अफसोस:पानी की भरी बोतल घर भूली, पानी का एक घूंट भी मिलता तो अंजलि नहीं मरती - JALORE NEWS
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अफसोस:पानी की भरी बोतल घर भूली, पानी का एक घूंट भी मिलता तो अंजलि नहीं मरती - JALORE NEWS
जालोर ( 9 जुन 2021 ) अपनी आंखों के सामने पांच साल की नातिन अंजलि को तड़प-तड़प कर दम तोड़ते बेबस होकर देखने वाली नानी सुखीदेवी तीसरे दिन भी गहरे सदमे में है। दो दिन से रानीवाड़ा अस्पताल में भर्ती सुखीदेवी ने बताया कि उस दिन एक चुल्लू पानी भी मिल जाता तो मेरी अंजलि बच जाती। भावुक होते हुए सुखीदेवी ने अफसोस के साथ कहा कि रायपुर से निकलते समय पानी की बोतल भरी थी, लेकिन साथ लाना भूल गई। हिम्मत कर दोनों चलती रही, इस उम्मीद में कि आगे कहीं न कहीं पानी मिल ही जाएगा
मैं काफी दिनों से अपने पीहर (रायपुर) में थी। रविवार को घर की निगरानी के लिए निकली थी। अकेली होने के कारण मैंने नातिन अंजली को साथ ले लिया। सडक़ मार्ग दूर होने से बीच का रास्ता पकड़ा। पहाड़ी व धोरों वाला रास्ता होने से ज्यों-ज्यों धूप तेज हुई प्यास तेज होती गई और हमारी हालत बिगड़ती गई। हिम्मत कर आगे चलती रही, इस उम्मीद में कि आगे कहीं न कहीं पानी मिल जाएगा। इस बीच अंजलि पानी-पानी करनी लगी। मैंने इधर-उधर देखा, कहीं पर भी रास्तों में कुआं या हैंडपंप नहीं था। आसपास कोई घर व ढाणी भी नहीं थे। हम बुरी तरह से थक चुके थे। आसपास छांव भी नहीं थी, तो एक छोटी सी झाड़ी का सहारा लेकर रूके। अंजलि बोल रही थी नानी मां...टीले के उस पार चलते हैं, वहां पानी मिल जाएगा। लेकिन दोनों में इतनी हिम्मत नहीं बची थी कि खड़े होकर टीले के उस पार जा सकें।
ना तो छांव व ना ही पानी दोनों बेहोश होने की स्थिति में थी। तब मैंने अंजलि को पकड़कर गोद में लिटा दिया, वो गोद में भी पड़ी-पड़ी केवल पानी-पानी कर रही थी...। पानी-पानी करते अंजलि ने मेरी आंखों के सामने दम तोड़ दिया। मैं होश में आई तब पुलिस वाले आसपास में थे और बोतल से मुझे पानी पिला रहे थे।
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