18 मई से राहु कुंभ व केतु सिंह में : शास्त्री - BHINMAL NEWS
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18 मई से राहु कुंभ व केतु सिंह में : शास्त्री - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 17 मई 2025 ) BHINMAL NEWS बड़े ग्रहों की चाल में बड़ा परिवर्तन दिखाई दे रहा है । शनि की चाल बदल चुकी है, इसके बाद गुरु ने भी राशि बदली है । अब दो पाप ग्रह राहु-केतु भी राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं ।
शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि ज्योतिष के अनुसार जब भी कोई ग्रह राशि परिवर्तन करता है तो उसका प्रभाव व्यापक लेवल पर देखने को मिलता है । ग्रहों की चाल सिर्फ इंसानों को ही प्रभावित नहीं करती है, बल्कि देश-दुनिया पर भी असर छोड़ती है । यही कारण है कि जब भी कोई ग्रह राशि बदलता है तो पूरी दुनिया में उसके अच्छे-बुरे प्रभाव देखने को मिलते हैं।
शनि, गुरु के बाद अब राहु-केतु की चाल में परिवर्तन होने जा रहा है। ज्योतिष में इन दोनों ही ग्रहों का रहस्मय और मायावी ग्रह के तौर पर पेश किया गया है। राहु का गोचर कुंभ में होने से तकनीकी युद्ध और गुप्त साजिशों के संकेत मिल रहे हैं । ऐसा माना जाता है कि राहु जब भी कुंभ राशि में गोचर करता है, तो यह नए प्रकार के युद्ध, जैसे साइबर हमले, तकनीकी जासूसी और सैटेलाइट निगरानी को बढ़ावा देता है। क्योंकि राहु छिपी हुई चीजों का कारक है । इसी कारण इसे छाया ग्रह भी कहा गया है। भारत की कुंडली वृषभ लग्न की है, जिसके दशम भाव में कुंभ राशि है । जो सत्ता, सरकार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरे प्रभाव को दिखाता है ।
बृहत संहिता के अनुसार राहुर्वायुराशौ स्थितः राजभेदं जनयति यानि राहु जब वायु राशि में आता है तो शासकों में अविश्वास और अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ता है ।
इस प्रकार 18 मई के बाद ऐसी स्थितियों के निर्माण की प्रबल संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। केतु जब सिंह राशि में आता है तो सत्ता की परीक्षा लेता है। इस समय किसी देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या सेना प्रमुख को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है । जातक पारिजात के अनुसार केतु सिंहस्थो बलिनां क्षयं करोति। अर्थात् शक्तिशाली लोगों का पतन संभव है। ये समय शक्तिशाली लोगों के लिए चुनौती पूर्ण साबित हो सकता है। सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों को अचानक आने वाली समस्याओं जूझना पड़ता है। गुरु जब मिथुन राशि में होता है, तो वह निवेश, बुद्धि और विचार प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
त्रिवेदी ने बताया कि वर्तमान समय में गुरु का गोचर मिथुन राशि में है ऐसे में ऐसी स्थितियों का निर्माण हो सकता है। इसलिए निवेशकों का अधिक सतर्क रहना चाहिए । बाजार में अनिश्चितता और अफवाहों का दौर देखने को मिल सकता है । बुध की राशि में गुरु का गोचर कम्युनिकेशन और टेक्नोलॉजी सेक्टर में अस्थिरता ला सकता है। मिथुन राशि का स्वामी बुध है जो इन सब का कारक माना जाता है।
बृहत् जातक के अनुसार गुरुर्मिथुनस्थः भ्रमं ददाति। अर्थात् मिथुन राशि का गुरु निवेशकों को भ्रमित कर सकता है। राहु-केतु का गोचर पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा। यह राशि परिवर्तन गहरे बदलाव का कारक बन सकता है । किसी बड़े देश में सरकारी प्रणाली या सैन्य नेतृत्व का संकट खड़ा हो सकता है। यही नहीं पाप ग्रहों का गोचर टेक्नोलॉजी और डेटा लीक से जुड़े किसी बड़े विवाद को जन्म दे सकता है।
कालामृतम् शास्त्र के अनुसार केतु सिंहस्थो यदा भवति, क्षात्रगौरवविनाशः । अर्थात जब केतु सिंह राशि में हो तो सैन्य नेतृत्व या सम्मान का नाश होता है। इस अवसर पर 18 मई से केतु सिंह राशि में प्रवेश करेगा । जिस कारण से अहंकार और आत्माभिमान की भावना से बचना होगा । नहीं तो करीबी रिश्ते टूट सकते हैं।
रहस्य ग्रंथ के अनुसार राहु केतु योगे सत्यासत्यं न स्पष्टते। इस समय सच और झूठ में फर्क करना कठिन हो जाता है। इसलिए 18 मई के बाद घटनाओं में अचानक तेजी देखने को मिलेगी। लेकिन ये एक दिन में नहीं, धीरे-धीरे और गहराई से असर डालने वाला परिवर्तन होगा। शेयर बाजार में तकनीकी कंपनियों का प्रभाव देखने को मिल सकता है। विश्व नेतृत्व में उथल-पुथल, सत्ता संघर्ष और मीडिया में नए खुलासे देखने को मिल सकते हैं।
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