बहनो और भाइयो.. अमीन सयानी नहीं रहे:91 की उम्र में आया हार्ट अटैक , मुंबई से शुरू हुआ सफरसंस्कार - JALORE NEWS
Sisters-and-brothers.-Amin-Sayani-is-no-more-Heart-attack-at-the-age-of-91 |
बहनो और भाइयो.. अमीन सयानी नहीं रहे:91 की उम्र में आया हार्ट अटैक , कल होगा अंतिम संस्कार - JALORE NEWS
मुंबई ( 21 फरवरी 2024 ) ऑल इंडिया रेडियो के मशहूर अनाउंसर (All India Radio’s Famous Announcer) अमीन सयानी (Amin Sayani) नहीं रहे (Is No More) । अमीन का आज बुधवार (21 फरवरी) को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 91 साल के थे। सोशल मीडिया पर उन्हें चाहने वाले भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। अमीन के बेटे राजिल ने पिता के देहांत की पुष्टि करते हुए बताया कि मंगलवार रात को उनके हार्ट अटैक आया था। परिजनों ने उन्हें दक्षिण मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उन्होंने आज सुबह आखिरी सांस ली।
डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था। गुरुवार को मुंबई में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अमीन को हाई ब्लड प्रेशर और उम्र से जुड़ी अन्य बीमारियां थीं। पिछले 12 साल से उन्हें पीठ दर्द की भी शिकायत थी। वह चलने के लिए वॉकर का इस्तेमाल किया करते थे।
बता दें कि अमीन का जन्म साहित्य की दुनिया से जुड़े परिवार में हुआ था। उनकी मां ‘रहबर’ नामक अखबार निकालती थीं। उनके भाई हामिद सयानी भी रेडियो अनाउंसर थे। अमीन ने साल 1952 में रेडियो सीलोन से अपना करिअर शुरू किया था। वे रेडियो के सबसे बुजुर्ग अनाउंसरों में थे। उन्होंने अपना करिअर अंग्रेजी भाषा के प्रसारक के रूप में शुरू किया और भारत की आजादी के बाद हिंदी में ट्रांसफर हो गए।
21 दिसंबर 1932 को जन्मे अमीन सयानी रेडियो की दुनिया के सबसे ज्यादा चमकते सितारों में से एक थे। उन्होंने रेडियो को घर-घर में लोकप्रिय बनाने में बड़ा योगदान दिया। ‘गीतमाला’ उनके सर्वाधिक पॉपुलर कार्यक्रमों में शामिल है। पहले रेडियो सिलोन और फिर विविध भारती पर करीब 42 सालों तक चलने वाले हिंदी गीतों के उनके कार्यक्रम ‘गीतमाला’ ने सफलता के सभी रिकॉर्ड तोड़े दिए थे। उन्होंने रिकॉर्ड 54 हजार रेडियो कार्यक्रम तैयार किए और 19 हजार से अधिक विज्ञापनों और जिंगल को आवाज दी।
आलम यह था कि लोग हर हफ्ते उन्हें सुनने के लिए बेसब्री से इंतजार किया करते थे। खनकती और मधुर आवाज तथा आकर्षक अंदाज के चलते हर कोई उन्हें सुनने के लिए बेकरार रहता था। अमीन का ‘बहनों और भाइयों’ के साथ श्रोताओं को संबोधित करने का तरीका आज भी उतना ही ताजा है। अमीन रेडियो की दुनिया में बादशाह बनकर रहे। उनकी आवाज का जादू सुनने वाले को मंत्रमुग्ध कर देता था, जो अब सिर्फ यादों में रहेगी।
लीजेंडरी रेडियो प्रेज़ेंटर Ameen Sayani नहीं रहे. मंगलवार की रात हार्ट अटैक के बाद उन्हें मुंबई के एच. न. रिलायंस हॉस्पिटल मेंं भर्ती करवाया गया था. मगर उसी रात हार्ट फेल होने की वजह से उनका निधन हो गया. उनके बेटे रजिल सयानी ने इस खबर की पुष्टि की. अमीन सयानी 91 साल के थे.
यह आवाज तकरीबन 6 दशक तक हिंदी और उर्दू जुबान समझने वाले लगभग हर शख्स ने सुनी है. उनका कार्यक्रम बिनाका गीतमाला और सितारों की जवानियां बेहद लोकप्रिय हुआ करते थे. भाई हामिद सयानी ने अमीन का परिचय ऑल इंडिया रेडियो, बॉम्बे से करवाया था. शुरुआत हुई अंग्रेज़ी कार्यक्रम से. जो अगले 10 सालों तक चलता रहा. मगर अमीन सयानी की आवाज़ को पहचान मिली 1952 में रेडियो सीलोन पर शुरू हुए 'बिनाका गीतमाला' से. ये हिंदी फिल्मी गीतों का साप्ताहिक काउंटडाउन शो होता था.
