कमलेश प्रजापत बाड़मेर फर्जी मुठभेड़ प्रकरण में किसने पीड़ित परिवार का साथ दिया या नहीं दिया ? गुमराह किसने किया ?एनकाउंटर केस का हो सकता कभी खुलासा - JALORE NEWS
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कमलेश प्रजापत बाड़मेर फर्जी मुठभेड़ प्रकरण में किसने पीड़ित परिवार का साथ दिया या नहीं दिया ? गुमराह किसने किया ?एनकाउंटर केस का हो सकता कभी खुलासा - JALORE NEWS
बाड़मेर ( 14 जुलाई 2021 ) राजस्थान सरकार(गहलोत)ने समस्त प्रजापत कुम्हार कुमावत समाज के साथ गुमराह करने के साथ साथ सरेआम धोखा ही किया है। बाड़मेर पुलिस हो या अन्य पुलिस गृहमंत्रालय के अधिन ही आती है। राजस्थान सरकार का मुख्यमंत्री पद के साथ साथ गृहमंत्री का पद भी स्वयं अशोक गहलोत संभाल रहे हैं। प्रदेश की जनता की सुरक्षा की, कानून व्यवस्था बनाए रखना की जिम्मेदारी और पुलिस कार्यवाही गतिविधियों की पुर्ण जिम्मेदारी स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री गृहमंत्री अशोक गहलोत की है।
बाड़मेर पुलिस कप्तान और प्रदेश सरकार के दिग्गज केबिनेट मंत्री संदेह के घेरे में होते हुए भी इनकी बोडी लैंग्वेज हाव-भाव से साफ जाहिर होता है कि इनके सर पर प्रदेश के सबसे दिग्गज और पावरफुल व्यक्ती का हाथ है वरना पुलिस कप्तान का चेहरा चाल-चलन में जरूर अंतर आता, सीबीआई जांच का थोड़ा भी डर चेहरे पर झलकता। अगर गहलोत को पहले से मामले की जानकारी नहीं थी तो सीसीटीवी फुटेज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस के बयानों में भिन्नता, पीड़ित परिवार के आरोपों, शश्मदीद गवाहों,मौका हालात, सारे तथ्यों से मामला फर्जी एनकाउंटर की आड़ में सरेआम हत्या का है स्पष्ट और साफ हत्या है फिर भी गहलोत ने मंत्री और संबंधित अधिकारियों पुलिस कप्तान को पद से बर्खास्त नहीं करके सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाई है
एकबार फिर से अंग्रेजी तुगलकी हुकूमत की याद दिला दी पीड़ित परिवार के दिल पर क्या कुछ गुजर रही होगी?
अपने घर में पत्नि बच्चों के साथ बैठे निहत्थे व्यक्ती जिस पर कोर्ट में पेश होने और करने जैसा एक भी नामजद वारंट या मामला पेंडिंग नहीं है उस शख्स का पुलिस अपने आकाओं को खुश करने के लिए भ्रष्टाचार अवैध प्रतिबंधित बिज़नस करने,अपने कारनामों के खुलासों के डर के कारण,षड्यंत्र रचकर पुर्वनियोजीत तरीके से खाकी खादी के गठजोड़ से एक बिजनेसमैन समाजसेवी की व्यवसायिक स्पर्धा के कारण हत्या कर दी जाती है जिसका सीसीटीवी फुटेज में विश्लेषण करने पर साफतौर पर खुलेआम हत्या करना ही साबित होती है। ऐसे गंभीर मामले में गहलोत के गृहमंत्रालय के अधिन आने वाली बाड़मेर पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ करके प्रजापत समाज के युवा समाजसेवी बिजनेसमैन को ढेर कर दिया जाता है इस की सीधी जिम्मेदारी गृहमंत्री पर आती है।
कैबिनेट मंत्री के चाहने पर किसी का एनकाउंटर करने के लिए पुलिस ने गृहमंत्री से स्वीकृती जरूर ली होगी यह एक लीगल प्रोसेस है।मामले की हकीकत पहले से ही पता होने के कारण से ही गहलोत की पुलिस ने पीड़ित परिवार की प्रथम सुचना रिपोर्ट हत्या की (FIR) भी दर्ज नहीं की। पीड़ित परिवार की तरफ से फर्जी मुठभेड़ करवाने का गहलोत सरकार के जिस केबिनेट मंत्री पर आरोप है उसने सीबीआई जांच रूकवाने के प्रयास की न्युजें भी अनेकों समाचार पत्रों में है। अब जब सीबीआई मंत्री के गृहनगर में जांच कर रही है तो सत्तासीन मंत्री से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वह निष्पक्ष जांच होने देगा ?
