Jalore Gupteshwar Mahadev Temple जालोर गुप्तेश्वर महादेव मंदिर नाम कैसे पडा़ जाने पीछे का रहस्य, पहाड़ों में बसा यहाँ मंदिर
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Jalore Gupteshwar Mahadev Temple जालोर गुप्तेश्वर महादेव मंदिर नाम कैसे पडा़ जाने पीछे का रहस्य, पहाड़ों में बसा यहाँ मंदिर
जालौर ( 27 अगस्त 2023 ) जालौर शहर के चारों और पहाड़ों से गिरा हुआ है । और सबसे खास बात यहाँ है कि इस पहाड़ीयों को स्वर्णगिरी के नाम से पहचान जाता है । और यहां पर पहाड़ियों के अंदर एक मंदिर का निर्माण किया हुआ है जिसका नाम गुप्तेश्वर महादेव जी रखा गया है। और सबसे खास बात यहाँ है कि पूरे श्रावण महिने में यहां से एक बलपत्र का वृक्ष पेड़ लगाया हुआ है जोकि बलपत्र तोड़कर महादेव जी की मूर्ति पर चढ़ाए जाता हैं। और यहाँ पर बलपत्र महादेव जी को बहुत ही प्रिय होने के कारण चढाया जाता है। इसके पास में ही एक पेड़ स्थापित है इस मंदिर की जानकारी किसी के पास में उपलब्ध नहीं है यहाँ मंदिर कब स्थापित हुआ था । कब हुआ था। परंतु क्योंकि किया किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं होने के कारण और इस मंदिर पर किसी भी प्रकार से कोई नाम दर्ज नहीं है और नहीं यहां पर किसी प्रकार का यहाँ पर किसी तरह का इतिहास नहीं लिखा हुआ है और यहां कोई पर देखने पर भी इतिहास नजर नहीं आता है। इसलिए इसको सभी गुप्तेश्वर महादेव के नाम से पहचान है।
इनका कहना है कि
यहाँ के पुजारी का कहना है कि मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिरों में से एक है और वही इस मंदिर की किसी को भी जानकारी नहीं होने के कारण इसका नाम गुप्तश्वेर महादेव जी रखा गया है और वही यहाँ मंदिर राजा महाराजाओं के समय का स्थापित है और इसके जानकारी ही गुप्त रखी गई है। जिसके कारण से आज भी इसको वहाँ गुप्तेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है और मंदिर परिसर में महादेव जी और पार्वती का साथ में मुर्तियों मंदिर में स्थापित है और वही पास में एक हनुमान जी का मंदिर भी बना हुआ है । चंद्र पहाड़ों के बीच में बना हुआ है जिसके कारण से किसी प्रकार की कोई जानकारी दर्ज नहीं है फिलहाल इस मंदिर का निर्माण कुछ वर्षों पहले श्री श्री 1008 पीर शांतिनाथ जी महाराज करवाया था । और गुप्तेश्वर महादेव मन्दिर कि प्रतिष्ठा करवाया गया था ।
फिलहाल इसकी जानकारी किसी के पास नहीं होने से इसको आज भी लोग गुप्तेश्वर के नाम से जाना जाता है। यहाँ मंदिर 1000 फिट की ऊँचाई पर स्थित है। और यहाँ पर पहुँचने के लिए सीधे के माध्यम से रास्ते होकर यहाँ पर पहुँच सकते हैं।
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चारों तरफ पहाड़़ - पहाड़ नज़र आएगें यहां पर पहुंचने पर जालोर की प्राकृतिक एवं सौंदर्यता को मन मोह देता है । यहां का वातावरण भी शांत दिखाई देता है। और यहाँ पर पहुचने के लिए सबसे पहले नया बस स्टैंड पर से सिरे मंदिर रोड़ पर नागणेची मंदिर के पास से होकर एक पहाड़ों की ऊंचाइयों पर रास्ते जाता है वहाँ सीधे कलकाजी माता मंदिर के पास होकर यहाँ पर पहुंच जाएगा।
और यहाँ पर प्रत्येक श्रावण सोमवार को मैला लगता है । जिसे श्रद्धालुओ यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं । यहाँ श्रद्धालुओं का केंद्र बना हुआ है। और यहाँ पर आकर मनोकामना मांगते हैं जिसे यहाँ पर मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
Sawan Last Somwar Vrat 2023: सावन का आखिरी सोमवार कल, महादेव को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा
Sawan Last Somwar Vrat 2023: देवों के देव महादेव का प्रिय महीना सावन अब समाप्त होने वाला है। इस साल 4 जुलाई से शुरू हुआ सावन माह 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। अधिक मास के चलते इस बार सावन दो माह का था, इसलिए इस माह में 8 सोमवार का संयोग भी बना था। वहीं सावन का आठवां और आखिरी सोमवार 28 अगस्त 2023 को है। सावन माह के प्रत्येक सोमवार शिव भक्तों के लिए बेहद खास माने जाते हैं। इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं और विधि पूर्वक पूजा करते हैं। मान्यता है की सावन के सोमवार का व्रत रखने और पूजा करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। ऐसे में महादेव को प्रसन्न करने के लिए भक्तों के पास सिर्फ एक सोमवार बचा हुआ है। इसलिए इस दिन आपको विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए। आइए जानते हैं सावन के आखिरी सोमवार पर पूजा विधि के बारे में...
आखिरी सावन सोमवार 2023
इस साल सावन का 8वां और आखिरी सोमवार व्रत 28 अगस्त को है। इस दिन खास संयोग बन रहे हैं। सावन के आखिरी सोमवार पर सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण होगा। साथ ही इसी दिन सोम प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है।
आठवां सावन सोमवार 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 28 अगस्त को शाम 06 बजकर 22 मिनट तक सावन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। इसके बाद त्रयोदशी तिथि की शुरुआत हो जाएगी। ऐसे में आप सुबह सावन सोमवार व्रत की पूजा के साथ ही शाम को प्रदोष व्रत की पूजा भी कर सकते हैं। इस दिन सुबह पूजा का मुहूर्त 09 बजकर 09 से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक है। इसके बाद प्रदोष काल में पूजा का मुहूर्त शाम 06 बजकर 48 मिनट से रात 09 बजकर 02 तक है।
सावन के आखिरी सोमवार पर ऐसे करें महादेव की पूजा
सावन के आखिरी सोमवार पर सुबह स्नान के बाद व्रत और शिवजी की पूजा का संकल्प लें। सुबह शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर में जाकर या घर ही शिवलिंग की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करें।
फिर गंगाजल या दूध से शिवजी का अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव शम्भू को को चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग की पत्तियां, शमी के पत्ते, धतूरा, भस्म और फूलों की माला अर्पित करें।
शिव जी शहद, फल, मिठाई, शक्कर, धूप-दीप अर्पित करें। फिर शिव चालीसा का पाठ और सोमवार व्रत कथा का पाठ करें। आखिर में शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक जलाएं और भोलेनाथ की आरती करें।
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