अभिनेता मनोज कुमार का निधन, बॉलीवुड में शोक की लहर, पीएम मोदी और राजनाथ सिंह ने दी श्रद्धांजलि
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अभिनेता मनोज कुमार का निधन, बॉलीवुड में शोक की लहर, पीएम मोदी और राजनाथ सिंह ने दी श्रद्धांजलि
मनोज कुमार के निधन पर पीएम मोदी ने जताया शोक, दी श्रद्धांजलि
मनोज कुमार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया है। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर दिग्गज अभिनेता को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "मनोज कुमार जी, वे भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें विशेष रूप से उनकी देशभक्ति के लिए याद किया जाता है, जो उनकी फिल्मों में भी झलकती थी। मनोज जी के काम ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रज्वलित किया और पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।"
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी श्रद्धांजलि
मनोज कुमार के निधन पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी शोक जताया है। राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर की गई अपनी पोस्ट में लिखा है, "श्री मनोज कुमार जी एक बहुमुखी अभिनेता थे, जिन्हें हमेशा देशभक्ति से भरपूर फ़िल्में बनाने के लिए याद किया जाएगा। ‘भारत कुमार’ के नाम से मशहूर, ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’ जैसी फ़िल्मों में उनके अविस्मरणीय अभिनय ने हमारी संस्कृति को समृद्ध किया है और उन्हें पीढ़ियों से लोगों का प्रिय बनाया है, उनकी सिनेमाई विरासत उनके कामों के ज़रिए ज़िंदा रहेगी। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।"
अक्षय कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, ‘मैं उनसे सीखता हुआ बड़ा हुआ. हमारे देश के लिए प्यार और गर्व से बढ़कर कोई भावना नहीं है और अगर हम एक्टर की इस भावना को दिखाने में आगे नहीं आएंगे, तो कौन करेगा. इतने अच्छे इंसान और हमारी बिरादरी की सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक थे मनोज सर. ओम शांति.’
फिल्ममेकर अशोक पंडित ने कहा, ‘महान दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता, हमारे प्रेरणास्त्रोत और इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के शेर मनोज कुमार जी अब हमारे बीच नहीं रहे. यह इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ी क्षति है और पूरी इंडस्ट्री उन्हें याद रखेगी.’
हिंदी सिनेमा ने एक स्तंभ खो दिया
मनोज बाजपेयी ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘मनोज कुमार साहब के निधन के साथ हमने हिंदी सिनेमा के एक स्तंभ को खो दिया है. उनकी कला ने भारत की भावना को अनोखे तरीके से मनाया. उनके परिवार और अनगिनत फैंस के प्रति संवेदनाएं.’
विवेक रंजन ने जताया दुख
फिल्ममेर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘भारत के पहले भारतीय फिल्मनिर्माता, दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता मनोज कुमार जी आज हमें छोड़कर चले गए. एक गौरवान्वित राष्ट्रवादी. दिल से एक कट्टर हिंदू. एक दूरदर्शी निर्देशक, जिन्होंने भारतीय सिनेमा को एक नया व्याकरण दिया – गानों के चित्रण का, सार्थक गीतों का, ऐसा सिनेमा जो न केवल मनोरंजन करता था, बल्कि उससे जुड़ाव भी महसूस कराता था.’
