Sureshwar Mahadev history AAHORE सुरेश्वर महादेव आस्था का केन्द्र जाने इतिहास
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Sureshwar Mahadev history AAHORE सुरेश्वर महादेव आस्था का केन्द्र जाने इतिहास
जालोर / आहोर ( 6 अगस्त 2023 ) Center of faith Sureshwar Mahadev ऐसराणा पर्वत स्थित ख्याति प्राप्त प्राचीन सुरेश्वर महादेव तीर्थ स्थल क्षेत्र समेत जिलेभर में लोक आस्था का केन्द्र है। पर्वत की पवित्र गुफा में विराजित सुरेश्वर महादेव के दर्शन कर मन्नत मांगते हैं। इनकी स्थापना के पीछे का दृष्टांत भी अलग ही है। कहा जाता है कि करीब ७०० वर्ष पूर्व यहां सुरेश्वर महादेव की स्थापना हुई थी। तब से लेकर आज तक यह मंदिर एक तपस्थली तथा पावन रमणीक स्थल के रूप में शोभायमान है। जन श्रुति के अनुसार उस समय सामुजा गांव के ठाकुर सूरसिंह उदावत शिकार के शौकीन थे। एक दिन सामुजा के पास जंगल में शिकार के वक्त एक भारी भरकम देखा तथा उसका पीछा करने लगे। हाथ में भाला लिए सूरसिंह उसका पीछा करते रहे। मान्यता के अनुसार वह '' महादेव का अवतार था। अपना पीछा करते हुए ठाकुर को छकाते हुए वह सामुजा से गोदन तक जा पहुंचा, परंतु ठाकुर के हाथ नहीं आया। गोदन में विश्राम करने के बाद ठाकुर पुन: के पीछे दौड़े, लेकिन वह गोदन से भागली होता हुआ ऐसराणा पर्वत पर पहुंचा तथा ऊपर चढऩे लगा। ठाकुर ने भी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने भी घोड़े समेत पहाड़ पर चढाई कर का पीछा जारी रखा। चमत्कारिक लंबे दांत वाला वह हष्ट-पुष्ट ऊपर जाकर एक गुफा में घुस गया। ठाकुर भी पीछा करते-करते गुफा के पास पहुंचे। ठाकुर सूरसिंह जब गुफा के अन्दर पहुंचे, लेकिन नहीं दिखा। तभी बालक के रूप में भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन दिए तथा कहा कि तो अब यहां सदा-सदा के लिए सुरेश्वर महादेव के रूप में स्थापित हो चुका है। तुम भी समस्त प्रजाजनों के साथ महादेव की आराधना व भक्ति करो। साक्षात महादेव का आदेश सुनकर ठाकुर सूरसिंह ने तत्काल ही शिकार का शौक छोडऩे का संकल्प ले लिया। उन्होंने उसी स्थान पर सुरेश्वर महादेव की प्रतिष्ठा की तथा भक्तिरस में डूबे हुए पुन: सामुजा लौटे।
शिकार नहीं करने का लिया संकल्प
वन्य जीवों के शिकार नहीं करने का संकल्प कर चुके ठाकुर ने वहां सुरेश्वर महादेव मंदिर भी स्थापित किया तथा उनकी आराधना जारी रखी। आज ऐसराणा पर्वत स्थित सुरेश्वर महादेव मंदिर ऐतिहासक तीर्थ स्थल बन चुका है। वर्तमान में सुरेश्वर महादेव मठ के महंत पर्बतगिरी महाराज है। भक्तों का मानना है कि जो भी सुरेश्वर महादेव से सच्चे मन से कामना करता है, उनकी इच्छा अवश्य पूर्ण होती है।
सावन में चल रहा रूद्राभिषेक
सुरेश्वर महादेव मंदिर में इन दिनों श्रावण मास के दौरान प्रतिदिन महंत पर्बतगिरी महाराज के सान्निध्य में विद्वान ब्राह्मणों की ओर से वेद मंत्रों के साथ भगवान शिव का रूद्राभिषेक तथा पूजा अर्चना की जा रही है। कस्बे समेत क्षेत्र से प्रतिदिन अल सुबह बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचकर भोलेबाबा की आराधना कर रहे हंै। श्रद्धालु दिनेश प्रजापत, प्रवीण प्रजापत, कुंदन बोराणा, अशोक माली, भवानीसिंह ने बताया कि श्रद्घालु करीब एक किलोमीटर लंबी चढ़ाई के बाद भी सुरेश्वर महादेव के दर्शन कर थकान उतर जाती है। शिव की आराधना से ेइच्छा अवश्य पूर्ण होती है।
भक्तों का रैला...
