चमत्कारी है गोलासन बालाजी का ये मंदिर,दर्शनों के लिए उमड़ता है भक्तों का सैलाब - JALORE NEWS
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बड़े उत्साह के साथ मनाया हनुमान जन्मोत्सव - Hanuman Janmotsav celebrated with great enthusiasm
जालौर ( 17 अप्रेल 2022 ) साँचोर क्षेत्र के गोलासन गांव स्थित हनुमान मंदिर में पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से बनाया गया।मंदिर में सुबह छह बजे भगवान की जन्मोत्सव आरती हुई। मिठाई,फल, नमकीन आदि का भोग लगाया। हनुमान जी का आकर्षक शृंगार किया गया। जन्मोत्सव की आरती में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। नियमित दर्शनार्थियों के अलावा अन्य भक्त भी पहुंचे। सुबह से भक्तों के आगमन का सिलसिला चल रहा है। इससे पूर्व पूर्णिमा की संध्या को भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया।
जिसमें गायक कलाकार सरिता खारवाल,मोहित राठौड़,झांकी कलाकार लकी जटाधारी दिल्ली,भाटी म्यूजिक पाली,सुभाष पंडित पुर सांचौर ने अपने जादुई आवाज में भजनों की शानदार प्रस्तुति दी। वहीं शनिवार को सुबह मेले का आयोजन हुआ। जिसमें 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हनुमान जन्मोत्सव को लेकर पंडितों द्वारा हनुमान जी का पूजन एवं सुंदरकांड का आयोजन किया गया। जिसके बाद 551 किलो का रोट बनाकर हनुमान जी को भोग लगाया। बता दें कि गोलासन हनुमान मंदिर प्राचीन काल का बना हुआ है। जिसके कारण हर पूर्णिमा को यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है,लेकिन इस बार हनुमान जन्मोत्सव होने के कारण हर बार से ज्यादा लोगों की भीड़ एकत्रित हुई है।
551 किलो की बनाया भोग के लिए रोट
हनुमान मंदिर गोलासन में जन्मोत्सव को लेकर बड़े स्तर पर तैयारियां की गई। जिसमें भजन संध्या के अलावा 551 किलो का रोट बनाया गया। रोट बनाने में 7 डिब्बा घी,300 किलो गेहूं,15 किलो काजू15 किलो किशमिश ,500 इलायची व 150 किलो गुड़ का उपयोग किया गया।
गोलासन बालाजी की मान्यता:जमीन फाड़ प्रकट हुए,ग्वाले ने बताया ग्रामीणों को
सांचौर क्षेत्र के गोलासन ग्राम में स्थित प्राचीन विशाल हनुमानजी मंदिर उपखंड क्षेत्र ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों की जनता के आस्था का केन्द्र बना हुआ है। मंदिर में हर पूर्णिमा को मेला लगता है।
मंदिर करीब 700 वर्ष पुराना बताया जा रहा है। पुजारी रतनपुरी महाराज के अनुसार गोलासन में स्थित गोचर भूमि पर अत्यधिक जालों के वृक्ष होने से सुनसान था। एक दिन ग्वाला गायों व भेड़ बकरियों का चरा रहा था,इस दौरान साधु वेश में एक महात्मा प्रकट होकर ग्वाले के सामने आए। इस दौरान महात्मा ने कहा कि गोचर भूमि में कहीं पर आवाज सुनाई दे तब शांत रहना एवं किसी भी प्रकार की आवाज नहीं करनी यह कहकर कुछ समय के बाद महात्मा लुप्त हो गए,लेकिन कुछ देर बाद गोचर भूमि में जोर से गर्जना हुई,जिसपर चर रहे पशु डरकर इधर - उधर भागने लगे। चर रहे पशुओं को भागते देख ग्वाले ने पशुओं को ठहरने के लिए आवाज लगा दी। ग्वाले की आवाज सुनते ही गोचर भूमि में जोर से हो रही गर्जन बंद हो गई एवं गर्जना वाले स्थान पर जाकर देखा तो हनुमान जी की प्रतिमा बाहर आई हुई थी। बताया जा रहा है,कि ग्वाले द्वारा आवाज लगने की वजह से प्रतिमा पूरी जमीन से बाहर नहीं आई एवं आधे पैर आज भी जमीन के अंदर दबे है।
प्रतिमा के साथ कुई आई थी बाहर , जहां श्रद्धालु चढ़ाते है तेल सिंदूर
गोलासन गोचर भूमि में हनुमानजी की प्रतिमा के साथ - साथ उनके पैरों के आगे एक कुई भी जमीन से बाहर आई थी। कुई में अब श्रद्धालु दर्शन के दौरान तेल सिंदूर चढ़ाते है। पुजारी ने बताया कि कुई अत्यधिक गहरी है,जहां कई बार लोगों ने पता करने की कोशिश की गई थी,लेकिन उसके गहराई की सीमा अब तक पता नहीं चल पाया है। ग्रामीणों के सहयोग से 1984 में मंदिर निर्माण शुरू हुआ। 1999 प्राण प्रतिष्ठा हुई। बालाजी हनुमान मंदिर पर हनुमान अष्टमी,जयंती के अलावा अन्य दिनों में भक्तों का तांता लग रहता हैं। अति प्राचीन इस मंदिर में मंगलवार एवं पूर्णिमा को खासकर भक्तों को भीड़ रहती है। बताया जाता है मंदिर परिसर में मन्नत के धार्मिक आयोजन होते रहते हैं।
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