एशिया की प्रसिद्ध ग्रेनाइट नगरी जालोर ग्रेनाइट नगरी की, कब और किसने किया स्थापना जाने विस्तार से - JALORE NEWS
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एशिया की प्रसिद्ध ग्रेनाइट नगरी जालोर ग्रेनाइट नगरी की, कब और किसने किया स्थापना जाने विस्तार से - JALORE NEWS
जालोर ( 27 अक्टूबर 2022 ) आपने आज तक अनेक प्रकार के ग्रेनाइट उद्योग के संबंधित अनेक जानकारी मिली होगी परंतु आज हम आपको एक अनोखी जानकारी देंगे यहां जानकारी आपको किसी ने भी नहीं दिया होगा। आज हम आपको एक ऐसे जानकारी ब्लॉग के माध्यम से देना जा रहा है । जोकि आज तक ऐसा किसी ने भी ब्लॉग नहीं बनाया होगा । क्योंकि इसकी ग्रेनाइट उद्योग की स्थापना कब और किसने किया ।
यहां किसने भी नहीं बताया होगा आपकों । आज इस जालोर ब्लॉग के माध्यम से आपको विशेषताएं से जानकारी देंगे। जिसने आज जालोर री नहीं बल्कि राजस्थान में भी एक स्थान बना चुका है । साथ ही साथ में जबकि पूरे भारत में भी जालोर की एक पहचान बन गई आइए हम जानते हैं जालौर के बारे में विस्तार से जालौर ग्रेनाइट नगरी के बारे में।
जालौर राजस्थान राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है।यह राजस्थान की सुवर्ण नगरी और ग्रेनाइट सिटी से प्रसिद्ध है। यह शहर प्राचीनकाल में 'जाबालिपुर' के नाम से जाना जाता था। जालौर जिला मुख्यालय यहाँ स्थित है। लूनी नदी की उपनदी सुकरी के दक्षिण में स्थित जालौर राजस्थान का ऐतिहासिक जिला है। पहले बहुत बड़ी रियासतों मे एक थी। जालौर रियासत, चित्तौड़गढ़ रियासत के बाद मे अपना स्थान रखती थी। पश्चिमी राजस्थान मे प्रमुख रियासत थी।
राजस्थान के दक्षिणी छोर पर स्थित जालौर को ग्रेनाइट का शहर कहा जाता है. जालौर जिले के पश्चिम की तरफ बाड़मेर जिला है और पूर्व की तरफ सिरोही जिला तथा माउंट आबू की अरावली पर्वतमाला है. जालौर जिले के उत्तर में पाली जिला और जोधपुर जिला तथा दक्षिण में विशाल गुजरात का कच्छ का रण हैं.
जालौर जिला एक सूखा इलाका है. यहाँ ग्रेनाइट के अलावा कुछ अन्य उपयोगी खनिज भी पाये जाते हैं.इस लिंक में बताया गया है कि अरावली पर्वत शृंखलाओं के पहाड़ जालोर के लिए अमूल्य धरोहर के रूप में है. इन पहाड़ों से निकलने वाले ग्रेनाइट ने देश ही नहीं विदेश में भी जालौर को एल विशेष पहचान दी है. लगभग 1200 के आस पास की संख्या में ग्रेनाइट उत्पादक इकाइयों के कारण आज जालोर देश में ग्रेनाइट सिटी के नाम से जाना जाता है. इन पहाड़ों से निकलने वाले पत्थर की पूरे विश्व में मांग है. यहां के पहाड़ों में जिप्सम भी प्रचूर मात्रा में है. बाहरी राज्यों में व्यापार करने वाले यहां के लोगों ने पूरे विश्व में जिले का नाम किया है. ।
और जालोर पर एक कहावत भी बहुत प्रसिद्ध है हुआं है वहां यहां कहावत है कि बिकते तो पत्थर भी है बस बेचने वाला चाहिए. यह तथ्य जालोर की ग्रेनाइट इकाइयों के पत्थर को लेकर एकदम सटीक साबित हो रही है. देश के हर कोने तक पहुंच रखने वाला जालोर क्षेत्र की पहाडिय़ों का यह ग्रेनाइट अब चीन, यूएसए और दुबई , सहित कई देशों तक पहुंच गया है. इस ग्रेनाइट पत्थर का 2 क्यूबिक मीटर का बड़ा ब्लॉक करीब 20 लाख रुपए में बिकता है. सुनने में यह कीमत भले ही ज्यादा लगे, लेकिन यह हकीकत है. कांडला बंदरगाह के जरिए जब यह ब्लॉक चीन पहुंचता है तो उसकी कीमत करोड़ रुपए के पार की हो जाती है. ।
वहीं अब जालोर ग्रेनाइट उद्योग के लिए पत्थर देश के दो बड़े प्रोजेक्ट में जालोर का ग्रेनाइट लगाया जा रहा है पहला दिल्ली में बन रहे संसद के नवीन भवन और दूसरे अयोध्या के राम मंदिर के लिए जालोर के ग्रेनाइट का चयन किया गया है. हजारों टन माल अब दिल्ली और अयोध्या भेजा जा रहा है ऐसे में मंदी की मार झेल रहे जालोर के ग्रेनाइट उद्योग के लिए पत्थर बड़े प्रोजेक्ट में काम आ रहा है । अयोध्या में बन रहे भगवान श्री राम मंदिर निर्माण के लिये करीब 3 लाख वर्ग फुट ग्रेनाइट की लोडिंग भी शुरू हो चुकी है. जालोर का ग्रेनाइट अरब कंट्री, चाइना, इटली, इंग्लैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, टर्की और नेपाल तक जाता है. इनके अलावा बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई एयरपोर्ट में भी यहां का ग्रेनाइट जा रहा है ।