मनोज कुमार का कल होगा अंतिम संस्कार
अभिनेता मनोज कुमार का पार्थिव शरीर आज अस्पताल में ही रखा जाएगा। मनोज कुमार के बेटे साथ है लेकिन कुछ करीबी परिजन विदेश में रहते हैं। आज विदेश से परिजन देर रात तक भारत लौट रहे हैं। मनोज कुमार की पत्नी की तबीयत भी खराब है और डॉक्टर उनके चेकअप के लिए घर पर मौजूद हैं। वहीं दिग्गज अभिनेता का अंतिम संस्कार 12 बजे विलेपार्ले में स्थित हिंदू शमशान भूमि पर होगा।
मुख्यमंत्री योगी ने मनोज कुमार के निधन पर व्यक्त किया शोक
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि मशहूर अभिनेता एवं फिल्म निर्माता मनोज कुमार का निधन कला और फिल्म जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। योगी आदित्यनाथ ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘महान अभिनेता, प्रख्यात फिल्म निर्देशक, पद्मश्री से सम्मानित मनोज कुमार जी का निधन अत्यंत दुःखद तथा कला एवं फिल्म जगत की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को सद्गति तथा शोकाकुल परिजनों और उनके प्रशंसकों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।’’
देशभक्ति की फिल्मों की वजह से कहे जाते थे 'भारत कुमार'
24 जुलाई, 1937 को हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी के रूप में जन्मे मनोज कुमार हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता थे। उन्हें देशभक्ति थीम वाली फ़िल्मों में अभिनय और निर्देशन के लिए जाना जाता था। जिसमें "शहीद" (1965), "उपकार" (1967), "पूरब और पश्चिम" (1970), और "रोटी कपड़ा और मकान" (1974) शामिल हैं। इन फिल्मों की वजह से ही उन्हें 'भारत कुमार' भी कहा जाता था।
अपनी देशभक्ति फिल्मों के अलावा, उन्होंने "हरियाली और रास्ता", "वो कौन थी", "हिमालय की गोद में", "दो बदन", "पत्थर के सनम", "नील कमल" और "क्रांति" जैसी अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में भी अभिनय और निर्देशन किया। वे आखिरी बार बड़े पर्दे पर 1995 में आई फिल्म ‘मैदान-ए-जंग’ में नजर आए थे।
पुरस्कार और सम्मान
भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए मनोज कुमार को 1992 में पद्म श्री और 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
मनोज कुमार की यादगार फिल्में
बताते चलें कि मनोज कुमार ने शुक्रवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में आखिरी सांस ली. उन्होंने बॉलीवुड को ‘उपकार’, ‘पूरब-पश्चिम’, ‘क्रांति’, ‘रोटी-कपड़ा और मकान’ सहित कई सारी कामयाब फिल्में दीं. मनोज कुमार के परिजनों के अनुसार, शनिवार को दिग्गज एक्टर का अंतिम संस्कार किया जाएगा.21 फरवरी को हुए थे एडमिट
मनोज कुमार की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने के बाद कार्डियोजेनिक शॉक के कारण हुई। वह कई महीनों से लीवर की बीमारी से भी पीड़ित थे, जिससे उनकी तबीयत खराब हो गई थी। उन्हें 21 फरवरी 2025 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और तब से उनका इलाज चल रहा था।
1950 में की थी करियर की शुरुआत
24 जुलाई, 1937 को एबटाबाद (अब पाकिस्तान में) में हरिकृष्ण गोस्वामी के रूप में जन्मे कुमार का एक युवा अभिनेता से एक प्रिय फिल्म स्टार बनने का सफर अभूतपूर्व रहा है। हालाँकि उनका करियर 1950 के दशक के अंत में शुरू हुआ था, लेकिन वे 1960 और 1970 के दशक में बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों में से एक बन गए।
मनोज कुमार उपकार, पूरब और पश्चिम और शहीद जैसी फिल्मों में देशभक्ति के किरदार निभाने के लिए प्रसिद्ध हुए, जिसके लिए उन्हें “भारत कुमार” की उपाधि मिली। कुमार ने न केवल अभिनय किया, बल्कि कई सफल फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया, जिन्होंने भारतीय दर्शकों के दिलों को छू लिया, जो अक्सर राष्ट्रवाद और गौरव के विषयों पर केंद्रित थीं।
उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक उनकी निर्देशित पहली फिल्म उपकार (1967) थी, जो एक बड़ी हिट रही और उन्हें दूसरी सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने भी अभिनेता के निधन पर अपना दुख व्यक्त किया
उन्होंने कहा कि आप सभी को यह बताते हुए दुख हो रहा है कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता, हमारे प्रेरणास्रोत, भारतीय फिल्म उद्योग के दिग्गज, श्री मनोज कुमार जी अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने बहुत लंबे समय तक अस्वस्थ रहने के बाद अंधेरी के कोकिलाबेन अस्पताल में अंतिम सांस ली। यह उद्योग के लिए बहुत बड़ी क्षति है, मनोज जी आपको बहुत याद करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हम सभी उनसे कभी-कभार मिलते रहते थे। वह हमेशा जिंदादिल, खुशमिजाज रहते थे और पूरी इंडस्ट्री उन्हें याद करेगी। उनके जैसा महान आत्मा, उनके जैसा महान निर्माता, हमारे उद्योग में कभी नहीं होगा। अलविदा मनोज जी, अलविदा।
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