17 से 24 मार्च तक होलाष्टक, शुभ कार्य होगे वर्जित , होलाष्टक का समापन होलिका दहन के साथ होगा - BHINMAL NEWS
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17 से 24 मार्च तक होलाष्टक, शुभ कार्य होगे वर्जित , होलाष्टक का समापन होलिका दहन के साथ होगा - BHINMAL NEWS
पत्रकार माणकमल भंडारी भीनमाल
भीनमाल ( 15 मार्च 2024 ) BHINMAL NEWS होलाष्टक में सोलह संस्कारों मुंडन, गृह प्रवेश, सम्पत्ति का खरीदना व बेचना, विवाह कार्य के साथ सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस अवधि में पूजन, पाठ, फाग व भजन जरूर होते है।
श्री दर्शन पंचांगकर्ता शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि होलाष्टक को शोक या दुख का समय माना जाता है। इन दिनों में हिरण्याकश्यप ने भगवान विष्णु के भक्त अपने पुत्र प्रह्लाद को भक्ति से दूर करने के लिए कई तरह की यातनाएं दी थी। इन दिनों के अंतिम दिन अपनी बहन होलिका के सहयोग से भक्त प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया था। इसी कारण इन दिनों को शुभ कार्य के लिए वर्जित माना जाता है। होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होते है। जो पूर्णिमा तक रहते हैं। इन दिनों के अष्टमी तिथि से शुरू होने के कारण इनको होलाष्टक कहा जाता है। इस साल फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 16 मार्च की रात 09.39 से होगा। इस तरह होलाष्टक 17 से 24 मार्च तक रहेंगे।
होलिका दहन 24 मार्च को भद्रा उपरांत मनाई जाएगी। भद्रा प्रातः 09.56 से रात्रि 11.14 तक है । 25 मार्च को पूरे देश में धुलेटी अर्थात रंगों का त्यौहार मनाया जाएगा । 25 मार्च को माद्य चंद्र ग्रहण होगा, परंतु भारत में दिखाई नहीं देने से इसके सूतक आदि का पालन नहीं होगा ।
त्रिवेदी ने बताया कि होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है। पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है। होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का त्यौहार है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है। मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है। होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का त्यौहार है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं। घरों में गुझिया और पकवान बनते हैं। लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं।
होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना जरूरी है। स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं। पूजा की सामग्री के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें। इसके बाद इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें। मिठाइयां और फल चढ़ाएं। होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका दहन करना चाहिए
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