जालोर में दर्दनाक हादसा; तालाब में मिट्टी ढहने से दो बच्चों की मौत, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल - JALORE NEWS
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जालोर में दर्दनाक हादसा; तालाब में मिट्टी ढहने से दो बच्चों की मौत, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल - JALORE NEWS
जालोर ( 6 अप्रैल 2025 ) Rajasthan Kids Died : राजस्थान के जालौर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. जालोर जिले के बागरा थाना क्षेत्र के आकोली गांव में रविवार को दोपहर एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। तालाब के किनारे खेल रहे दो मासूम बच्चे मिट्टी ढहने से उसके नीचे दब गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। यह हादसा न सिर्फ दो परिवारों पर कहर बनकर टूटा, बल्कि पूरे गांव को गम में डुबो गया।
खेलते वक्त मिट्टी ने ले ली जान
रविवार होने के कारण स्कूल की छुट्टी थी। गांव के तीन बच्चे तालाब के पास खेल रहे थे और वहीं शौच के लिए भी गए थे। तालाब में जहां पहले खुदाई हुई थी, उस जगह मिट्टी का एक बड़ा हिस्सा अचानक ढह गया। मिट्टी के नीचे दबे 11 वर्षीय अनिल पुत्र भंवराम भील और 12 वर्षीय श्रवण पुत्र रमेश कुमार भील को संभलने तक का मौका नहीं मिला। तीसरा बच्चा जो थोड़ी दूरी पर था, वह भागकर गांव पहुंचा और हादसे की सूचना दी।
रविवार बना अमंगल
बागरा थाना क्षेत्र के आकोली गांव में आज रविवार (6 अप्रैल) को तालाब के पास खेलते समय मिट्टी ढह जाने से 2 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई. आकोली को स्कूल का अवकाश होने से बच्चे खेलने के लिए गए थे। बताया जा रहा है कि लौटते समय दोपहर में तालाब के एक छोर पर खुदाई के बाद गुफानुमा स्थान पर बैठे थे। इस दौरान ऊपरी से मिट्टे का बड़ा हिस्सा धंस गया और बच्चे उसके नीचे दब गए। रेस्क्यू में करीब एक घंटे का समय लग गया। जेसीबी और लोडर की सहायता से खुदाई की गई और बच्चों को बाहर निकाला गया। लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
रेस्क्यू में जुटे ग्रामीण और पुलिस, लेकिन बच नहीं सके मासूम
तीसरा बच्चे ने बताई हादसे की बात
तीसरे बच्चे ने ये देखा तो फौरन वहां से भाग कर यह बात गांव में जाकर परिजनों को बताई, जिसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी. मौके पर बागरा थाना अधिकारी मोहनलाल गर्ग पुलिस जाब्ते के साथ पहुंचे और ग्रामीणों की मदद से JCB मशीन की सहायता से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. काफी मशक्कत के बाद दोनों बच्चों को मिट्टी से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.
मृत बच्चों की पहचान अनिल (पुत्र भंवराम, उम्र 11 वर्ष) और श्रवण (पुत्र रमेश, उम्र 12 वर्ष) के रूप में हुई है. दोनों बच्चे भील समुदाय से थे और आकोली गांव के ही निवासी थे. पुलिस ने दोनों शवों को सियाणा अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया, जहां पोस्टमार्टम के बाद उन्हें परिजनों को सौंपा जाएगा.
इस घटना के बाद गांव में मातम छा गया है. दोनों परिवारों में कोहराम मचा हुआ है और ग्रामीणों में भी गहरा शोक है. डिप्टी एसपी गौतम जैन ने बताया कि हादसे की जांच की जा रही है और प्रशासन को ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे. तालाबों के पास बच्चों की आवाजाही को लेकर चेतावनी बोर्ड, बैरिकेडिंग जैसी सावधानियों पर विचार जरूरी है.
दोनों बच्चे थे चचेरे भाई, एक के पिता दिव्यांग
मृतक अनिल कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कक्षा 4 का छात्र था। उसके पिता दिव्यांग हैं और मां मजदूरी करती हैं। वहीं श्रवण आकोली के राजकीय विद्यालय में कक्षा 8 में पढ़ता था, उसके पिता भी मजदूरी करते हैं। दोनों बच्चे भील समुदाय से थे और चचेरे भाई थे। हादसे के बाद परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है।
तालाब में होती है मिट्टी की खुदाई
तालाब में वर्तमान में पानी नहीं है, लेकिन तालाब में मुरड और मिट्टी के लिए खुदाई होती है। ग्रामीणों की मानें तो गांव में कहीं पर भी मिट्टी के भराव की जरुरत या मकानों के निर्माण क्षेत्र में यहीं से मिट्टी का उपयोग होता है। इसी कारण से तालाब में जगह जगह गड्ढे बन चुके हैं।
अवैध खुदाई बनी हादसे की वजह?
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि तालाब में मुरड और मिट्टी की लगातार अवैध खुदाई हो रही है। गांव के मकानों व अन्य निर्माण कार्यों में उपयोग के लिए यहीं से मिट्टी निकाली जाती है। इससे तालाब के किनारे कई जगह गहरे गड्ढे बन गए हैं, जो जानलेवा बन चुके हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से इस अवैध दोहन पर तुरंत रोक लगाने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
प्रशासन से उठी सुरक्षा व्यवस्था की मांग
डिप्टी एसपी गौतम जैन ने बताया कि हादसे की जांच की जा रही है। वहीं ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि ऐसे स्थलों पर चेतावनी बोर्ड, बैरिकेडिंग और बच्चों की आवाजाही रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं ताकि भविष्य में कोई और मासूम ऐसी दर्दनाक घटना का शिकार न हो।
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यह हादसा एक चेतावनी है – ग्रामीण इलाकों में अवैध खुदाई और सुरक्षा उपायों की अनदेखी किस तरह मासूम जिंदगियों पर भारी पड़ रही है, इसका जीता-जागता उदाहरण है आकोली का यह हादसा। प्रशासन कब जागेगा? क्या इन मासूमों की बलि के बाद कुछ बदलेगा?
यह हादसा एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा उपायों की कमी की ओर इशारा करता है, जो की मासूम जिंदगियों पर भारी पड़ रही है.
अवैध दोहन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग ग्रामीणों के अनुसार, तालाब के भराव क्षेत्र में ग्रेवल के लिए मिट्टी का लगातार अवैध दोहन किया जा रहा है, जिससे वहां कई फीट गहरे गड्ढे बन गए है। मासूम बच्चे जब भराव क्षेत्र की गहराई में खेलते है, तो उन पर ऊपर से मिट्टी के धंसने की संभावना बढ़ जाती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अवैध दोहन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
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