JALORE NEWS धर्म का पैसा शुद्ध रूप से धार्मिक कार्यों में ही खर्च हो-जैनाचार्य
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JALORE NEWS धर्म का पैसा शुद्ध रूप से धार्मिक कार्यों में ही खर्च हो-जैनाचार्य
जालौर ( 30 अगस्त 2023 ) JALORE NEWS नंदीश्वर जैन तीर्थ में चल रहे आध्यात्मिक चातुर्मास के तहत बुधवार को धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री हार्दिक रत्न सुरीश्वर जी ने वर्तमान समय में धार्मिक सामाजिक संस्थाओं में बढ़ रहे व्यर्थ के खर्चों ट्रस्टीयो के कार्य पर चिंता जताई।
आध्यात्मिक चातुर्मास के मीडिया संयोजक हीराचंद भंडारी ने बताया कि आचार्य श्री ने कहा कि हर धार्मिक संस्थाओं में लोग श्रद्धावश ट्रस्ट मंडल पर विश्वास कर दान करते हैं। अपने मेहनत की कमाई भैंट करते हैं। परंतु वह पैसा किस मद पर किस तरह खर्च किया जा रहा है ।उसका कोई उचित हिसाब नहीं रखा जाता। कुछ तथाकथित जिम्मेदार लोग अपनी मर्जी के मुताबिक भोले-भाले आस्थावान लोगों के खून पसीने की कमाई को व्यर्थ के खर्चों में उड़ाते हैं। कई बार तो इन संस्थाओं से जुड़े लोग पैसा हड़प भी जाते हैं।इस तरह के व्यर्थ खर्चे ट्रस्टी गणों को स्वयं वहन करने चाहिए।किंतु अंत में इन लोगों के पाप कर्मों का नतीजा उन्हें भुगतना ही होता है।
काबिल व काम करने वाले ही ट्रस्टी बनने चाहिए नाम पट्टीका पर नाम लिखवाने वाले न होना चाहिए
आचार्य श्री ने कहा कि इन संस्थानों पर योग्य और काबिल लोगों को ही निस्वार्थ भाव से पद पर रहना चाहिए। आमतौर पर होता यह हैं कि किसी संगठन या संस्था की जिम्मेदार पद पर वर्षों तक ऐसे व्यक्ति डटे रहते हैं जिनके पास ना तो समय होता है और ना ही योग्यता। ऐसे लोगों को आत्म अवलोकन करते हुए अपना निर्णय लेना चाहिए। ट्रस्टी बनने के लिए सब उतावले रहते हैं।मगर काम के समय कोई कोई ही आगे आता है।ऐसे व्यक्तियों को चाहिए कि वह किसी दूसरे सेवाभावी सदस्यों को अवसर दें।
ताकि हर संस्था प्रगति और विकास कर सकें। कार्य को गति मिल सके। वर्तमान समय में धार्मिक आयोजनों के नाम पर हो रहे प्रदर्शन और दिखावे की संस्कृति को आचार्य श्री ने समाज के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि ज्ञान प्रवचन आयोजन मे सामूहिक भोज के आयोजन की प्रासंगिकता समझ से परे हैं। लोगों का आकर्षण ज्ञान श्रवण की बजाय भोजन मंडप की और ज्यादा रहता है आज की धर्मसभा में मीडिया प्रभारी हीराचंद भण्डारी, श्री त्रिस्तुतिक जैन संघ जालोर के अध्यक्ष कालुराज मेहता, पुर्व मीडिया प्रभारी नेमीचद पारख, भैरूमल सेठ, गोतम मेहता, ललीत भण्डारी , शान्तिलाल भण्डारी, मांगीलाल पारख, गणपत मेहता, अरविन्द गुरूजी , संगीतकार तेजसिह राठोड़, लीला भण्डारी , रिकु भण्डारी , डिम्पल देवासी,मंधु भण्डारी , रिषा श्री श्रीमाल, लता छत्रगोता, खुश्बु मेहता, धनरूप मेहता सहित सैकड़ों श्रावक श्राविकाएँ मौजूद थे।
सभा को संबोधित करते हुए मुनिराज श्री ज्ञान कलश विजय जी महाराज साहब ने कहा कि क्रोध का मूल अभिमान होता है। हम सभी क्रोध पर काबू पाने की कोशिश करते हैं। हम सभी क्रोध को जीतना चाहते हैं पर क्रोध पर हमारा नियंत्रण नहीं हो पाता है। कुछ भी कई गुना भयंकर अगर कोई है तो वह अभिमान है। इसलिए हमें अभिमान को छोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि धन्ना अणगार जैसा तप आज भी हमारे लिए अनुमोदनीय है ।
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