सीमा पर सेवा का संकल्प: जालोर के शिक्षक नरेंद्र कुमार ने दिखाई अनोखी देशभक्ति, सेना के साथ युद्ध में शामिल होने की मांगी अनुमति" - JALORE NEWS
"सीमा पर सेवा का संकल्प: जालोर के शिक्षक नरेंद्र कुमार ने दिखाई अनोखी देशभक्ति, सेना के साथ युद्ध में शामिल होने की मांगी अनुमति" - JALORE NEWS
पत्रकार श्रवण कुमार ओड़ जालोर
जालोर ( 10 मई 2025 ) JALORE NEWS जब देशभक्ति केवल नारों तक सीमित न रहकर कर्म बन जाए, तब ऐसे कर्मशील देशभक्त समाज में नई चेतना का संचार करते हैं। जालोर जिले के एक शिक्षक ने ऐसा ही अद्वितीय और साहसिक कदम उठाया है, जिसने पूरे जिले ही नहीं, पूरे प्रदेश में देशभक्ति की एक नई लहर दौड़ा दी है।
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जालोर शहर के गोड़ीजी क्षेत्र स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक नरेंद्र कुमार राजपुरोहित ने जिला प्रशासन के माध्यम से ऐसा निवेदन किया है, जो आज हर भारतीय का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक), जालोर के माध्यम से जिला कलेक्टर को एक पत्र भेजकर भारतीय सेना के साथ कश्मीर बॉर्डर पर युद्ध में शामिल होने की अनुमति मांगी है। |
इस पत्र में नरेंद्र कुमार ने स्पष्ट लिखा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तनावपूर्ण स्थिति युद्ध के हालात पैदा कर रही है और ऐसे समय में हर देशवासी को राष्ट्ररक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने एनसीसी, एनएसएस, स्काउट सहित विभिन्न प्रशिक्षणों के माध्यम से युद्ध कला में दक्षता प्राप्त की है और अब समय आ गया है जब वे अपने कौशल का उपयोग मातृभूमि की सेवा में करें।
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शिक्षक नरेंद्र कुमार का कहना है –
"देश की सुरक्षा सबसे ऊपर है। अगर सीमा पर मेरे जैसे लोग जाकर सेना का साथ दें तो हमारी शक्ति और मनोबल कई गुना बढ़ सकता है। मैंने प्रशिक्षण लिया है, अब मुझे सेवा का अवसर दिया जाए। मैं मातृभूमि के लिए लड़ना चाहता हूं, जरूरत पड़ी तो प्राण भी न्योछावर कर दूंगा।"
उनकी इस देशभक्तिपूर्ण पहल की खबर फैलते ही जिलेभर में चर्चा का विषय बन गई है। सोशल मीडिया पर लोग उनकी सराहना कर रहे हैं, युवा उन्हें प्रेरणा मान रहे हैं, और स्थानीय लोग गर्व महसूस कर रहे हैं कि जालोर की धरती पर ऐसे शिक्षक जन्मे हैं जिनका जीवन स्वयं में एक संदेश है।
इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि देशसेवा केवल सैनिकों का धर्म नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। नरेंद्र कुमार का यह कदम यह संदेश देता है कि वर्दी से बड़ी भावना होती है – 'मैं भारत का सिपाही हूं'।
जालोर प्रशासन की ओर से अब इस पर विचार किया जा रहा है और जिले के अधिकारी भी उनके इस साहसिक अनुरोध से प्रभावित हुए हैं।
यह समाचार न केवल एक शिक्षक के देशप्रेम का उदाहरण है, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो देश की सेवा करना चाहते हैं पर पहल करने से डरते हैं। नरेंद्र कुमार ने बता दिया कि जब इरादे बुलंद हों तो हर नागरिक सिपाही बन सकता है।
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