इस बार शारदीय नवरात्र में गज पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए पूरे साल क्या रहेगा फल
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इस बार शारदीय नवरात्र में गज पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए पूरे साल क्या रहेगा फल
जालोर ( 30 सितम्बर 2023 ) शारदीय नवरात्र इस साल 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन के है। वहीं नवरात्र का समापन 24 अक्टूबर को विजयादशमी पर होगा। इस बार मां दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन 'गज' (हाथी ) पर है, जो अच्छी बारिश, खुशहाली और समृद्धि का संकेत है। सुवर्षा किसानों के साथ-साथ देश में समृद्धि लाने में अहम योगदान करेगी। परम शक्ति मां दुर्गा की आराधना के लिए वर्ष में आने वाले चार नवरात्र को सर्वोत्तम समय माना जाता हैं। इसमें भी शारदीय नवरात्र का सबसे ज्यादा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने भी शारदीय नवरात्र में देवी को प्रसन्न कर विजयदशमी के दिन रावण का संहार किया था। श्रद्धालु आज भी श्रद्धा से शक्ति की प्रतिक मां दुर्गा की नवरात्र में उपासना कर आत्म बल प्राप्त करते हैं।
क्यों मनाई जाती है शारदीय नवरात्रि 2023
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार शक्ति की अधिष्ठाता देवी माता दुर्गा ने महिषासुर का वध करके आसुरी शक्तियों का विनाश किया था और सत्कर्मों के प्रणेता की रक्षा की थी. जिस समय मां दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया. वह समय आश्विन मास का था. इसलिए आश्विन महीने का यह नौ दिन शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया. पंचांग के अनुसार, आश्विन मास में शरद ऋतु का भी प्रारंभ होता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. शारदीय नवरात्रि के 10वें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है.
नवरात्रि मनाये जानें का इतिहास
नवरात्रि मनाये जाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं. जिसमें एक कथा के अनुसार, माता भगवती देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन तक युद्ध किया उसके बाद नवमी की रात्रि को उसका वध किया. उस समय से देवी माता को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है. तभी से मां दुर्गा की शक्ति को समर्पित नवरात्रि का व्रत करते हुए इनके 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है.
एक दूसरी कथा के अनुसार, भगवान श्रीरामजी ने बुराइयों से युक्त रावण का वध कर अच्छाइयों का विनाश होने से बचाया था. इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नारद ने श्रीराम से नवरात्रि व्रत का अनुष्ठान करने का अनुरोध किया था. तब भगवान श्री राम ने व्रत को पूर्ण करने के बाद लंका पर आक्रमण कर रावण का वध किया. तभी से नवरात्रि व्रत को कार्यसिद्धि के लिए किया जाता रहा है.
आगमन शुभ व प्रस्थान अशुभ
शारदीय नवरात्र प्रारंभ होने के पूर्व लोगों के दिलों में यह जिज्ञासा बनीं रहती हैं कि मां दुर्गा अपना पूरा परिवार किस वाहन पर सवार होकर आएगी ओर किस वाहन से लौटेंगी। मां दुर्गा के आगमन एवं प्रस्थान से ही आगामी वर्ष के अच्छे बुरे फल का अंदाज लगाया जा सकता हैं।सवार
श्री शिव शक्तियोग पीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद ने बताया कि इस वर्ष नवरात्र कलश स्थापना अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 15 अक्टूबर रविवार को होगा। देवी भागवत पुराण के अनुसार घटस्थापना रविवार को होने के कारण शास्त्रों में पृथ्वी पर मां दुर्गा का आगमन 'हाथी' पर हो रहा है। जिसका फल होता हैं अत्यधिक वर्षा के साथ पानी में बढ़ोत्तरी। विजयदशमी 24 अक्टूबर मंगलवार को हैं। ऐसे में मां दुर्गा पृथ्वी पर अपने पूरे परिवार के साथ 'मुर्गा' (चरणायुद्ध) पर सवार होकर लौटेंगी। इसके कारण जनमानस में विकलता बनी रहेगी। लोगो के बीच द्वैषता बढ़ेगी। प्रस्थान शुभ संकेत नहीं है। गृह युद्ध या पड़ोसी देश से युद्ध की सी स्थिति बनेगी।
वार से जुड़ी मां की सवारी
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेश शास्त्री ने बताया कि नवरात्र में मां का आगमन व प्रस्थान की सवारी वार से जुड़ी हुई है। यदि नवरात्र रविवार या सोमवार से शुरू होते हैं तो मां दुर्गा हाथी पर, शनिवार या मंगलवार को घोड़ा पर, गुरुवार या शुक्रवार को डोला पर, और बुधवार को शुरू होने पर मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आती हैं। यदि रविवार व सोमवार को विजयादशमी होती हैं तो मां दुर्गा भैंसा पर सवार होकर प्रस्थान करती है। वहीं शनिवार व मंगलवार को मुर्गा पर, बुधवार व शुक्रवार को गज पर एवं गुरुवार को नर वाहन पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं।
ये है कलश स्थापना का शुभ समय
पंचाग के अनुसार,शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर 2023 को 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक है. बताते चलें कि नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना कर देवी की पूजा आराधना करनी चाहिए.धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, नवरात्र के नौ दिनों में देवी के अलग अलग स्वरूप के पूजा से पूरे साल देवी की कृपा भक्तों पर बनी रहती है.
कब किस देवी की पूजा
15 अक्टूबर प्रतिपदा - मां शैलपुत्री
16 अक्टूबर द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी
17 अक्टूबर तृतीया- मां चंद्रघंटा
18 अक्टूबर चतुर्थी- मां कुष्मांडा
19 अक्टूबर पंचमी- मां स्कंदमाता
20 अक्टूबर षष्ठी- माता कात्यायनी
21 अक्टूबर सप्तमी- मां कालरात्रि
22 अक्टूबर दुर्गा अष्टमी- महागौरी
23 अक्टूबर महानवमी- सिद्धिदात्री
24 अक्टूबर दशमी- दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी (दशहरा)
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