Hail Gogaji Maharaj, Dantia (Sanchor), know who was Gogaji Aihwaji जय हो गोगाजी महाराज, दांतिया (सांचोर) , जानिये कौन थे गोगाजी ऐहवाणजी
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SANCHORE NEWS जय हो गोगाजी महाराज, दांतिया (सांचोर) , जानिये कौन थे गोगाजी ऐहवाणजी
सांचौर / Hail Gogaji Maharaj, Dantia (Sanchor), know who was Gogaji Aihwaji गोगाजी ऐहवाणजी का जन्म चंडीसा राव कुल के कलादी शाखा में हुआ चंडीसा राव कुल की कलादी शाखा मूलरूप से चौहान राजपूतों के कुल राव है l
गोगाजी का मूल नाम ऐहवाणजी था l
कवि वेणीचंद की पत्नी श्रीयादेवी की कोख से पृथूचंद (चंदबरदाई) का जन्म हुआl
पृथ्वीराज रासो के आदि समा छंद 92 पर लिखा हुआ है
"इक्क दीह उपज, इक्क दीह समायकम्"
पृथूचंद माँ चंडी ज्वालामुखी के उपासक थे माँ ने प्रसन्न होकर पृथूचंद को वरदान दिया तो चंदबरदाई कहलाये जैसा कि चंदबरदाई द्वारा कही गई स्तुति के अंत में कहा है "प्रगट अम्बिका मुख क्यो, मांग चंद वरदान"l
महाकवि चंदबरदाई के 12 पुत्रों में केहरी (केवलचंद) हुए तथा केवलचंद के वंशज अहलाणजी(भोजराजजी) हुएl भोजराज जी के पुत्र कालूजी (केशाजी) हुए कालूजी के तीन विवाह हुए जिनसे 8 पुत्र और 3 पुत्रियाँ हुई l
पुत्र - 1.गेहाजी, 2.वेलाजी, 3.रायमलजी,4.कडवाजी, 5.कितपालजी, 6.सातलजी,7 .पातलजी, 8.ऐहवाणजी (गोगाजी)
गोगाजी ने वि. सं. 1484 मे दांतिया गाँव में वीरगति प्राप्त की जहाँ आज भी इनका मंदिर हैl
इससे पहले गाँव दांतिया वरजांग जी चौहान (सांचोर शासक) द्वारा गेहाजी तथा वेलाजी को जागीरी मे मिल गया था l ( Hail Gogaji Maharaj, Dantia (Sanchor), know who was Gogaji Aihwaji)
चंडीसा राव कवि शंभू सिंह जी तथा बलवंत सिंह जी सुपुत्र पाबूदान जी द्वारा लिखित पुस्तक "पृथ्वीराज चहुंआण" अने पृष्ठ संख्या 39-40 के मुताबिक सालमसिंह (साल्हा) सांचोर नरेश के सहयोग से अलहणजी (भोजराज जी) ने वि.सं. 1442 की चैत्र सुदि 2 बीज बुधवार को क्या आदी सगती माँ हिंगलाज स्वरूपा का कलश लुवाणा ग्राम (गुजरात) में स्थापित किया तथा कुलदेवी के रूप में कुलेश्वर (कलेश हरणी) देवी के रूप में पूजा जाने लगा l आज भी चंडीसा राव कुल की कलादी गौत्र के सैकड़ों वंशज और समस्त चंडीसा राव समाज माँ के दरबार में प्रति वर्ष आसोज सुदि 13-14 तैरस- चवदश को दर्शन करने आते हैं
गोगाजी कौन था - who was gogaji
चंडीसा राव समाज के कलाधी शाखा के केवलजी के पुत्र एहवानजी शिव भक्त और धार्मिक थे परायण थे जिन्हें सेभारगढ़ के गोगाजी का रूप माना जाता था। विक्रम संवत 1484 के आसपास, जब वह गायों के झुंड की रक्षा के लिए पहुंचे, तो वे धिंगाना के दांतिया गांव में वीरगति को प्राप्त हुए और वहां गोगाजी के रूप में उनकी पूजा की जाने लगी। विक्रम संवत 1484 के जेठ सूद-पुणम के दिन साँचोर नरेश पताजी के कुँवर चौहान नरेश वरजंगजी ने दन्तिया गाँव में गोगाजी की स्थापना की और एक मंदिर बनवाया और एहवानजी के परिवार को सात गाँव दान में दिए।
