JALORE NEWS सभी सुखों को नष्ट कर देती है ईर्ष्या-गणिवर्य ज्ञान रत्न
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JALORE NEWS सभी सुखों को नष्ट कर देती है ईर्ष्या-गणिवर्य ज्ञान रत्न
जालोर ( 27 सितम्बर 2023 ) JALORE NEWS लोभ यदि सर्व गुणों को नष्ट करता है तो ईर्ष्या सभी सुखों को नष्ट करने वाली होती है। नंदीश्वर द्वीप जैन तीर्थ में भंडारी परिवार द्वारा आयोजित आध्यात्मिक चातुर्मास के तहत बुधवार को धर्म सभा को संबोधित करते हुए गणिवर्य श्री ज्ञान रत्न विजय जी महाराज ने ये बात कही।
चातुर्मास के मीडिया संयोजक हीराचंद भंडारी के मुताबिक गणिवर्य ने कहा कि आजकल लोग अपने दुख से नहीं बल्कि औरों के सुख से दुखी होते हैं। एक गरीब अपने दुख से दुखी होता है। फिर भी वह चैन की नींद सोता है। क्योंकि उसके जीवन में संतोष है। हमें अपने जीवन की तुलना किसी और से नहीं करनी चाहिए। औरों के जीवन को देखकर और उनसे तुलना करने पर हम अपने जीवन का आनंद नहीं ले पाते और सुख -चैन खो देते हैं। कई बार हम दूसरों की समृद्धि देखकर उसकी तुलना में खुद को कमत्तर आंकने लगते हैं। और यहीं से दुख की शुरुआत होती है। यह सब ईर्ष्या भाव का परिणाम होता है। ईर्ष्या मनुष्य का एक ऐसा मनोविकार है ।जो व्यक्ति को चैन से जीने नहीं देता। ईर्ष्या ग्रस्त व्यक्ति को अपने जीवन में अभाव ही अभाव नजर आएंगे। उसे अपने जीवन में कमी ही दिखेगी। आजकल हमारे जीवन में इस ईर्ष्या के साथ दिखावा भी जुड़ गया है और इस दिखावे को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने नई धार दी है। हम अपने आसपास के लोगों को दिखाने के लिए बहुत बेचैन हो जाते हैं। हम दिखावे के चक्कर में और खुद को अमीर दिखाने के लिए बड़ी से बड़ी पूंजी खर्च कर देते हैं। जो वास्तव में नहीं है हम वैसा व्यवहार करने लगते हैं। कई बार तो लोग सिर्फ दिखावे के लिए ही विदेश यात्राएं करते हैं।जबकि सत्य यह है कि यह दिखावा एकमात्र छलावा है। हमें दिखावे से दूर रहकर यथार्थ जीवन जीना चाहिए।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनिराज श्री ज्ञान कलश विजय जी ने कहा कि मंत्र शिरोमणि नवकार महामंत्र एक अद्भुत मंत्र है। इस मंत्र की अलौकिक शक्ति और अचिंत्य महिमा है। जो मनुष्य नौ लाख बार इस महामंत्र का जाप करें तो उसकी गति सुधर जाती है। जीवन संवर जाता है। जब भी हम नवकार मंत्र का जाप करें तो अक्षर शुद्धि का विशेष ध्यान रखना चाहिए यानी एक भी अक्षर कम या ज्यादा नहीं हो। क्योंकि नवकार मंत्र के एक-एक अक्षर का अपना महत्व है। नवकार महामंत्र का उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए।नवकार मंत्र के स्मरण से अनंत- अनंत जीव भाव से पार हो गए। नवकार महामंत्र के स्मरण के समय क्रिया की भी शुद्धि होनी चाहिए।
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