JALORE NEWS जयणा का पालन जैन धर्म का मूल -गणिवर्य ज्ञान रत्न
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JALORE NEWS जयणा का पालन जैन धर्म का मूल -गणिवर्य ज्ञान रत्न
जालोर ( 26 सितम्बर 2023 ) JALORE NEWS नंदीश्वर द्वीप जैन तीर्थ में भंडारी परिवार की ओर से आयोजित आध्यात्मिक चातुर्मास के तहत मंगलवार को आयोजित प्रवचन माला के अंतर्गत गणिवर्य श्री ज्ञान रत्न विजय जी ने जयणा पालन को जैन धर्म का मूल बताया।
आध्यात्मिक चातुर्मास के मीडिया संयोजक हीराचंद भंडारी ने बताया कि गणिवर्य श्री ज्ञान रत्न विजय जी जयणा(जीवदया पालन) को जैन धर्म का प्राण तत्व बताते हुए कहा कि पहले हमारे जीवन शैली ऐसी थी कि जयणा का पालन स्वत: ही हो जाता था। लोग छोटी-छोटी बातों में भी जयणा का ध्यान रखते थे। हम दिन में दो-तीन बार पानी छानकर पीते थे। परंतु आज ऐसा देखने को नहीं मिलता। आजकल हमारी जीवन शैली ऐसी बन गई है कि जीव दया का पालन बहुत कम हो पाता है। एक सच्चे श्रावक की पहचान यह होती है कि वह हर कार्य में जयणा का ध्यान रखें। हमें अपने दैनिक दिनचर्या के दौरान छोटी-छोटी बातों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। हमारी वजह से कोई जीव हिंसा नहीं हो।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनिराज श्री ज्ञान कलश विजय जी महाराज साहब ने मंत्र शिरोमणि नवकार महामंत्र के महात्म्य को समझाया। पद्मरुचि सेठ एवं एक बैल की कथा के माध्यम से समझाया कि त्रियंच गति के एक जीव को अंतिम समय में नवकार महामंत्र श्रवण करवाने से उसका कल्याण हो जाता है। इस महामंत्र की महिमा अनंत है। अनंता-अनंत जीव नवकार महामंत्र का स्मरण करके भवगति से पार उतर गए। नवकार महामंत्र भव से पार लगाने वाला है। जीवन में उद्धार करने वाला है। ज्ञानी भगवंतों ने नवकार महामंत्र को चौदह पूर्व का सार बताया है। हमें नवकार महामंत्र का स्मरण हर रोज करना चाहिए।
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