पीड़ित परिवार के लगाये गये आरोपों,सोशल मीडिया, समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों को देखते हुए बाड़मेर पुलिस कप्तान ने मंत्री के कहने पर ही कमलेश प्रजापत को फर्जी एनकाउंटर कर मौत के घाट उतारा है, ऐसे में पुलिस अधीक्षक बाड़मेर को पद से हटाए बगैर निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
नैतिकता के नाते मंत्री और पुलिस कप्तान को पद से जांच पुरी होने और निर्दोष साबित होने तक बर्खास्त करना चाहिए। कमलेश के विरुद्ध मुठभेड़ करने के बाद मुकदमे में गहलोत ने सीबीआई जांच की अनुशंसा करके प्रजापत समाज को गुमराह किया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट सं 136/2021 पुर्णतया गहलोत सरकार की तरफ से मुठभेड़ को सही ठहराकर कमलेश प्रजापत के विरोध में तथ्यों सबूतों के साथ छेड़खानी करके दर्ज करवायी गयी है जिसमें पुलिस ने अपना बचाव को मध्यनजर रखकर मुठभेड़ को सही सामान्य कार्यवाही दर्शाकर कमलेश प्रजापत के खिलाफ रिपोर्ट की है पुलिस की अपनी मर्जी बचाव हो इस अनुसार लिखे मुकदमे में मुख्यमंत्री गहलोत ने कमलेश के खिलाफ सीबीआई जांच की अनुशंसा की है। सीबीआई जांच का एंगल हमेशा ही कमलेश के खिलाफ ही रहेगा क्योंकि कोर्ट हो या पुलिस हमेशा ही जो भी फरियाद लेकर या शिकायत लेकर आता है संबंधित एजेंसी का वजन फरियादी के पक्ष में ही होता है कमलेश प्रकरण में फरियादी राजस्थान सरकार है।
सीबीआई कमलेश प्रजापत के खिलाफ में दर्ज मुकदमे में जांच कर रही है इस मामले में एफआईआर की कहानीनुसार मुलजिम मृतक कमलेश प्रजापत है और मुस्तगिस बाड़मेर पुलिस या राजस्थान सरकार है। पीड़ित परिवार की तरफ से कमलेश की हत्या का मामला ना ही गहलोत सरकार और ना ही सीबीआई ने दर्ज किया है।
हत्या के संगन मामले में नामजद आरोपीयों के खिलाफ एफआईआर के बिना दोषियों को सजा होना मुश्किल है। कोर्ट के बाहर और सोशल मीडिया समाचार पत्रों में क्या चर्चा है इससे कोर्ट को कोई सरोकार नहीं संज्ञेय नहीं, बगैर नामजद और एफआईआर के बगैर यह मामला कुछ भी नहीं है। इस मामले में सीबीआई बची-खुची कमलेश के नाम की प्रोप्रटी को अवैध तरीके से धन अर्जित करने के आरोप में जब्ती करने की पुरी संभावना है।
अपने समाज के स्थानीय किसी भी राजनेता संगठन पदाधिकारी छोटे बड़े जनप्रतिनिधियों ने आरोपी मंत्री और पुलिस कप्तान की संलिप्तता और गठजोड़ से फर्जी मुठभेड़ करके हत्या करने के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोलना और मुख्यमंत्री जी द्वारा सीसीटीवी फुटेज,गवाह, पोस्टमार्टम रिपोर्ट,शश्मदीद गवाहों, मौका-ए-वारदात, सोशल मीडिया की चर्चा, समाचार पत्रों की ख़बरों, पुलिस के भिन्न-भिन्न समय में भिन्न भिन्न बयान, को देखते हुए मंत्री और पुलिस कप्तान को तत्काल प्रभाव से पद से जांच प्रभावित नही हो तबतक पद उतार कर देना चाहिए। समाज के स्थानीय जनप्रतिनिधि जो छोटा हो या बड़ा, प्रदेश सरकार, आरोपित मंत्री, पुलिस कप्तान के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोलना शक पैदा करता है। भला कोई क्युं अपने सर में उचालकर पत्थर लेगा सबका अपना कैरियर जो है।
सीबीआई जांच की अनुशंसा मृतक कमलेश प्रजापत के खिलाफ(पुलिस द्वारा अपनी मर्जी से बचावानुसार कमलेश मुठभेड़ से संबंधित डाक्युमेंटस वगैरह) की गई वरना सीबीआई अपने अनुसार नये सिरे से फर्जी मुठभेड़ करके हत्या करने के मामले में नयी एफआईआर दर्ज करती। मुठभेड़ की आड़ में सरेआम स्पष्ट हत्या ही लग रही है, अपनी ही सरकार के कैबिनेट मंत्री के खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप है सीसीटीवी फुटेज में साफ स्पष्ट है इसलिए गहलोत सरकार ने अपने उपर ना लेकर सीबीआई जांच की कमलेश के खिलाफ अनुशंसा वो भी प्रजापत समाज को गुमराह करके कमलेश के खिलाफ अपनी पुलिस द्वारा मनगढ़ंत फर्जी मुठभेड़ की कहानी रचकर उसी एफआईआर में सीबीआई जांच की अनुशंसा करके सरल सीधी साधी भोली भाली प्रजापत समाज के साथ अन्याय ही किया है।