સાત ગામ સાસણ પાસાવત પાખરીયા
દોયે મરગ દંત દ્રભ માળવ સુ ભરીયા
પીરો જા પત્રપાલ પસ સે પઢુવા સોનેરી
દિયો ગામ દાંતિયા સદા દાપો સાસોરી
સંવત પનર પનોતરે થર કર દાપો થાપીયો
કવ ગેઓ કહે વરજાંગને કવિયા દ્વાલદર કપીયો
एहवानजी आज भी कालधी वंश में गोगाजी के रूप में पूजनीय हैं। और श्रद्धा से विश्वास करने पर आपके सारे संकट दूर हो जाते हैं। आज वाक् दंतिया तीन मंदिर तैयार हो रहे हैं। जो गेलाजी और वेलाजी कलाधी के परिवार का निर्माण करता है। भव्य अधिवेशन होने जा रहे हैं। गोगा महाराज का एक बड़ा निवास स्थान है जो 125 गाँवों में प्रसिद्ध है। वर्तमान में कलेहर लुवाना में गोगा महाराज की प्रतिष्ठा स्थापित हो चुकी है। जहां शाश्वत ज्योत रहती है।
गोगाजी का जन्म कहां हुआ था
जय हो गोगाजी महाराज, दांतिया(सांचोर) Hail Gogaji Maharaj, Dantia (Sanchor), know who was Gogaji Aihwaji
महाकवि चंदबरदाई के वंशज थे गोगाजी ऐहवाणजी
इनका जन्म चंडीसा राव कुल के कलादी शाखा में हुआ चंडीसा राव कुल की कलादी शाखा मूलरूप से चौहान राजपूतों के राव है l
गोगाजी का मूल नाम ऐहवाणजी था l
कवि वेणीचंद की पत्नी श्रीयादेवी की कोख से पृथूचंद (चंदबरदाई) का जन्म हुआl
पृथ्वीराज रासो के आदि समा छंद 92 पर लिखा हुआ है
"इक्क दीह उपज,
इक्क दीह समायकम्"
पृथूचंद माँ चंडी ज्वालामुखी के उपासक थे माँ ने प्रसन्न होकर पृथूचंद को वरदान दिया तो चंदबरदाई कहलाये जैसा कि चंदबरदाई द्वारा कही गई स्तुति के अंत में कहा है "प्रगट अम्बिका मुख क्यो, मांग चंद वरदान"l
महाकवि चंदबरदाई के 12 पुत्रों में केहरी (केवलचंद) हुए तथा केवलचंद के वंशज अहलाणजी(भोजराजजी) हुएl भोजराज जी के पुत्र कालूजी (केशाजी) हुए कालूजी के तीन विवाह हुए जिनसे 8 पुत्र और 3 पुत्रियाँ हुई l
पुत्र - 1.गेहाजी, 2.वेलाजी, 3.रायमलजी,4.कडवाजी, 5.कितपालजी, 6.सातलजी,7 .पातलजी, 8.ऐहवाणजी (गोगाजी)
गोगाजी ने वि. सं. 1484 मे दांतिया गाँव में वीरगति प्राप्त की जहाँ आज भी इनका मंदिर हैl
इससे पहले गाँव दांतिया वरजांग जी चौहान (सांचोर शासक) द्वारा गेहाजी तथा वेलाजी को जागीरी मे मिल गया था l
चंडीसा राव कवि शंभू सिंह जी तथा बलवंत सिंह जी सुपुत्र पाबूदान जी द्वारा लिखित पुस्तक "पृथ्वीराज चहुंआण" अने पृष्ठ संख्या 39-40 के मुताबिक सालमसिंह (साल्हा) सांचोर नरेश के सहयोग से अलहणजी (भोजराज जी) ने वि.सं. 1442 की चैत्र सुदि 2 बीज बुधवार को क्या आदी सगती माँ हिंगलाज स्वरूपा का कलश लुवाणा ग्राम (गुजरात) में स्थापित किया तथा कुलदेवी के रूप में कुलेश्वर (कलेश हरणी) देवी के रूप में पूजा जाने लगा l आज भी चंडीसा राव कुल की कलादी गौत्र के सैकड़ों वंशज और समस्त चंडीसा राव समाज माँ के दरबार में प्रति वर्ष आसोज सुदि 13-14 तैरस- चवदश को दर्शन करने आते हैं ।
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