीटिंग में वित्तीय संस्थानों, विशेषकर बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर टैक्स इन्सेंटिव देने की मांग की है. उनका तर्क है कि इससे बचत में इजाफा हो सकेगा. बैंकों की तरफ ये यह सुझाव हाल ही में सेविंग में आई कमी के चलते आया है. यही कारण है कि बैंकों को लोन देने के लिए पैसे की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
शेयर बाजार में पैसा लगाने पर कम टैक्स
खबरों के अनुसार एडलवाइस म्यूचुअल फंड की एमडी और सीईओ राधिका गुप्ता ने वित्त मंत्री के साथ बजट से पहले हुई मीटिंग में कैपिटल मार्केट की दक्षता और समावेशिता में सुधार के लिए सजेशन दिये थे. उन्होंने कहा कि बॉन्ड और इक्विटी शेयरों में लॉन्ग टर्म की बचत को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशें की गई थीं. खबरों के अनुसार इस मीटिंग में वित्त सचिव, निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) सचिव, आर्थिक मामलों का विभाग और वित्तीय सेवा सचिव, और मुख्य आर्थिक सलाहकार भी शामिल हुए थे. बैंकों ने सरकार से कहा है कि अगर आप बैंक में पैसा जमा करते हैं तो उस पर लगने वाला टैक्स कम होना चाहिए क्योंकि शेयर बाजार में पैसा लगाने पर कम टैक्स लगता है. यह सुझाव इसलिए दिया गया ताकि ताकि लोग बैंक में ज्यादा से ज्यादा पैसा जमा करें.
कैसे होगा फायदेमंद?
यदि किसी शख्स के पास 10 लाख रुपये की एफडी (FD) है और उस पर सालाना 8 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है तो उसे पांच साल में कुल चार लाख रुपये का ब्याज मिलेगा. मान लीजिए कि यदि व 30 प्रतिशत की इनकम टैक्स कैटेगरी में आता है तो 40,000 रुपये तक एफडी के ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता है. इस लिमिट से ज्यादा की राशि पर कर इस स्लैब दर के अनुसार देना होगा. मौजूदा नियम के हिसाब से देखें तो उसे 3.60 लाख रुपये पर 30% टैक्स देना होगा, जो कि 1.08 लाख रुपये हुआ. लेकिन, यदि शेयर बाजार में पैसा लगाने पर लगने वाला टैक्स (LTCG) यहां लागू होता है तो उन्हें महज 12.5% टैक्स देना पड़ता, यानी कुल 45,000 रुपये. इस तरह, उन्हें करीब 63,000 रुपये का फायदा होता है.
निर्मला सीतारमण नहीं ये थीं देश की पहली महिला वित्त मंत्री, बजट पेश करने के दौरान कहा था- 'माफ करिएगा'
निर्मला सीतारमण का बतौर वित्त मंत्री यह आठवां बजट होगा. लेकिन, क्या आप उस महिला के बारे में जानते हैं, जिन्होंने देश के सामने बतौर वित्त मंत्री पहली बार बजट पेश किया था. चलिए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
देश की पहली महिला वित्त मंत्री
देश की पहली महिला वित्त मंत्री इंदिरा गांधी थीं. ये बात है 1969 की. देश में इस समय इंदिरा गांधी की सरकार थी और वित्त मंत्रालय था तत्कालीन उप प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के पास. लेकिन, जब मोरारजी देसाई इंदिरा गांधी के खिलाफ बगावत पर उतर आए तो कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 12 नवंबर 1969 को पार्टी से बाहर कर दिया. मोरारजी देसाई के जाने के बाद वित्त मंत्री का पद खाली हो गया. तीन महीने बाद देश का बजट पेश होना था, ऐसे में किसी नए चेहरे पर भरोसा करना पार्टी को ठीक नहीं लगा.
इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए, वित्त मंत्रालय को भी अपने पास रख लिया. फिर आता है 28 फरवरी 1970 की तारीख, जब किसी महिला ने देश का बजट संसद में पेश किया. इंदिरा गांधी ने पहली और आखिरी बार बजट पेश किया, जिसे इतिहास में दर्ज किया गया. इंदिरा गांधी के बाद निर्मला सीतारमण वह पहली महिला हैं जो पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनीं.
क्यों कहा था माफ करिएगा
28 फरवरी 1970 को शाम के 5 बजे जब इंदिरा गांधी बजट पेश करने के लिए संसद में खड़ी हुई तो कांग्रेस के सांसदों ने तालियों के साथ उनका स्वागत किया. उन्होंने बजट पढ़ना शुरू किया, लेकिन फिर बीच में रुक कर उन्होंने कहा मुझे माफ करिएगा. उनके ऐसा कहते ही सदन में सन्नाटा छा गया. लोगों को लगा कि ऐसा क्या करने वाली इंदिरा गांधी.
हालांकि कुछ ही सेकेंड बाद इंदिरा गांधी मुस्कुराईं और बोली, ‘माफ करिएगा, मैं इस बार सिगरेट पीने वालों के जेब पर बोझ डालने वाली हूं.’ दरअसल, इंदिरा गांधी ने आम बजट में राजस्व बढ़ाने की योजना बनाई थी, इस वजह से उन्होंने सिगरेट पर करीब 7 गुना टैक्स बढ़ा दिया था. जो टैक्स पहले 3% था, उसे बढ़ाकर 22% कर दिया गया था.
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