महात्मा ज्योति बा फूले क़ो किया नमन - JALORE NEWS
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महात्मा ज्योति बा फूले क़ो किया नमन - JALORE NEWS
जालोर ( 28 नवम्बर 2021 ) भाजपा ओबीसी मोर्चा आईटी संयोजक भीखाराम प्रजापत ने बताया की आज भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यालय मै आज प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया ओबीसी मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश भड़ाना व जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव के निर्देशानुसार आज जिला कार्यालय मै महात्मा ज्योति बा फूले की पुण्यतिथि पर नमन श्रदासुमन अर्पित किये। पुष्पांजलि व संगोष्ठी कार्यक्रम मै मुख्य अतिथि जालोर विधायक जोगेश्वर गर्ग उपस्थित थे।
विशिष्ट अतिथि के नाते नगरपरिषद सभापति गोविन्द टांक , भाजपा नगर अध्यक्ष ऐडवोकेट सुरेश सोलंकी, नगर महामंत्री व पार्षद दिनेश महावर, पार्षद दिनेश बारोट ,ओबीसी मोर्चा जिला उपाध्यक्ष दिलीप सोलंकी,आईटी जिला संयोजक भीखाराम प्रजापत, युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष दिलीप भट्ट, कार्यालय प्रभारी हरीश राणावत, भाजपा नगर उपाध्यक्ष रवि सोलंकी,घनस्याम देवासी धनपत मुथा, नगर मंत्री सूरजपाल गहलोत, महेंद्र राठौड़ रहे, वही कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष ओबीसी मोर्चा श्री ओबाराम देवासी ने की, कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा महात्मा ज्योतिबा फूले की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्लीत कर पुष्पांजलि अर्पित कर की।
विधायक जोगेश्वर गर्ग ने महात्मा ज्योतिबा फूले के आदर्शो पर प्रकाश डालते हुए बताया की महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। उनकी माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविन्दराव था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले माली का काम करता था। वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे इसलिए उनकी पीढ़ी 'फुले' के नाम से जानी जाती थी।
ज्योतिबा बहुत बुद्धिमान थे। उन्होंने मराठी में अध्ययन किया। वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। 1840 में ज्योतिबा का विवाह सावित्रीबाई से हुआ था।
महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर था। जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्वरवाद को अमल में लाने के लिए ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की गई थी जिसके गोविंद रानाडे और आरजी भंडारकर थे।
ओबीसी मोर्चा जिलाध्यक्ष ओबाराम देवासी ने प्रकाश डालते हुए उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी। स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग उदासीन थे, ऐसे में ज्योतिबा फुले ने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला।
नगर परिषद सभापति गोविंद टाक ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले ने कहीं सामाजिक आंदोलनों में हिस्सा लिया।इन प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त किया था। लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत हुई, जो आजादी की लड़ाई में उनके संबल बने।
नगर अध्यक्ष अधिवक्ता सुरेश सोलंकी ने कहा कि इस महान समाजसेवी ने अछूतोद्धार के लिए सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। उनका यह भाव देखकर 1888 में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी गई थी। ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई।
जिला उपाध्यक्ष दिलीप सोलंकी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी का आभार धन्यवाद ज्ञापित किया।
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