हुआ ये कि 1952 में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बी.वी. केस्कर ने ऑल इंडिया रेडियो पर हिंदी फिल्मी गानों के चलाए जाने पर रोक लगा दी. उन्हीं दिनों कोलंबो से ब्रॉडकास्ट होने वाला रेडियो सीलोन पॉपुलर होना शुरू हो रहा था. AIR से हिंदी गाने बैन होने के बाद रेडियो सीलोन ने अपने यहां हिंदी फिल्मी गाने चलाने शुरू कर दिए. ये अमीन सयानी के लिए करियर का सबसे बड़ा ब्रेक साबित हुआ. इसी दौरान रेडियो सीलोन पर अमीन सयानी को 'बिनाका गीतमाला' नाम का शो होस्ट करने का मौका मिला. इस एक शो ने उनकी ज़िंदगी बदलकर रख दी. हालांकि वो इसके साथ ऑल इंडिया रेडियो पर भी एक शो होस्ट करते थे.
बिनाका गीतमाला’ 36 सालों तक रेडियो सीलोन पर प्रसारित होता रहा. हालांकि AIR से हिंदी फिल्मों को बैन करने का फैसला भारतीय जनता को ठीक नहीं लगा. नतीजतन, 1957 में AIR को तोड़कर विविध भारती शुरू किया गया. फाइनली 1989 में ‘बिनाका गीतमाला’ को विविध भारती पर प्रसारित करना शुरू किया गया. वहां ये शो अगले पांच सालों तक चलता रहा. श्रोताओ ने 30 मिनट का यह शो 42 सालों तक कानों से सटाकर दिल से सुना.
‘बिनाका गीतमाला’ के अलावा रेडियो पर अमीन सयानी के कई और शोज़ को लोगो का खूब स्नेह मिला. इसमें ‘फ़िल्मी मुक़दम्मा', ‘फ़िल्मी मुलाक़ात’, ‘सैरिडॉन के साथी’, ‘बॉर्न विटा क्विज कॉन्टेस्ट’, ‘शालीमार सुपरलेक जोड़ी’, ‘सितारों की पसंद’, ‘चमकते सितारें’, ‘महकती बातें’, और ‘संगीत के सितारों की महफ़िल’ जैसे शोज़ शामिल रहे. इसके अलावा, सयानी ने ‘स्वनाश’ नाम की एक रेडियो सीरीज भी शुरू की थी. 13 एपिसोड का ये नाटक HIV/एड्स के असल मामलों पर आधारित हुआ करता था. इसमें डॉक्टरों और सोशल वर्कर्स के इंटरव्यूज़ शामिल होते थे. कई NGO इन नाटकों के ऑडियो कैसेट खरीदते थे. जिन्हें वो फील्ड वर्क के दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए इस्तेमाल करते थे.
महात्मा गांधी की वजह से सीख पाए हिंदी-उर्दू
कुलसुम सयानी और जान मोहम्मद सयानी स्वतंत्रता सेनानी थे. 21 दिसंबर, 1932 को इस जोड़े को एक बच्चा पैदा हुआ. जिसे आगे चलकर लोगों ने अमीन सयानी के नाम से जाना. अमीन सयानी की मां कुलसुम ने वयस्क शिक्षा पर काफी काम किया. कुलसुम को महात्मा गांधी अपनी बेटी कहा करते थे. महात्मा गांधी के कहने पर ही कुलसुम सयानी ने रहबर के नाम से तीन भाषाओं हिंदी, उर्दू और गुजराती में अपना अखबार निकालना शुरू किया. इसी ‘रहबर अखबार’ में काम करते हुए अमीन सयानी ने अपनी हिंदी और उर्दू की उस मिश्रित जबान को डेवलप किया, जो आगे चलकर उनकी पहचान बनी.
