अयोध्या पर फैसले के बाद कमिश्नर, मेयर, IAS, MLA ने ताबड़तोड़ खरीदी जमीन, अब CM योगी ने दिए जांच के आदेश - JALORE NEWS
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अयोध्या पर फैसले के बाद कमिश्नर, मेयर, IAS, MLA ने ताबड़तोड़ खरीदी जमीन, अब CM योगी ने दिए जांच के आदेश - JALORE NEWS
अलीगद ( 23 दिसम्बर 2021 ) अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से राम मंदिर का निर्माण तो शुरू हो गया, लेकिन इससे जुड़े दूसरे पहलुओं पर विवाद भी लगातार जारी है. ऐसा ही एक विवाद है जमीन खरीद को लेकर है. अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर के आस-पास कई जमीनों को खरीदा गया है. ये जमीनें अधिकारी से लेकर पुलिस अफसर, नेता से लेकर उनके परिवारवालों तक ने खरीदी है. अब इस मामले में योगी सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. पांच दिन के अंदर जांच की रिपोर्ट मांगी गई है.
अयोध्या जमीन खरीद मामले की होगी जांच - Ayodhya land purchase case will be investigated
राज्य सरकार ने इस संवेदनशील मामले की जांच विशेष सचिव राधेश्याम मिश्रा द्वारा करवाने का फैसला लिया है. उन्हें कहा गया है कि पांच दिन के अंदर विस्तृत जांच करनी है और रिपोर्ट सौंपनी है. अब चुनावी मौसम में राज्य सरकार की इस कार्रवाई को काफी अहम माना जा रहा है. विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि राम मंदिर के नाम पर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है. कई करीबियों का फायदा हो रहा है.
किसने खरीदा, कैसे खरीदा, जानिए हर डिटेल
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई बड़े अधिकारियों ने औने-पौने दाम पर जमीन खरीदी थी. इस लिस्ट में अयोध्या में कमिश्नर रहे एमपी अग्रवाल, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, आईपीएस दीपक कुमार, रिटायर्ड आईएएस उमा धर द्विवेदी, पीपीएस अरविंद चौरसिया द्वारा खरीदी गई जमीनें शामिल है.
गोसाईगंज से विधायक रहे विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी ने महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से 30 लाख रुपए में 2593 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. खब्बू तिवारी के बहनोई राजेश मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर बरहेटा गांव में 6320 वर्ग मीटर जमीन 47.40 लाख रुपए में खरीदी.
अयोध्या के एक अन्य विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने दिसंबर 2020 में सरयू नदी के पार गोंडा के महेशपुर में 4 करोड़ में 14860 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. वहीं इनके भतीजे तरुण मित्तल ने नवंबर 2019 में बरहटा माझा में 5174 वर्ग मीटर जमीन 1.15 करोड़ रुपए में खरीदी. अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य बलराम मौर्या ने अयोध्या मंदिर निर्माण स्थल से 5 किलोमीटर दूर गोंडा के महेशपुर गांव में ₹50लाख में 9375 वर्ग मीटर जमीन खरीदी.
अयोध्या में कमिश्नर रहे एमपी अग्रवाल के ससुर केपी अग्रवाल ने दिसंबर 2020 में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से 31 लाख रुपए में 2530 वर्ग मीटर जमीन बरेटा माझा गांव में खरीदी. वहीं अग्रवाल के बहनोई आनंद वर्धन ने महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से ही 15.50 लाख रुपए में 1260 वर्ग मीटर जमीन ली. अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने तो फैसला आने से 2 महीने पहले ही सितंबर 2019 में 30 लाख रुपए में 1480 वर्ग मीटर जमीन खरीद ली. वहीं जुलाई 2018 में ऋषिकेश उपाध्याय ने अयोध्या के काजीपुर चितवन में दान के रुप में 2530 वर्ग मीटर जमीन ली जिसकी कीमत एक करोड़ से अधिक बताई जाती है.
अयोध्या में तैनात रहे एडिशनल एसपी अरविंद चौरसिया के ससुर संतोष चौरसिया ने जून 2021 में रामपुर हलवारा गांव में ₹4लाख में 126.48 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. डीआईजी रहे दीपक कुमार के ससुराल पक्ष ने भी 1020 वर्ग मीटर जमीन महर्षि रामायण ट्रस्ट सहित 19 लाख ₹75000 में ली है. हालांकि दीपक कुमार जमीन के सौदा के वक्त अयोध्या में तैनात नहीं थे. इस संबंध में डीआईजी रेंज अलीगढ़ दीपक कुमार का कहना है कि उनका इस जमीन की खरीद-फरोख्त से कोई लेना देना नहीं है ना ही उनकी जानकारी में रहा है और ना ही उनकी तैनाती के वक्त इसका कोई सौदा हुआ.
चुनावी मौसम में विपक्ष को मिला बड़ा मुद्दा
अब इन लोगों में कुछ ने तो जमीन खरीदने की बात स्वीकार की है तो कुछ ने इससे साफ इनकार भी किया है. ऐसे में अब इस विवाद को शांत करने के लिए और सच्चाई पता लगाने के लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं.अब जांच के आदेश के बीच विपक्ष ने इसे फिर बड़ा मुद्दा बना दिया है. कांग्रेस की तरफ से सीधे पीएम मोदी से स्पष्टीकरण मागां जा रहा है. रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि अंधेर नगरी-चौपट राजा..अयोध्याजीवी में लूट पर प्रधानमंत्री मोदीजी मौन है, आदरणीय मोदी जी, इस खुली लूट पर अब आप कब बोलेंगे?
राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे को हिंदु और हिंदुत्ववादी वाली बहस से जोड़ दिया है. वे कहते हैं कि हिंदू सत्य के रास्ते पर चलता है. हिंदुत्ववादी धर्म की आड़ में लूटता है. वहीं आप नेता संजय सिंह ने कहा है कि जिस जमीन की जालसाज़ी में भाजपा के विधायक, मेयर, कमिश्नर, DIG, DM, ADM, SDM सब शामिल है, उसकी जांच आदित्यनाथ जी के अधिकारी नही कर सकते. सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में SIT गठित करके जांच कराई जाए और जालसाज़ों को जेल में डाला जाए
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