BHINMAL NEWS 120 गांवों के किसानों ने सिणधरा बांध से नदी में पानी छोड़ने की रखी मांग, दिया ज्ञापन
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बांध में मछलियों के ठेके किये तो किसान करेंगे विरोध - Farmers will protest if fish contracts are done in the dam
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 31 जुलाई 2023 ) BHINMAL NEWS बांडी नदी के बहाव क्षेत्र में आने वाले 120 गांवों के किसान प्रतिनिधियों ने कलेक्टर निशांत जैन को सिणधरा बांध से पानी छोड़ने को लेकर मांग पत्र सौंपा।
किसानों ने बांध से तत्काल पानी छोड़ने, बांध की जल वितरण कमेटी का पुनर्गठन करने और बांध में मछली पालन के ठेके नहीं करने की मांग रखी। किसानों ने चेताया कि सात दिन में मांगे नहीं मानी तो हज़ारों किसान आंदोलन का निर्णय कर कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेंगे।
बांडी सिणधरा बांध प्रभावित किसान संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर निशांत जैन से सामाजिक कार्यकर्ता श्रवणसिंह राठौड़ के नेतृत्व में मिलकर बांध से पानी छोड़ने के बारे में वार्ता की। राठौड़ के Targets कलेक्टर निशांत जैन ने सकारात्मक समाधान का आश्वासन दिया है ।सामाजिक कार्यकर्ता श्रवणसिंह राठौड़ ने बताया कि इस बार भरपूर बारिश हुई है। इस वजह से सिणधरा बांध पूरी तरह भर चुका है। बारिश से बांध का पानी गत 26 जुलाई को ओवरफ्लो होकर बांडी नदी में आया है। ऐसे में अब नदी में पानी होने की वजह से बांध से पानी छोड़े जाने पर ज्यादा गांवों को फायदा मिल सकेगा।
एक महीने से बारिश लेकिन नदी प्यासी
कलेक्टर को दिए ज्ञापन में बताया गया कि इस बांध की वजह से नदी का प्राकृतिक बहाव बन्द हो गया है । एक महीने लगातार बारिश होने से नदी का प्राकृतिक बहाव चालू होता तो 120 गांवों में इस बार भरपूर भूमिगत जल स्तर रिचार्ज होता। अब वो सारा पानी बांध में भरा हुआ है। ऐसे में तुरंत नदी के हक का पानी छोड़ा जाए।
नहर बनने में एक साल लगेगा, लेकिन फिर भी पानी पर पहरा जिला कलेक्टर से सामाजिक कार्यकर्ता श्रवणसिंह राठौड़ ने कहा कि इस बार नहरों की मरम्मत के नाम पर साढ़े 8 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ है। नहर की मरम्मत के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। श्रवणसिंह राठौड़ के मुताबिक नहर तैयार होने में कम से कम एक साल का समय लगना तय है। इस बार रबी के सीजन में नहर से सिंचाई होना असम्भव है। किसानों ने सरकार से मांग है कि पिछली बार की तरह नदी के हिस्से का सिर्फ 33 प्रतिशत पानी नदी में छोड़ने की बजाय इस बार 66 प्रतिशत पानी नदी में छोड़ने के निर्देश जारी करवाये। क्योंकि बांध का स्टोरेज पानी वाष्पीकरण होकर हर साल की तरह उड़ जाएगा। बांध में भरे इस अनमोल पानी पर 120 गांव में रहने वाले लाखों किसानों का भी हक है । इस अनमोल पानी से बहाव क्षेत्र के किसानों को वंचित रखना अमानवीयता और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है।
ये रहे ज्ञापन देते समय साथ
किसान प्रतिनिधि मंडल में पूर्व पंचायत समिति सदस्य हरदानसिंह चौहान, महिपालसिंह दासपां, रणजीतसिंह भागलसेफ्टा, वचनसिंह, जेरूपाराम सुथार, पुनमाराम भील, भेरसिंह, मालमसिंह, गुमानसिंह, खीमसिंह आदि मौजूद रहे।
सरकार से किसानों की प्रमुख मांगे
सिणधरा बांध से बांडी नदी में नहर वाले रास्ते से तुरंत पानी छोड़ा जाएं। निकासी का गेट छोटा होने से यहां से पानी कम ही आएगा। ऐसे में बांध के ऊपर से प्लास्टिक के 50 पाइप लगाकर उनसे सीधे नदी में पानी डाला जाए। पानी छोड़ने से पहले सिणधरा और थूर के बीच नदी में सम्पर्क रास्ते को ठीक करवाया जाए। सावन मास में लोगों की आस्था और बांध के मुख्य उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए बांध में मछली के ठेके नहीं हो। टेंडर किये गए तो किसान मजबूर होकर आंदोलन करेंगे। नहरों की मरम्मत के लिए स्वीकृत हुए 8.50 करोड़ रुपये की बजट राशि में से बांध से नहर में पानी निकासी के लिए बना रखे रास्ते को इस बार सीजन के बाद दुगुना चौड़ा किया जाये। यहां दो अलग अलग गेट बनाये जाए, जिससे भविष्य में नदी के हिस्से का 33 प्रतिशत पानी छोड़ने में आसानी रहे। बांडी सिणधरा बांध जल वितरण कमेटी का पुनर्गठन किया जाए।
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