मुख्य बिंदु मामले के
1- गहलोत ने परिवार की प्रथम सुचना रिपोर्ट भी आज तक दर्ज नहीं की।
2-मृतक कमलेश के खिलाफ सीबीआई जांच की अनुशंसा की है न कि बाड़मेर पुलिस के ।
3-जिस पर हत्या करने और करवाने का आरोप है वह लोग आज भी अपने पद पर आसीन हैं।
4- आरोपित पुलिस कप्तान संबंधित मंत्री के बचाव में बार बार सीबीआई टीम से मिल रहे हैं।
5- प्रदेश का गृहमंत्रालय और पुलिस कप्तान बाड़मेर यह चाहते हैं कि कमलेश प्रकरण में सीबीआई जांच में एनकाउंटर को सही ठहरादे ऐसी रिपोर्ट तैयार करवाने का भरकस प्रयास होगा यही कारण है कि एसपी आनंद शर्मा सीबीआई टीम से मिलते हैं।
सीबीआई भी एक पुलिस एजेंसी ही है,पुलिस गृहमंत्रालय के अधीन आती है केंद्र हो या राज्य सरकार, राजस्थान सरकार का गृहमंत्रालय स्वयं गहलोत के पास है और कमलेश की हत्या की जिम्मेदारी स्वयं गहलोत पर आती है।
आरोप गहलोत के मंत्री पर है
मंत्री और उसके भाई की भूमिका पुर्णतया संदिग्ध है, पुलिस की भूमिका और अपनी सरकार के मंत्री को गहलोत कभी भी दोषी साबित नहीं होने देंगे क्योंकि गहलोत अपनी सरकार और गृह मंत्रालय को कभी कठघरे में खड़ा करना नहीं चाहेगी। मेरे आंकलन और अनुभव समझ के आधार पर सीबीआई जांच पुर्णरुप से प्री-पेड है। भले ही सीबीआई एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है,केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार के इशारों पर काम करने के आरोप भी लगते रहते हैं पर इस मामले में जांच अधिकारी अपने हिसाब से अपने पर पकड़ रखने वालों के पक्ष में मामले को करने की क्षमता रखते हैं पर इस मामले के जांच अधिकारी देवेंद्र कुमार स्वयं करोड़ों में रिश्वत लेने के आरोप में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किये जा चुके हैं।मतलब करप्शन के आरोप लगे अधिकारी को जांच अधिकारी बनाना बिना कांग्रेस-बीजेपी नेताओं के गठबंधन के संभव नहीं है।
गजेंद्र सिंह शेखावत और ओम बिरला के साथ आरोपी मंत्री के संबंध काम आ रहे हैं।
इस मामले में सिर्फ दो ही पक्ष है एक राजस्थान सरकार जो स्वयं मुस्तगिस फर्यादी बन बैठी है दुसरा कमलेश प्रजापत जो अब इस दुनिया में नहीं है स्वयं सीबीआई को नहीं पता कि पीड़ित और अपराधी किसे बनाएं यह सब गहलोत सरकार की करामात है। मेरा मानना है कि बिना किसी गिरफ्तारी के इस मामले में चार्जशीट पेश होगी। इस कमलेश प्रकरण फर्जी मुठभेड़ मामले में दो बातें साफ हो चुकी हैं कि राजनीतिक पार्टियों सिर्फ आमजनता के लिए होती है नेता सभी आपस में एक ही होते हैं दुसरी बात पैसै और पद सरकार में हिस्सेदारी मंत्री पद के बल पर आप किसी भी शख्स को घर में बैठे व्यक्ती को घर में घुसकर हत्या करके फर्जी मुठभेड़ का नाम दे सकते हैं। मैंने किसी के भी खिलाफ कोई भी बात नहीं बोली है ना लिखी है मैंने सिर्फ यह बताने का प्रयास किया है कि कैसे जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं और अपने नाक के नीचे अपराध कारित करने देते हैं, आम जनता को आसानी से गुमराह करके अपराधीयों को सजा से बचाव करलेते है।
मैं तो आज तक के सारे प्रकरण की उठा-पटक को देखकर गहलोत सरकार की नैतिक जिम्मेदारी के नाते गहलोत को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। कमलेश प्रकरण स्पष्ट हत्या होते हुए भी संबंधित अधिकारियों को सस्पेंड और आरोपित मंत्री का स्तीफा भी नहीं लेकर खुलेआम आरोपियों की मदद ही कर रहे हैं। पुलिस कप्तान खुद शक के घेरे में है और वो बार बार सीबीआई की टीम से मिल रहे हैं जांच को प्रभावित कर रहे हैं यह सब देखकर पीड़ित परिवार के मन पर क्या बीत रही होगी ?