पचास हजार से अधिक कार्यक्रमों का रिकॉर्ड दर्ज
रिपोर्ट्स के मुताबिक सयानी ने करीब दस वर्षों तक अंग्रेजी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने भारत में ऑल इंडिया रेडियो को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। रिपोर्ट्स के मुताबिक अमीन सयानी ने नाम पर 54,000 से ज्यादा रेडियो कार्यक्रम प्रोड्यूस/वॉयसओवर करने का रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने करीब 19,000 जिंगल्स के लिए आवाज देने के लिए भी अमीन सयानी का नाम लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।
फिल्मों में दर्ज कराई उपस्थिति
रेडियो ने अमीन सयानी को जो पहचान दिलाई, वह बहुत आगे तक कई। वे कई फिल्मों में रेडियो अनाउंसर के तौर पर नजर आए। इनमें भूत बंगला, तीन देवियां, बॉक्सर और कत्ल जैसी फिल्में शामिल हैं। रेडियो की दुनिया में अपने योगदान के लिए अमीन सयानी को कई बड़े व प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किए गए। इनमें लिविंग लीजेंड अवॉर्ड (2006), इंडियन सोसाइटी ऑफ एटवरटाइजमेंट की तरफ से गोल्ड मेडल (1991) , पर्सन ऑफ द ईयर अवॉर्ड (1992)- लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स शामिल हैं।
मुंबई से शुरू हुआ सफर
अमीन सयानी का जन्म 21 दिसंबर 1932 मुंबई में हुआ। उन्होंने रेडियो की दुनिया में अपना बड़ा नाम स्थापित किया। दर्शक उनकी आवाज से सीधे तौर पर जुड़े और दिल थामकर उनके कार्यक्रम का इंतजार किया करते। अमीन सयानी ने रेडियो प्रेजेंटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो, मुंबई से की थी। उनके भाई हामिद सयानी ने उनका परिचय यहां से कराया था।
अमीन सयानी की आखिरी इच्छा
'गीतमाला' से अमीन सयानी पहले होस्ट बन गए थे, जिन्होंने म्यूजिक के बारे में अपनी समझ को शो के जरिए जाहिर किया था। इन्होंने अपनी जादूई आवाज से दर्शकों पर सालों राज किया। इनके सामने तो बड़े-बड़े एक्टर्स भी सलाम ठोकते थे। एक बार इनकी मौत की झूठी अफवाह उड़ी थी, जिसके बाद इन्होंने कहा था कि शुक्र है कि मैं जिंदा हूं। इन्होंने 'एबीपी' को दिए एक इंटरव्यू में इच्छा भी जाहिर की थी कि इस दुनिया से जाने से पहले वह अपनी एक आत्मकथा लिखना चाहते हैं। जीवन की तमाम बातें उसमें कहना चाहते हैं, जिससे आने वाली पीढ़ी उस बारे में जान सके।
अमीन सयानी 'गीतमाला' के राजा थे
अमीन सयानी ने 1952 में प्रसारित शो 'गीतमाला' से पॉप्युलैरिटी हासिल की थी। उस जमाने में नंबर वन रहा ये शो लंबे समय तक प्रसारित हुआ। 1952 से शुरू हुआ ये 1994 तक चला था। इसके बाद इसे दोबारा 2000 से 2001 और फिर 2001-2003 तक कुछ बदलावों के साथ दोबारा टेलीकास्ट किया गया।
बॉलीवुड फिल्मों में भी दिखे।
अमीन सयानी ने सिर्फ पर्दे के पीछे अपनी आवाज से ही लोगों का मनोरंजन नहीं किया बल्कि वे कुछ फिल्मों में भी नजर आए. वे तीन देवियां, भूत बंगला, कत्ल और बॉक्सर जैसी फिल्मों में अभिनय करते नजर आए. इन फिल्मों में वे किसी शो के प्रेजेंटर के रोल में दिखे और अधिकतर मौकों पर उनका रोल कैमियो ही था.
कई स्टार्स संग रही नजदीकियां
अमीन सयानी कई सारे नामी बॉलीवुड स्टार्स से जुड़े रहे. रिपोर्ट्स की मानें तो राज कपूर को वे स्कूल के दिनों से जानते थे. इसके अलावा वे मुकेश को भी जानते थे. सिंगर मुकेश को वे सबसे दयालु इंसान मानते थे. इसके अलावा सिंगर किशोर कुमार संग भी उनकी बॉन्डिंग अच्छी थी. वे किशोर को अनसुलझा हुआ इंसान मानते थे. अमीन सयानी का जुड़ाव सिंगर्स संग ज्यादा था क्योंकि वे एक समय खुद भी सिंगर बनना चाहते थे.
उपलब्धि और अवार्ड्स
अमीन सयानी के नाम 54,000 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय रेडियो शोज़ करने का रिकॉर्ड दर्ज है. रेडियो के अलावा उन्होंने ‘भूत बंगला’, ‘तीन देवियां’, ‘बॉक्सर’ और ‘क़त्ल’ जैसी फिल्मों में अनाउंसर के रोल में भी नज़र आए. 2009 में भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मा श्री से नवाज़ा था.
JALORE NEWS
खबर और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें
एक टिप्पणी भेजें