जालोर के इस मंदिर में भगवान शिव को माना जाता है द्वारकाधीश का स्वरूप, जानें मान्यता - JALORE NEWS
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जालोर के इस मंदिर में भगवान शिव को माना जाता है द्वारकाधीश का स्वरूप, जानें मान्यता - JALORE NEWS
रामसीन ( 7 मार्च 2024 ) नमस्कार साथियों आज हम एक बार फिर से जालौर से जुड़े इतिहास से संबंधित जानकारी के साथ नया वीडियो लेकर आया हूं जालोर के इतिहास से जुड़ें कुछ किस्से हैं । अगर आप भी जालौर के रहने वाले हैं तो यहाँ आपके लिए कुछ खास संबंधित होगा। यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े हुए हैं तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर करे देवें जैसे कि आप सभी को मालूम है कि हर साल महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है। इस दिन सभी महादेव मंदिर में जिले भर में भीड़ उमड़ी है। वहीं आज हम बात कर रहे हैं। शिव शंकर भोलेनाथ जी से संबंधित है। जालोर जिले में रामसीन नाम से गांव बसाया हुआ है।
रामसीन का आपेश्वर महादेव मंदिर प्रदेश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां महादेव की 5 फीट की आदमकद प्रतिमा की पूजा होती हैं। यहां शिवलिंग की पूजा नहीं होती। जानकारी के अनुसार शिव की आदमकद 5 फीट की प्रतिमा खुदाई में विक्रम संवत 1335 में निकली थी। जमीन से आपो आप निकलने से आपनाथ महादेव कहलाए। उस दौरान आस्था के चलते व्यास वंशज ने मंदिर की स्थापना की।
बताते हैं कि किसान द्वारा खेत जोतते समय अचानक ही हल थम गया और आकाशवाणी हुई। खेत जोत रहे व्यक्ति ने इसकी जानकारी व्यास समाज के जागीरदार परिवार को दी। वे लोग खेत पर आए और खुदाई शुरू की। खुदाई के दौरान पांच फीट प्रतिमा निकली। जो आज आपेश्वर महादेव के नाम से पूजी जाती है।
अपने आप प्रकट हुए थे आपेश्वर महादेव
जन जन की आस्था का केंद्र आपेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन तीर्थ स्थल के रूप में अपनी खास पहचान रखता हैं।राजस्थान के जालोर जिले के कस्बे रामसीन में स्थित महादेव के एक मंदिर को द्वारकाधीश मानकर पूजा-अर्चना की जाती है. इतना ही नहीं यहां के अधिकतर लोग गुजरात स्थित प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर भी नहीं जाते. बल्कि, इसी मंदिर में भगवान शिव को द्वारकाधीश के रूप में पूजा जाता है. मंदिर परिसर में बने कुंड के जल में स्नान किया जाता है.
आपेश्वर महादेव की यह आदमकद मूर्ति विक्रम संवत 1318 में एक खेत में हल चलाने के दौरान मिली है। दंतकथाओं के अनुसार मूर्ति के आपोआप प्रकट होने से इनका नाम आपेश्वर महादेव पड़ा। कथा के अनुसार त्रैतायुग में भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान अनुज लक्ष्मण व माता सीता के साथ विश्राम किया था। इससे गांव का नाम रामसेन पड़ा तथा बाद में धीरे धीरे इसे रामसीन के नाम से पुकारा एवं पहचाना जाने लगा। मंदिर के बाहर एक कुण्ड भी है। इसका पानी द्वारका के पानी के समान माना जाता है। मंदिर में दर्शनार्थियों के बेहतर सुविधा के लिए आपेश्वर महादेव सेवा ट्रस्ट के गंगासिंह परमार समय समय पर सदस्यों व ग्रामीणों से चर्चा कर मंदिर में दर्शनार्थियों के अनुरूप व्यवस्था करते रहते है।
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वनवास के दौरान भगवान ने यहां किया था विश्राम
मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम ने वनवास के दौरान लक्ष्मण व माता सीता के साथ यहां विश्राम किया था. इसी वजह से इस गांव का नाम रामसेन पड़ा तथा बाद में धीरे धीरे इसे रामसीन के नाम से पुकारा एवं पहचाना जाने लगा. यहीं पर स्थित आपेश्वर महादेव मंदिर को द्वारकाधीश माना जाता है.
द्वारिकाधाम कहते हैं भक्त
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि आपेश्वर धाम ही द्वारिका है और आपनाथ महादेव स्वयं द्वारिकाधीश का ही स्वरूप है। किंवदंती के अनुसार किसी भक्त को महादेव ने दर्शन देकर द्वारिका नहीं आकर आपेश्वर में ही दर्शन करने की बात कही। उन्होंने भक्त को बताया कि द्वारिकाधीश में ही हूं, जो यहां और वहां अलग-अलग स्वरूप में विद्यमान हूं।
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