ऐसे में तो अंग्रेजी हुकूमत तानाशाही और आज की शासन व्यवस्था में क्या अंतर रह गया होगा ? पीड़ित परिवार की नजर में।अगर पहले ही दिन गहलोत सरकार ने कानून को हाथ में लेने वाले और षड्यंत्र करता के खिलाफ मामला दर्ज कर सही जांच की होती तो इस मामले में दुध का दुध पानी का पानी हो सकता था। आज भी पीड़ित परिवार की तरफ से आरोपीत मंत्री और बाड़मेर पुलिस कप्तान को पद से हटाकर पीड़ित परिवार की तरफ से नामजद हत्या का मामला दर्ज कर उसी मामले में सीबीआई जांच की अनुशंसा करे और सीबीआई नये से मामला दर्ज कर कमलेश के खिलाफ बाड़मेर पुलिस द्वारा दर्ज मामले की बजाय कमलेश को न्याय दिलाने के उद्देश्य से दर्ज नये मामले हत्या के एंगल से जांच करें तो कमलेश भाई को अपने समाज बंधु को न्याय मिल सकता हैl वरना असंभव लग रहा है। मेरा किसी पार्टी सामाजिक संगठन से कोई सरोकार नहीं है,मैं प्रदेश की कांग्रेस सरकार और कांग्रेस पार्टी के प्रजापति कुम्हार कुमावत समाज के पदाधिकारी जनप्रतिनिधियों से सवाल करता हूं कि किस आधार पर हम कहें कि प्रदेश सरकार ने हमारे साथ न्यायिक दृष्टिकोण रखा ?
हमें गुमराह नहीं किया ?
प्रजापत समाज के जनप्रतिनिधि पीड़ित परिवार की हत्या की एफआईआर दर्ज करने के लिए और मंत्री, पुलिस कप्तान को पद से हटाने के लिए अपना मुंह क्युं नहीं खोल रहे हैं ? समाज के बाड़मेर जिले के स्थानीय जनप्रतिनिधि सीबीआई जांच की अनुशंसा के बाद इस मामले में अपने-आप को जिम्मेदारी मुक्त करना कि हमने हमारा काम कर दिया है ऐसे में मामले में ढील नहीं देनी चाहिए। पुलिस कप्तान और मंत्री को हटाने के लिए सरकार में उपर तक आवाज बुलंद करनी चाहिए। कुछ समाजसेवी काम सही दिशा में कर रहे हैं पर अति उत्साह में श्रेय की होड़ और एकदम कठोर सत्य मुंहपर कहकर अपने-आपको अन्य संगठनों के खिलाफ खड़ा कर दिया है । सभी समाज बंधुओं ने सामुहिक रूप से प्रयास किया है पर सामाजिक संगठनो को अपने-अपने बैनर झंडों के वर्चस्व श्रेय की लड़ाई को छोड़कर समाज हीत में काम करना चाहिए।
राजस्थान के बहुचर्चित कमलेश एनकाउंटर मामले में अब लव, साजिश और धोखे का एंगल सामने आ रहा है। अब तक इस मामले में केवल व्यापारिक प्रतिस्पर्द्धा की बात आई थी। बाड़मेर पहुंची सीबीआई टीम के बाद परिजनों ने जो आरोप लगाए हैं, उससे पूरे मामले में नया मोड़ आ गया है। इसमें उसकी तथाकथित एक प्रेमिका का भी नाम सामने आया है। आरोप है कि पुलिस एनकाउंटर में वह भी शामिल थी। उसने धोखे से कमलेश को बातों में उलझाए रखा और पुलिस ने इस मौके का फायदा उठाया। दरअसल, कमलेश प्रजापत का एनकाउंटर 22 अप्रैल की रात में हुआ था। यह कार्रवाई लगातार सवालों के घेरे में रही। अब सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। सीबीआई की टीम सदर थाने पहुंची और एनकाउंटर से संबंधित तमाम जानकारियां जुटाईं।
कमलेश प्रजापत का भाई भैराराम (हाथ में पेपर लिए)।
जानें पूरी कहानी...