देवों के देव महादेव की महिमा अपरम्पार है। सच्चे मन से की गई प्रार्थना भोले बाबा जरूर सुनते है। मंदिर में वर्षभर दर्शनों हेतु शिवभक्तों का रैला लगा रहता है।
-महंत महाराज
भक्ति का विशेष महत्व...
भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना व पूजा अर्चना करने से भोले बाबा की अनुकंपा प्राप्त होती है। भगवान शिव भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते है।
-संत महाराज
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Fifth Sawan Somwar 2023: सबसे अलग है सावन का पांचवा सोमवार,
Fifth Sawan Somwar 2023 Kab Hai: अधिक मास की वजह से इस बार सावन का महीना 59 दिनों का है और इस माह में कुल 8 सोमवार भी पड़ रहे हैं। इस बार सावन के सभी सोमवार बहुत खास माने जा रहे हैं, क्योंकि सावन के सभी सोमवार पर एक से बढ़कर एक खास संयोग बन रहे हैं। अब तक सावन के 4 सोमवार बीत चुके हैं और पांचवा सोमवार 07 अगस्त को है। सावन के पांचवे सोमवार पर रवि योग बन रहा है, जो सुबह से लेकर रात तक रहेगा। लेकिन इस दिन सुबह से ही भद्रा भी लग रही है, जो शाम तक रहेगी। हालांकि यह स्वर्ग की भद्रा होगी इसलिए इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर नहीं होगा। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन के पांचवें सोमवार पर शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...
सावन का पांचवा सोमवार
07 अगस्त को सावन का पांचवा सोमवार है। सावन के पांचवें सोमवार पर अधिक मास की सप्तमी तिथि पड़ रही है। वहीं इस दिन अश्विनी नक्षत्र सुबह से लेकर देर रात 01 बजकर 16 मिनट तक है।
पांचवां सावन सोमवार पर शुभ योग
सावन के पांचवें सोमवार पर रवि योग और शूल योग बन रहा है। रवि योग में शुभ कार्य, पूजा आदि करने से मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी और धन में वृद्धि होती है।
रवि योग - सुबह 05 बजकर 46 मिनट से अगले दिन प्रात: 01 बजकर 16 मिनट तक
शूल योग - 06 को अगस्त 2023, रात 08 बजकर 27 मिनट से 07 अगस्त को शाम 06 बजकर 17 मिनट तक
शिव पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
पांचवे सावन सोमवार के दिन शिव पूजा के लिए दिन भर शुभ मुहूर्त है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक है। वहीं ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 21 मिनट से सुबह 05 बजकर 03 मिनट तक है।
भद्रा और राहुकाल
सावन के पांचवें सोमवार पर राहु काल सुबह 07 बजकर 26 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक है। वहीं भद्रा का समय सुबह 05 बजकर 46 मिनट से शाम 04 बजकर 41 मिनट तक है।
क्या है सावन के महीने का महत्व (Significance of Sawan Maas)
माना जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. अगर इस महीने में उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाए, तो शिव जी को बहुत जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है. शिव जी के तमाम भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए सावनभर उनकी विशेष पूजा करते हैं.
क्यों शिव को प्रिय है ये महीना (Why is Shravan month dear to Lord Shiva)
कहा जाता है कि दक्ष पुत्री सती ने जब अपने प्राणों को त्याग दिया था, तो महादेव दुख में इतने डूब गए थे कि घोर तप में लीन हो गए थे. तब माता सती से पर्वतराज हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया और महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया. उनके तप से प्रसन्न होकर महादेव ने उनकी मनोकामना को पूरा किया और इसके बाद ही महाशिवरात्रि पर उनका माता पार्वती के साथ विवाह हुआ. इस तरह ये महीना शिवजी और माता पार्वती के मिलन का महीना माना जाता है. इसलिए ये महीना भगवान शिव और माता गौरी, दोनों को प्रिय है.
JALORE NEWS
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