जालोर जिला मुख्यालय पर ग्रेनाइट की करीब 1300 इकाइयां है. यहां का ग्रेनाइट देश के साथ ही विदेश में अपनी पहचान कायम कर चुका है. अब सीधे मुद्दे पर आते हैं । जालौर में ग्रेनाइट उद्योग की नींव आज से 45 वर्ष पूर्व सरकार ने आर एस एम डी आई के जरिए तीन लीज के साथ शुरू की थी । इसके बाद वह वर्ष 1980 से 1981 में इसका व्यवसायीकरण किया था । और धीरे - धीरे वर्ष 1992 में जालौर में औद्योगिक क्षेत्र तृतीय चरण में वर्ष 1992 में शुरू हुआ था । शुरुआत सरकार ने अपने स्तर पर यहां तीन यूनिट लगाई थी ।
जोकि आज करीबन 1300 इकाइयां के आसपास पहुंच गई है ग्रेनाइट उघोग और वर्तमान में धीरे - धीरे और भी आगे बढ़ता नजर आ रहा है। वहीं हम अगर पत्थर और टाइल्स की बात करें तो जालौर में पहला डायमंड कटर मशीन 4 गुणा 6 तक की बनी थी इसमें इस साइज के पत्थर की टाइल्स काटी जाती थी इसके बाद इसके बड़ी ढाई गुणा आठ मशीन का निर्माण होना शुरू हो गया था । और अब पत्थर की टाइल्स ग्रेनाइट काटने का वर्तमान में बड़ी - बड़ी तकनीकी मशीन का निर्माण हो गया है। इलेक्ट्रॉनिक मशीन भी आ गई है।
ग्रेनाइट पत्थर निकलते के लिए पहले हाथों का उपयोग हुआ करता था परन्तु अब तकनीकी मशीन से पत्थर निकलते हैं। उस समय राजस्थान सरकार के केंद्रीय कृषि एवं पंचायतीराज मंत्री रहे तथा सन 1986-89 में केंद्रीय गृह मंत्री सरदार बूटासिंह के पद पर थें । और सबसे खास बात यह है कि बालू ही थे जिन्होंने वर्ष 1988 में पहली ग्रेनाइट इकाई जालोर में लगाई और इस उद्योग से अन्य लोगों को भी जुडऩे के लिए प्रेरित किया।
उन्हीं की मेहनत का नतीजा है कि आज जालोर जिले में हजारों की संख्या में ग्रेनाइट फैक्ट्रियां संचालित है। और पहला एक्सकैवेटर मशीन लाए थे ताकि उसका प्रयोग कर ग्रेनाइट की माइनिंग को नई ऊंचाइयों पर ले जाया सके। उनकी इसी दूरदर्शी सोच का परिणाम है कि जालोर समेत आसपास में ग्रेनाइट की सैकड़ों माइंस नजर आ रही है। वर्तमान में उस समय मैं सरदार बूटासिंह और नरेंद्र बालू के संबंध बेहद अजीज थे यही कारण था कि नरेंद्र बालू के प्रयास रंग लाए और जालोर औधोगिक क्षेत्र पनपा और जालोर आज ग्रेनाइट नगरी के नाम से भी जाना जाता है। उसका फायदा नरेंद्र बालू अग्रवाल को मिला था ।
जिसमें ग्रेनाइट एसोसिएशन के करीब बीस सालों तक अध्यक्ष पद पर बने रहें। उन्होंने ग्रेनाइट उद्योग को पनपाने में मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री से भी कई बार मुलाकात की और एक के बाद एक ग्रेनाइट उद्योग को और कैसे गति दी जा सके प्रयास किया था । इसलिए लगातार प्रयास किये आज उनके प्रयासों का यही नतीजा है कि जालोर को ग्रेनाइट नगरी के नाम से पुकारा जाता हैं । वहीं 2 जनवरी 2021को सरदार बूटा सिंह का भी निधन हो चुका है और उसके कुछ 6 महीने बाद में वहीं 4 जुन 2021 को नरेंद्र बालू अग्रवाल उसका साथी का भी निधन हो चुका है ।
दोनो के प्रयास किया था। और 1985 में शुरू हुए जालोर के ग्रेनाइट उद्योग में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं एक समय ऐसा भी आया जब उद्योग ठप होने के कगार पर पहुंच गया था. इकाइयां बंद होने वाली थी. कोरोना ने उद्योग को पूरी तरह चौपट कर दिया था. 50 हजार से अधिक मजदूरों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था । मजदूरी भी नहीं मिला रहा था। पर अब वर्तमान में फिर से धीरे धीरे अपने स्तर पर आते दिखाई दे रहा है ।
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