लव: जांच में सामने आया है कि कमलेश की एक प्रेमिका थी। यह कौन थी? और इसका क्या नाम है, अभी तक यह राज है। परिजनों ने सीबीआई को जो ज्ञापन सौंपा है, उसमें प्रेमिका का जिक्र है। बताया गया है कि दोनों के पुराने संबंध थे। दोनों में अक्सर लंबी बातें होती रहती थीं। वीडियो कॉल के जरिए दोनों की लंबी बातें हुआ करती थीं। पुलिस ने इसका फायदा उठाया और प्रेमिका को अपने पक्ष में कर लिया।
धोखा: आरोप है कि इस पूरे एनकाउंटर में कमलेश की प्रेमिका पुलिस से मिली हुई थी। एनकाउंटर से करीब 5 घंटे पहले ही उसने कमलेश को वीडियो कॉल किया था। प्रेमिका ने कमलेश को बातों में उलझा कर रखा, ताकि वह वहां से भाग न सके। साथ ही, पुलिस को लोकेशन देती रही। कहा जा रहा है कि एनकाउंटर के दौरान वह प्रेमिका से वीडियो कॉल पर बातें कर रहा था।
दावा: एनकाउंटर से पहले कमलेश के साथियों ने उससे कॉन्टैक्ट करने की भी कोशिश की, लेकिन वह प्रेमिका के साथ बातों में उलझा था। इस वजह से साथियों की बात नहीं हो पाई। पुलिस के लिए यह संजीवनी साबित हुई। कमलेश हाथ आया और मार दिया गया।
साजिश: परिजनों ने सीबीआई को सौंपे ज्ञापन में यह भी बताया कि कमलेश ने 2014 में केके इंटरप्राइजेज फर्म बना ली थी। पचपदरा रिफायनरी में काम शुरू होने से राजस्व मंत्री व मनीष को कमलेश की फर्म को काम मिलने से व्यापारिक प्रतिस्पर्धा हो गई थी। सांडेराव वाले केस से नाम हटाने के लिए मनीष ने कमलेश से 10 लाख रुपए लिए। इसके बाद भी सांडेराव पुलिस दबाव बना रही थी। कमलेश वापस मिला, तो राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने उसे वहां से निकाल दिया। इस पर कमलेश ने मनीष से 10 लाख रुपए वापस मांगे। मनीष को धमकी भी दी कि रुपए लौटा देना नहीं तो मार दूंगा। तब मनीष ने कहा था कि तुम जिंदा रहोगे, तभी तो मुझे मार पाओगे।
मंत्री का दावा: मंत्री हरीश चौधरी का कहना है, मैंने खुद बोला था कि सीबीआई से जांच हो। सीबीआई जांच कर रही है। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, जो आरोप लगा रहे हैं, वे सारे निराधार हैं। कोई एजेंसी जांच कर ले, सच तो सच ही रहेगा।
ज्ञापन आधार पर भी हो सकती है जांच
हालांकि यह सारे आरोप परिजनों की ओर से सीबीआई को सौंपे ज्ञापन में हैं। इसमें परिजनों ने उसकी प्रेमिका के साथ मिलीभगत के साथ व्यापारिक प्रतिस्पर्धा से संबंधित आरोप लगाए हैं। परिजनों ने इस संबंध में उसकी प्रेमिका की भूमिका की भी जांच करने की मांग की। कमलेश खुद शादीशुदा था। उसके दो बच्चे भी हैं। ज्ञापन में उसकी प्रेमिका का भी जिक्र है, जिससे वह घंटों बातें करता रहता था।
यह है मामला
22 अप्रैल को सदर थाना क्षेत्र के सेंट पॉल स्कूल के पीछे एक मकान में घिरे कमलेश प्रजापत को पकड़ने गई पुलिस ने उसके गेट तोड़ कर भागने के दौरान गोली मार कर एनकाउंटर कर दिया था।
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